Tuesday, January 25, 2011

ऐहसास......................

कुछ ऐहसास मेरे दिल से ...................
.

उसने कहा, हम भूल गये
मेने कहा मैं, मान गया,
उनके दिल में, मैं हूं कहां
मैं अच्छी तरह से जान गया॥


चुप रह कर मैं समझा, मैनें
सब के शिकवे धो दिये,
चुप्पी बनी गुनाह, मेरा
सब रिश्ते मैने खो दिये॥

उम्र कट गयी सारी, दिल को येह समझाने में
शायद तुझको भी चहा हौ किसी ने अनजाने मेँ।।


सब को सुना चुका हूं, मैं अपना अफ़साना
कोई रह गया सिर्फ 'हूं' करके किसी ने समझा
'भला' सिर्फ चुप रेहना॥

शायद यही है मेरा नसीब
रहूँ हमेशा में दुःख के करीब ||


उसी ने दिये जख्म, जो भी मेरा खा़स हुआ
पर बहुत देर बाद इसका एहसास हुआ।
                                                        अशोक"अकेला"





9 comments:

  1. मैं क्या बोलूँ अब....अपने निःशब्द कर दिया है..... बहुत ही सुंदर कविता.

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  2. सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  3. उसी ने दिये जख्म, जो भी मेरा खा़स हुआ
    पर बहुत देर बाद इसका एहसास हुआ।
    दिल के बेहद करीब...
    बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति!

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  4. सब को सुना चुका हूं, मैं अपना अफ़साना
    कोई रह गया सिर्फ 'हूं' करके किसी ने समझा
    'भला' सिर्फ चुप रेहना॥
    BILKUL SAHI KAHA

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  5. गहन एहसास ....सुंदर रचना ...

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  6. उसी ने दिए ज़ख्म जो खास हुआ ... सटीक अच्छी प्रस्तुति

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  7. वाह वाह वाह वाह ..
    बहुत सुन्दर ..!!
    kalamdaan.blogspot.com

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  8. उसी ने दिये जख्म, जो भी मेरा खा़स हुआ
    पर बहुत देर बाद इसका एहसास हुआ।

    bahut gahri sambedna...aabhar

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  9. उसी ने दिये जख्म, जो भी मेरा खा़स हुआ
    पर बहुत देर बाद इसका एहसास हुआ।
    गहरे भाव लिये बेहतरीन प्रस्तुती है

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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