Friday, August 23, 2013

माँ से मुलाकात ......ख़्वाबों में !!!

सोने से पहले, पुकारता हूँ मैं "माँ" 
कितने पवित्र ये, दो शब्द के बोल हैं 
सब दुःख दर्द, ये मेरे हर ले जाएँ 
बोल के परखो, ये इतने अनमोल हैं.... 
अशोक "अकेला"
माँ से मुलाकात ......ख़्वाबों में !!!

 जब कभी मैं, परेशानी में होता हूँ
 मैं माँ की, निगेहबानी में होता हूँ

 सोने से पहले, आँखों को धोता हूँ
 तू आ ख्वाबों में, अब मैं सोता हूँ

 वो सिरहाने मेरे, जागती है रात-भर
 मैं चैन से उसके, आँचल में सोता हूँ

 वो बेचैन हो जाती है, देख के मुझको
 मैं जब कभी डर के, सपनों में रोता हूँ

 ममता से भरा हाथ, फेरती है माथे प
 हंसी उसके लब, मैं मुस्कुरा रहा होता हूँ

 छुपा के सर गोदी में, गुदगुदा के उसको
 झूठी-मुठी रूठी माँ को, मना रहा होता हूँ ....

 काश! मेरी नींद न टूटती उम्र भर ......

अशोक'अकेला'

42 comments:

  1. सच है, निश्चिन्तता का वह भाव अवर्णनीय है।

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    1. सच कहा आपने ... अवर्णनीय!
      खुश रहें!

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  2. माँ से मुलाकात के पल कभी कम न हों, ये ख्वाब हमेशा साथ रहे... नींद में भी और नींद से परे भी!
    सुन्दर रचना!

    सादर चरणस्पर्श!

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    1. खुशियों भरा स्वस्थ जीवन हो ...आपका !

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  3. अनुपम भावपूर्ण सुंदर गजल ;?उम्दा प्रस्तुति,,,,,

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  4. वाह ,बहुत सुन्दर
    सुंदर गजल

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  5. मां की कमी आजीवन सालती रहती है, बहुत भावुक रचना.

    रामराम.

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    1. ताऊ भाई राम-राम ...जय हो मलंग बाबा की ...
      क्या कहूँ ...? खुश रहो !

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  6. काश के नींद कभी न टूटती...सच!!!
    बहुत प्यारी,भावपूर्ण ग़ज़ल.

    सादर
    अनु

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    1. अनु ...आप के लेखन में गहराई है !
      शुभकामनायें!

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  7. अशोक जी ! लाजवाब ग़ज़ल ..काश! के नींद कभी न टूटती........
    latest post आभार !
    latest post देश किधर जा रहा है ?

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  8. बहुत प्यारी,भावपूर्ण सुन्दर ग़ज़ल....

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  9. माँ का साथ हमेशा शुकूनकारी होता है

    बहुत सुन्दर
    सादर आभार !

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  10. bahut achchi kavita, duniya ki sabse pyare ehasas ko jagane wali kavita

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    1. शर्मा जी ..आपकी तरफ़ से कुछ पढने को नही मिला ....
      शुभकामनायें !

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  11. भावपूर्ण सुंदर,बहुत भावुक रचना सादर

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  12. Replies
    1. जन्म दिन की मुबारक और शुभकामनयें !

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  13. माँ के साये में .... हमेशा सुकून
    भावमय करते शब्‍द एवं प्रस्‍तुति

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    1. शुक्रिया सदा जी ...
      शुभकामनायें!

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  14. माँ की तरह कोमल भावनाओं में लिपटी रचना....बहुत प्यारी!

    ~लाल के सिरहाने जागे माँ...
    जागती माँ के सिरहाने बैठे कौन... ~

    ~सादर!!!

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    1. --माँ का वो लाल .महसूस करे जो
      करके बन्ध होठों से रहकर मौन .....

      खुश और स्वस्थ रहो ...बहुत-बहुत शुभकामनायें !

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  15. बहुत सुंदर और भावुक प्रस्तुति अशोकजी।।।

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  16. माँ का ख्याल ही सुकून दे जाता है .... बहुत भाव प्रबल गज़ल

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    1. ठीक कहा है ..संगीता जी आपने !
      मेरा तो सुकून ही ख्यालों में रहा है .....
      स्नेह के लिए आभार !

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  17. दिल को छू लेनेवाली
    प्यारी सी अति उत्तम रचना...
    :-)

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    1. शुक्रिया रीना बेटा...कैसी चल रही है नई दुनिया ....
      शुभकामनायें!

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  18. हर उम्र में माँ के लिए मन बच्चा ही रहता है.
    बहुत भावपूर्ण रचना।

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    Replies
    1. ठीक कहा डॉ.साहब आपने .....दिल तो बच्चा है जी !
      शुक्रिया जी ...

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  19. माँ की याद फिर बचपन में ले जाती है...बहुत भावमयी रचना...

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    1. ठीक कहते हैं शर्मा जी आप ....!
      आभार आपका !

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  20. वो सिरहाने मेरे, जागती है रात-भर
    मैं चैन से उसके, आँचल में सोता हूँ ..

    कभी कभी सोचता हूं ऐसे ही नहीं लिखा जा सकता ग्रन्थ माँ के ऊपर ... दरअसल माँ होती ही ऐसी है की कई कई ग्रन्थ लिख कर भी उसकी महिमा कहना आसान नहीं ...

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    Replies
    1. नासवा जी .. पुरानी चोट को कुरेदने से दर्द होता है ..और नई चोट तो बस दुखती ही रहती है ..न जाने कब तक .....!
      आपके लिए शुभकामनायें !
      स्नेह के लिए आभार !

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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