Sunday, June 10, 2012

मैंने तो सुना था .....!!!

अगर हाथो को कुछ देने के लिए झुका नही सकते 
तो कुछ लेने को लिए हाथो को फैलाओ तो  मत ||
--अकेला 

अशोक'अकेला'


31 comments:

  1. आपने तो ने भावुक कर दिया पर यर्थाथ तो यही है. सादर

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  2. बहुत लंबा सा कमेन्ट लिखा था.
    न जाने कैसे गायब हो गया.

    यार चाचू,मरना तो स्थाई शयन मात्र है.
    हर शयन के बाद एक नया शरीर नए रिश्तों नातों के साथ.

    उन्ही में हम भी कहीं आपके साथ आ ही जायेंगें.

    आपकी 'यादें...' कहीं न कहीं याद दिला देगी हमारी भी

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    1. आप तो शुद्ध आत्मा है ....सब को सत्कर्म का ज्ञान कराते हैं .....
      आप तो बहुतों को याद आओगे ....हा हा हा :-))
      खुश रहो !

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  3. (¯`'•.¸*♥♥♥♥*¸.•'´¯)
    ♥बहुत सुन्दर प्रस्तुति♥
    (¯`'•.¸*♥♥*¸.•'´¯)♥
    ♥♥(¯`'•.¸**¸.•'´¯)♥♥
    -=-सुप्रभात-=-
    (¸.•'´*♥♥♥♥*`'•.¸)

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  4. कोई ऐसी चीज न छोड़ें जिसके लिये सुबह उठकर चिन्ता रहे...

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    1. जब उठेगें ही नही तो चिन्ता किस बात की ..???
      शुभकामनाएँ!

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  5. जीवन की सच्चाई को स्वीकारती सुंदर प्रस्तुति. जियो तो ऐसे जियो कि कल का इन्तेज़ार न हो.

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  6. जी लिया - यही संतोष बहुत है , जाना तो है ही

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  7. बहूत हि सुंदर और गहन रचना...
    अति सुंदर...

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  8. जब तक जीते हैं तभी तक चिंता है .....जाने के बाद क्या पता क्या होता है .... गहन अभिव्यक्ति

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  9. सच कहा जितनी जिन्दगी जी लिया बहुत है ..कैसे गुजरी क्यों सोचना...गहन अभिव्यक्ति...

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  10. जिंदगी यूँ ही मिल कर बीत जाएगी ...संग तेरे
    चार कदम साथ तो चलो ...थकने से पहले |

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    1. आखरी सफ़र तो अकेले का ही है .....येही सच है ?
      शुभकामनाएँ!

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  11. जावन की वास्तविकताओं कों बाखूबी शब्द देते हैं आप ...
    आपकी यादों के झरोखे लाजवाब हैं ...

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  12. वाह ..जी ली ज़िंदगी भरपूर ...अब मौत की चिंता नहीं ...
    एक दिन तो आनी ही है ...ज़िंदगी की शाम कभि ना कभी तो होनी ही है ....
    सत्य कहती सुंदर रचना ....शुभकामनायें

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  13. क्या बात है!!
    आपके इस सुन्दर प्रविष्टि का लिंक दिनांक 11-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगा। सादर सूचनार्थ

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  14. ज़िन्दगी की हकीकत बयान कर दी।

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  15. अगर हाथो को कुछ देने के लिए झुका नही सकते
    तो कुछ लेने को लिए हाथो को फैलाओ तो मत ||

    सुंदर उक्ति के साथ सुंदर रचना सर....
    सादर।

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  16. नकारात्मक विचार और आप ...
    आनंद नहीं आया भाई जी !

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    1. न!न!न!भाई जी ये नकारात्मक विचार बिल्कुल नहीं ये तो जिन्दगी का सकारात्मक पहलू है ...:-)) आप के स्नेह का आभार |
      बाकि आनंद तो ६५ के इस पार और ६५ के उस पार तो हेपी एण्ड येही है ......
      शुभकामनाएँ!

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    2. मुझे भी नकारात्मक ही लगी सर...
      मगर आपके नज़रिए से देखने पर अच्छा लगा.....

      सादर.

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  17. ज़िंदगी को जी भर जी लेने के बाद मौत की चिंता कभी नहीं सताती यही ज़िंदगी का कड़वा सच है। बस मन मे कुछ अटका न रहे यही बहुत है बाकी आयें हैं तो एक न एक दिन जान भी पड़ेगा ही। वो कहते है न "सब ठाठ पड़ा रह जाएगा जब लाद चलेगा बंजारा"....

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  18. भावकता भरी पर एक सच्ची दास्तान ...

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  19. भावमय करते शब्‍दों का संगम है यह प्रस्‍तुति ... आभार

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  20. अशोक साहब की एक बढ़िया रचना जीवन से संतुष्टि की प्रतीक .मैं कबका जा चुका हूँ अब स -शरीर जाना महज़ एक रिहर्सल होगा मेरे भाई .

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  21. aadarniy sir
    ek haqkat se paripurn prastuti
    bahut sach likha hai aapne
    sadarnaman
    poonam

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  22. आपकी कविताएँ दिल को छु जाती है सर . बहोत अच्छा लगा पढ़ के

    हिन्दी दुनिया ब्लॉग (नया ब्लॉग)

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  23. आप सब का बहुत-बहुत आभार !आप ने सच को माना ,,,,
    मैंने तो सुना था ....जिन्दगी चार दिन की है ..
    मैं तो जी लिया बरसों .....फिर नकारात्मक क्या ? ये तो लाभ का सौदा हुआ न ????हा हा हा :-))))
    शुभकामनाये आप सब को ...
    सदा खुश और स्वस्थ रहें !

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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