Friday, May 03, 2013

जब भी रोना हो !!! चिरागों को बुझा कर रोना...


मुहँ की बात सुने हर कोई
दिल के दर्द को जाने कौन
आवाजों के शहरों में
ख़ामोशी पहचाने कौन....
---निदा फ़ाज़ली

यादें ......
अपनी यादों की पोटली से निकाल कर लाया हूँ ....
आप के लिए एक गज़ल...
जो अपने खुबसूरत अल्फाज़ों से सजाई है,
ज़नाब मीर ताक़ी मीर ने और गाया है अपनी दर्द भरी
मीठी आवाज़ में ज़नाब मरहूम परवेज़ मेहदी साहब ने ......
इस गज़ल में ख़ामोशी के आवाज़े हैं ....
दिल के दर्द का सुकून है ...
आँखों में अश्को की छुपी बरसात है ...
दिल के किसी कोने में छुपी यादों की बारात है ...
ग़म का बिछौना है ...
ग़र फिर भी सुकून से सोना है ....
तो ज़रूरी...चैन से रोना है ...
तो बस!!! उस रोने की ही बात है !!!

अपने साये से भी ,अश्को को छुपा कर रोना
जब भी रोना हो ,चिरागों को बुझा कर रोना

हाथ भी जाते  हुए , वो तो मिला कर न गया
मैंने चाह जिसे ,सीने से लगा कर रोना
जब भी रोना हो ,चिरागों को बुझा कर रोना...

तेरे दीवाने का ,क्या हाल किया है ग़म ने
मुस्कराते हुए लोगो में भी जा कर रोना
जब भी रोना हो ,चिरागों को बुझा कर रोना...

लोग पढ़ लेते हैं ,चेहरे पे लिखी तहरीरे
कितना दुश्वार है लोगो से छुपा कर रोना
जब भी रोना हो ,चिरागों को बुझा कर रोना ...

अपने साये से भी ,अश्को को छुपा कर रोना
जब भी रोना हो ,चिरागों को बुझा कर रोना |
|



उम्मीद करता हूँ कि मेरी पसंद .... 
आप को भी पसंद आई होगी !!!
 खुश रहें,स्वस्थ रहें !

33 comments:

  1. जब भी रोना चिरागों को बुझा कर रोना ..... बहुत खूबसूरत गज़ल पेश की है .... सादर

    ReplyDelete
  2. लोग पढ़ लेते हैं ,चेहरे पे लिखी तहरीरे
    कितना दुश्वार है लोगो से छुपा कर रोना
    ... बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति
    पढ़वाने के लिए
    आभार सहित सादर

    ReplyDelete
  3. बहुत खूबसूरत गज़ल है .पढ़वाने के लिए
    आभार ... सादर

    ReplyDelete
  4. बेहतरीन ग़ज़ल अशोक जी.....
    दिल को छु जाते हैं इसके अलफ़ाज़......

    और ऊपर जो ग़ज़ल आपने लिखी है वो निदा फाजली साहब की लिखी हुई है.

    सादर
    अनु

    ReplyDelete
    Replies
    1. अनु जी ...ऊपर वाले शे'र के शायर से रु-ब-रु करवाने के लिए
      शुक्रिया आपका !

      Delete
  5. बहुत ही नायाब पसंद आपकी, आनंद आया. शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  6. बहुत बेहतरीन सुंदर गजल साझा करने के लिए आभार ,,,अशोक जी,,

    RECENT POST: मधुशाला,

    ReplyDelete
  7. अपने साये से भी ,अश्को को छुपा कर रोना
    जब भी रोना हो ,चिरागों को बुझा कर रोना

    वाह ! बहुत ही सुंदर मत्ला है ....
    पर जिस दर्द से लिखी गई हैं ये पंक्तियाँ उस दर्द से गाईं नहीं गयीं ....

    ReplyDelete
    Replies
    1. या फिर सुनने के समय उस दर्द के माहौल का होना भी जरूरी है शायद !!!!

      Delete
    2. बहुत सही कहा जी। कभी कभी जब मन उदास हो तो उदास ग़ज़लें ही मन को प्रसन्न करती हैं।

      Delete
  8. waaaaaaaaah hot khub
    muh ki bat.............ye aalfaz shayd bashir bdr ya nida fazli ke hai or shayd ise jagjit sih ne gaya hai

    ReplyDelete
    Replies
    1. मुझे भी अभी पता चला है ....आप ठीक सोच रहे हैं ...ये निदा फाज़ली साहब की ग़ज़ल का शे'र है !
      आभार आपका !

      Delete
  9. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(4-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया वन्दना जी !

      Delete

  10. बहुत बढ़िया सलूजा साहेब !
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    lateast post मैं कौन हूँ ?
    latest post परम्परा

    ReplyDelete
  11. "मुहँ की बात सुने हर कोई
    दिल के दर्द को जाने कौन
    आवाजों के शहरों में
    ख़ामोशी पहचाने कौन...."

    सर यह जनाब निदा फ़ाज़ली साहब के शेर है !

    पूरी ग़ज़ल आप यहाँ पढ़ सकते है ... http://www.kavitakosh.org/kk/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%81%E0%A4%B9_%E0%A4%95%E0%A5%80_%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A4_/_%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A4%BE_%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%B2%E0%A5%80

    ReplyDelete
    Replies
    1. शिवम् मिश्रा जी ,
      आप का बहुत-बहुत मैं शुक्रगुज़ार हूँ ...इस शे'र के शायर से रु-ब-रु करवाने के लिए ..और पूरी खुबसूरत गज़ल पढवाने के लिए !खुश रहें!

      Delete
  12. आज की ब्लॉग बुलेटिन तुम मानो न मानो ... सरबजीत शहीद हुआ है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  13. जितनी उदास उतनी ही मिठास !

    ReplyDelete
  14. बहुत बढ़िया शायरी है। आभार।

    ReplyDelete
  15. हाथ भी जाते हुए , वो तो मिला कर न गया
    मैंने चाह जिसे ,सीने से लगा कर रोना

    वाह !!!!! खूबसूरत गज़ल, आपकी उम्दा पसंद के हम हमेशा ही कायल रहे हैं..

    ReplyDelete
  16. बहुत ही खूबसूरत गज़ल ... और उसकी अदायगी ...
    आप नगीने छांट के लाते हैं ...

    ReplyDelete
  17. लोग पढ़ लेते हैं ,चेहरे पे लिखी तहरीरे
    कितना दुश्वार है लोगो से छुपा कर रोना

    ...वाह! एक उम्दा दिल को छू जाती ग़ज़ल पढ़वाने के लिए आभार...

    ReplyDelete
  18. थमते थमते थमेंगे आंसू..,
    ये रोना है, कुछ हँसी नहीं है.....
    ----- ।। मीर ।। -----

    تھمتے تھمتے تھمےگے آنسو ..،
    یہ رونا ہے، کچھ ہنسی نہیں ہے .....

    ----- .. میر .. -----

    ReplyDelete
  19. bahut sunder sir, shayari ki duniya main ek ajeeb sa sukun hai, shayad jannat main bhi na ho.

    ReplyDelete
  20. बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल सर....!
    सोज़ में लिखे गीत...दिल के कितने क़रीब होते हैं....
    ~सादर!!!

    ReplyDelete
  21. अशोक भाई मुबारक टोरंटो प्रवास .ॐ शान्ति ....

    ReplyDelete
  22. अतिसुन्दर कोमल पदावली भाव राग आह्लादित करता हुआ ...

    ReplyDelete

मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...