Wednesday, July 06, 2011

क्या ये एक नाम ,जो है "राम" ...



"जय श्री राम"
 कोई कहे "राम" 
 कोई कहे "जय श्री राम"
 किसी ने कहा "हे राम"
 राहें हैं सब की अलग,
 पर मन्जिल एक है| 

 पुकारते हैं सब भगवान को
 पर जुबाने अनेक हैं |
 क्या ये एक नाम 
जो है "राम" 
पर कहने के
 तरीके अनेक है
 क्या नही इनके
 इरादे नेक हैं
 कहने को हम,
 भारतवासी सब एक हैं |

अलग-अलग जुबां में
 पुकारने वाले
 क्यों हमने इनमे
 भेद कर डाले|

 इसी देश में
 ...हे 'राम' कहने वाले
 बन गये 'राष्ट्रपिता'
हमारे  महात्मा गाँधी ...|

 फिर क्यों
 "जय श्री राम"
 कहने वाला
 कहलाया 'आंतकवादी' |

अशोक'अकेला'

20 comments:

  1. राम की माया ,राम ही जाने
    मतलब यही कि जो जितना जाने.
    'जय श्री राम' कहें पर राम की न माने
    राम पर दोष मढ़ें और राम ही को दें ताने.

    काश! हम भारतवासी सब एक हों,इरादें सभी के नेक हों.

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार,यार चाचू.

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  2. राम का सही सन्दर्भ सोचने पर विवश करता हुआ ....आपका आभार

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  3. एक राम है, जीवन तारे,
    चाहे कैसे कोई पुकारे।

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  4. बहुत बढ़िया जनाब!
    राहे अलग-अलग हैं,
    ठिकाना तो एक है!

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  5. bahut badhiya .........aaj ke rajnitik paridrasya ko dhyan me rakhte hue mai to kahunga --sarthal lekh......
    badhai

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  6. ये भी राम की ही एक माया है ... पर आपका प्रश्न वाजिब है ...

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  7. लोगों ने राम के नाम को बदनाम कर रखा है ।
    वरना राम की महिमा तो अपरम्पार है ।
    राम राम ।

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  8. बात तो सही है,हे राम बोलने वाले राष्ट्र-पिता और जय श्रीराम बोलने वाले आतंकवादी.....किन्तु साम्प्रदायिक जहर फेलाने का हक किसने दिया इन जयश्रीराम बोलने वालों को या अल्लाहो अकबर बुलने वालों को?
    सब जानते हैं कि मंजिल एक है रास्ते अलग अलग है किन्तु इन रास्तों पर कांटे बिछाने वाले अपनी रोटी सकते हैं धर्म और साम्प्रदायिकता की आग में.सोचिये कितने लोगो को 'नेता' बनने का मौका दिया है इस धर्मने !
    आपके प्रश्न एकदम सामयिक है.और इसके साथ उपजा दर्द भी वाजिब .

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  9. जय श्री राम
    राम नाम की लीला अपरम्पार है

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  10. यही तो विसंगति है.....

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  11. बहुत सुंदर ...यह भी विडम्बना ही है....

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  12. आपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है!

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  13. वाह..बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ..।

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  14. सेक्युलर खिचड़ी में राम एक रोड़ा है ,
    जो बाले श्री राम ,वही भगोड़ा है .
    अशोक भाई इस देश में कई ऐसे इलाके मौजूद हैं जहां पाकिस्तान पाइंदाबाद कहने की पाकी झंडा फेह्राने की छूट है ,तिरंगें पर पाबंदी है .यहाँ राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस में राम धुन बजाने वाला साम्प्रदायिक हो जाता है इसलिए उस पर पाबंदी है .यह सब उस पैवंद की देन है जो संविधान की काया पर क्षेपक के रूप में चिपकाया था -श्री मति गांधी ने -डेमोक्रेटिक सेक्युलर रिपब्लिक .इस सेक्युलर खिचड़ी के मुलायम और लालू तो महज़ दो चावल हैं .यादव और सेक्युलर पुत्र और भी हैं .एक इन दिनों पूतना प्रदेश में पद-यात्रा पर हैं .
    हमारी हिम्मत और गुस्ताखी दोनों देखिए -ब्लॉग का नाम ही रखें हैं "राम राम भाई ",बुरी नजर वाले (सेक्युलर )तेरा मुंह काला सोच रहें हैं ब्लॉग पे ये स्लोगन लगा दें.गनीमत है हम पर अभी तक सांप्रदायिक होने का आरोप नहीं लगा .

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  15. बहुत ही लाजवाब पंक्तिया है, जवाब नहीं आपका

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  16. आप सब का , मान-सम्मान और स्नेह के लिए बहुत-बहुत आभार !

    खुश रहें,स्वस्थ रहें !
    अशोक सलूजा !

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  17. बहुत सुन्दर कविता .यथार्थ मूलक .-


    बेहद अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई .
    "खामोश अदालत ज़ारी है ."-डॉ नन्द लाल मेहता वागीश .
    (पहली किश्त ). वाणी पर तो बंदिश है ,अब साँसों की बारी है ,
    खामोश अदालत ,ज़ारी है .
    हाथ में जिसके सत्ता है ,वह लोकतंत्र पर भारी है ,
    सभी सयानप गई भाड़ में ,चूहा अब पंसारी है .
    खामोश अदालत ज़ारी है .
    संधि पत्र है एक हाथ में ,दूजे हाथ कटारी है ,
    खौफ में औरत मर्द जवानी ,बच्चों की लाचारी है .
    खामोश अदालत ज़ारी है .
    (ज़ारी ....)
    सहभाव एवं प्रस्तुति :वीरेन्द्र शर्मा (veerubhai1947@gmail.com)

    veerubhai1947.blogspot.com

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  18. Sir,
    Bahut utkrisht lekh hai.....
    very perfect question???
    but who gets to answer that.....

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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