Monday, December 27, 2010

बुढ़ापे दा सरमाया

                                 

 सौगातैं

आइये मैरे साथ और पढिये,समझिये, और फ़िर सुनियें।
येह हैं  बुढ़ापे  की सौगाते जो हर इन्सान के आने वाले  बुढ़ापे के साथ
यह बुढ़ापे  का सरमाया बिल्कुल मुफ्त में मिलेगा॥


एक
गौडे चलदे नही,मौडे हिल्दे नही
अख्खौ दिस्दा नही,कन्नौ सुनिन्दा नही
नक्कौ सुगीन्दा नही॥
मत्था दर्द ऐ,पिन्डा सर्द ऐ
मुहँ च दन्द नही,खान दा आन्नद नही
कोइ रेहा चन्गा हाल नही,
सिर ते रेहा वाल नही॥
ना कोइ मौज ऐ,ना कोइ बहार ऐ
तौन्द वी हुण आ गइ बाहर ऐ॥
पिठ दा दर्द वी करदा हुण बेहाल ऐ
बै के उठना वी हुण जी दा जन्जाल ऐ॥
हुण ते बस सौणां वी इक फाँसी ऐ
सारी रात उठदी खाँसी ऐ॥

दो
नब्ज दी धडकन वी हुण कुझ देर बाद
मिलदी ऐ,
वान्ग सपरिँग हुण मून्डी वी हिल्दी ऐ॥
हुण तां अपने टुरण लई वी चाइदिये इक
लठियां,
ऐ वखरी ए गल,पान्वे सारे शरीर दे जौड़ा
विच दौडदा ए गठिया॥
हुण कादा किसे ते जौर ऐ,
दिल वी हो गया कमजोर ऐ॥
न रेहा कोइ आदर,ते न सत्कार ऐ
हुण ते लाठी समेत,अपना मँजा वी
बाहर ऐ॥
तीन
गोली खाने आँ, बै जाने आँ
असर मुकदा ए टै जाने आँ॥
हुण ताँ पयै न कितीयाँ होइंयाँ
पुल्लाँ वी बख्शवाने आँ,
डर दे मारे अपनी जनानी नू वीं
पैण जी पये बुलाने आँ॥
मर जानी यादाश्त दा वी हुण
होया बुरा हाल ए,
हर किसे नु राह जान्दे पये मनाने आँ
हद ते ताँ हो जान्दी ए,जद अपना घर छड
पढोसी दे घर वढ जाने आँ॥
जन्दो कोइ पुछ बेन्दा ए,बाबा जी की
हाल ऍ,
ऐ केढा जणा! अगौ साडा ए सवाल ए॥
                  चार
किसे नु हुण सीख देने आँ ते,
सब हस्दे नें,
इक दूजे नु वेख के पुच्छदे ने
ऍ बाबा जी केढी सदी च वस्दे नें॥
हर माँ बाप दी रूंह अपने बच्चैयां
दे सुख च वस्दी ए,
जिन्हा नू असाँ हसना सिखाया हुण
औ औलाद पई साडे ते हसदी ऍ॥
बस हुण ऍ आ गया बुढ़ापा  ए,
ते जल्दी मुक जाना स्यापा ए॥
 बुढ़ापा सुना के न मै तवाँनू डराया ए
न भरमाया ए,
पर ऐ जिन्दगी दा सच ए कि
बुढ़ापे  दा बस ए ही सरमाया ऐ॥
सो इक इक करके मौत दा इकठठा
हो गया ए सारा समान,
बस थोड़ी दूर रह गया ऍ श्मशान॥
हुण सारे इक वारी मिल के बोलो,
जय श्री राम,जय श्री राम.....॥

तो अब नीचे एक चट्का भी लगाये और सुन कर भी 
इस कड्वी सच्चाई का लुत्फ़ उठायें ॥
आज के लिये इतना काफ़ी है क्या?  अशोक"अकेला"




3 comments:

  1. यार चाचू ये तो तुने कर दिया कमाल है
    धोती का फाड़ के कर दिया रुमाल है,
    तन तेरा भले ही बूढा गया हो
    पर तेरे मन ने तो पूरा मचा दिया धमाल है.
    कविता तो कविता,तुने अपनी आवाज को भी दे दी सुन्दर ताल है.
    अरे!चाचू तो बूढा और गरीब कहाँ
    तू तो सब तरह से मालामाल है.
    अब तू मेरे ब्लॉग पर भी आ,और वहां भी कुछ रंग जमा और बता
    कि यार चाचू और भतिजू की रिश्तेदारी का सब को चल जाये पता

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  2. सोंचने को मजबूर करती यह रचना ! आभार !!

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  3. bohot shaandaar prastuti.... Punjabi vich kahan ge ki "Njaaraa jeha aagaayaa" Babe ne gaah pa dita aye!!!

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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