Friday, September 21, 2012

ये सब वक्‍त की बाते है.....


गिला किससे करूँ ,फरियाद भी कोई सुनता नही 
हूँ वक्त का, मुरझाया फूल ,जिसे कोई चुनता नही |
--अकेला 
  
ये  वक्‍त भी क्या-क्या रंग दिखाता है 
सपने दिखला मन को बहलाता है 
क्यों ये आज गीत पुराना 
बार-बार मेरे लबो पर आता है

"आज ऊँगली थाम ले मेरी  
तुझे मैं चलना सिखलाऊँ
कल हाथ पकड़ना मेरा 
जब मैं बुढा हो जाऊं "

क्या देख लिया तुने जग में 
जो ये गीत तुझे न भाता है 
कहाँ छूट गए वो रिश्ते-नाते 
था जिनसे पुराना नाता है 

कहाँ गए वो भाई-बंधू 
अब पास कोई न आता है 
जिसने दिखाए ये सपने सारे 
वो समय अब दूर खड़ा मुस्काता है 

ये सब वक्‍त की बाते है 
चंद सांसों की मुलाकाते हैं 
कुछ दिन अच्छे,कुछ अच्छी रातें हैं 
बाकि तो सब झूठी बातें हैं

अब कुछ भी मेरे पास नहीं 
न कोई मन को भाता है 
आए 'अकेला' जाये 'अकेला' 
बाकि सब यहीं रह जाता है ......  

अशोक'अकेला\

Saturday, September 01, 2012

मन करता है ....!!!

दूसरों की सुन के,खुद से कह के 
खुश हो लिए,
दे के दिल को दिलासा, प्यार से और 
खुद रो लिए ...
...अकेला

मन करता है ....!!!
आँख में आंसू साथ नही 
रोने का मन करता है... 
खोने को कुछ पास नही 
कुछ खोने का मन करता है...

मैं किसी से नाराज़ नही 
पर होने का मन करता है... 
न मुझको कोई मनाएगा 
पर रूठने का मन करता है...

पता है, न ढूंढेगा कोई मुझे
पर खो जाने का मन करता है...  
किस-किस ने किया बर्बाद मुझे 
अब भूल जाने का मन करता है...

न रही अब किसी को ज़रूरत मेरी 
ये अब मान जाने का मन करता है...
जहां से भी मिले प्यार मुझे 
बस ले लेने का मन करता है...

न किया जान-बूझ के कोई गुनाह
फिर भी पश्चाताप का मन करता है... 
बहुत सा रत-जगा है आँखों में 
अब सो जाने का मन करता है...

न कोई करेगा अब याद मुझे 
बस मर जाने को मन करता है...
उम्र भर जला ,मैं थोड़ा-थोड़ा 
अब पूरा जल जाने का मन करता है... 

जिससे भी मिला ,पल भर का सुकून 
'अकेला' उन सब को दुआ देने का मन करता है ......


अशोक'अकेला'




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