Wednesday, February 02, 2011

दुःख बोल के जे दास्या ते ...


नमस्कार...कैसे हैं आप लोग! सब ठीक -ठाक
खुश रहिये |

मैं कैसा हूँ? अरे भाई ! अब हम जैसे लोगो का किया ?
बस समय काटना चाहते हैं -सो कट रहा है ?

"सब पूछते हैं मुझसे ,कहो कैसे कट रही है 
कोई नही पूछता कि, कैसे काटते हो" अज्ञात


 जिन चिरागों को हवाओं का खौफ नहीं
 उन चिरागों को बुझने से बचाया जाये
 घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
 किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये      "निदा फाजली "

बिल्कुल ठीक कहते हैं निदा फाजली साहेब अब हमारे रोने से
किसी को क्या हासिल ,किया मतलब ,तो अपने रोने से तो
अच्छा है ,कि कुछ ऐसा करो, चाहे दिल मैं हजारों दर्द लिए
किसी जोकर कि तरह मसखरी हरकतों से किसी बच्चे को ही
हसाया जाये ,और उसकी हसीं मैं अपने दिल का सकूं पाया जाये |

बाकि देखने ,सुनने वाला खुद ही जान जायेगा कि हम कैसे हैं ?
और कैसे कट रही है ,कैसे काट रहे हैं |

जैसे हंस राज हंस जी अपने गीत मैं केह रहे है|

दुःख बोल के जे दस्या ते कि दस्या ........सुनिए उनसे...



खुश और सेहतमंद रहें ....मिलते हैं अगले मोड पर जिन्दगी के ... आप का ...अशोक "अकेला"

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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