tag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post2664340765097566061..comments2024-03-12T09:30:33.951+05:30Comments on यादें...: mera bachpanअशोक सलूजाhttp://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-57257887065801933202011-06-11T21:30:02.719+05:302011-06-11T21:30:02.719+05:30धन्यवाद की कोई आवश्यकता नही वीरजी ! और...कुछ ना कह...धन्यवाद की कोई आवश्यकता नही वीरजी ! और...कुछ ना कहिये बिना कहे शब्दों को भी सुनना जानती हूँ,समझ लेती हूँ.किसी की रचनाओं ,उसके पसंद के गानों ,उसके पोस्ट किये चित्रों से उस व्यक्तित्व को पढ़ लेती हूँ.<br />जो हूँ जैसी हूँ बिना किसी आवरण के हूँ.छल कपट से सख्त नफरत करती हूँ.बस ऐसिच हूँ मैं.सबको खूब प्यार करती हूँ बिना किसी अपेक्षा के ....बिना किसी स्वार्थ के. <br />न न न स्वार्थी नम्बर वन हूँ जो करती हूँ अपने सुकून के लिए करती हूँ और 'उसकी' लाडली बेटी हूँ इस तरह यहाँ जी कर जाना चाहती हूँ कि वो मुझे पास बुला कर गले लगाए और कहे -'मेरी बिटिया तु आ गई.' हा हा हा <br />'जीवन में जो पाया ' उसका ज़िक्र आपकी अगली रचना में पढ़ने को मिलेगा इसी आशा के साथ.<br />स्माइल प्लीज़Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-54481957238314171372011-06-11T20:31:07.725+05:302011-06-11T20:31:07.725+05:30@ इंदु पुरी जी ,
मुझे तो ठीक से धन्यावाद करना भी ...@ इंदु पुरी जी ,<br /><br />मुझे तो ठीक से धन्यावाद करना भी नही आता ..... क्या कहूँ ..<br />आप के आदर से भरपूर शब्दों के लिये ...<br />बहुत सारी शुभकामनाएँ !<br />आप के अच्छे स्वास्थ्य के लिये !अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-40765675870973679152011-06-11T17:06:56.384+05:302011-06-11T17:06:56.384+05:30जिंदगी से इतने निराश क्यों हैं,अकेलेपन को ओढ़ सा लि...जिंदगी से इतने निराश क्यों हैं,अकेलेपन को ओढ़ सा लिया है.आप लेखक नही है तो क्या हुआ कितनी इमानदारी से सरल शब्दों में अपने मन की बात लिखते हैं.लगने लगा मनो आपकी हर शरारत में मैं भी आपके साथ थी.ये सहजता और सरलता आपके लेखनी की ख़ूबसूरती है सखे ! इतना बहादुर मेरा बुजुर्ग दोस्त ,मेरा वीर जिसके पास अनुभवों का अकूत खजाना है वो अकेले कैसे हो सकता है.गंदी बात अब उदासी भरा लिखा तो .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-62058496625504550372011-04-12T09:29:52.293+05:302011-04-12T09:29:52.293+05:30डाक्टर साहिबा ,आप जैसी लेखिका ने एक बिन माँ के बच्...डाक्टर साहिबा ,आप जैसी लेखिका ने एक बिन माँ के बच्चे के भावो को पड़ कर सराहना की ...बहुत भावुक हूँ मैं !<br />ये मेरी कविता नही ,ये मेरा बिताया हुआ बचपन है !आज मैं ७० वे साल मैं हूँ !और ये मन की बातें १२-१३ साल पहले लिखी थी | आज जैसी सुविधा नही थी ! और न ही मैं कोई लेखक !<br />सिर्फ ये दिल के एहसास हैं !<br />बहुत खुश और स्वस्थ रहें |<br />अशोक सलूजा !अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-90400010950379609552011-04-12T00:16:36.953+05:302011-04-12T00:16:36.953+05:30ये सभी कविताएं एक अलग ही भाव-संसार में ले जाती हैं...ये सभी कविताएं एक अलग ही भाव-संसार में ले जाती हैं...बहुत ही गहरे भाव !....बधाई !Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.com