tag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post339632106366282856..comments2024-03-12T09:30:33.951+05:30Comments on यादें...: देख और सुन रोज़ की महंगाई.....अशोक सलूजाhttp://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-31063858892339316172011-10-21T20:57:12.815+05:302011-10-21T20:57:12.815+05:30दो पैसे का एक टक्का पुराना
दो टक्के बनता,फिर एक...दो पैसे का एक टक्का पुराना<br /> दो टक्के बनता,फिर एक आना <br /> चार पैसे की बने, एक इकन्नी <br /><br />यार चाचू, हमें तो दो पैसे का अधन्नी/अधन्ना याद है.<br />सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-69354484518932850632011-10-19T10:42:24.728+05:302011-10-19T10:42:24.728+05:30सुन्दर ,मनोहर ,अनुकरणीय .आभार .सुन्दर ,मनोहर ,अनुकरणीय .आभार .संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-24018637676014437282011-10-18T17:09:01.796+05:302011-10-18T17:09:01.796+05:30वाह ... कहीं न कहीं धुंधली यादें है अभी भी जेहन मे...वाह ... कहीं न कहीं धुंधली यादें है अभी भी जेहन में जिनको आप ता कर रहे हैं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-43010716515215439912011-10-17T14:46:31.586+05:302011-10-17T14:46:31.586+05:30यादों को सहेजती हुई सुंदर प्रस्तुति!
सादर!यादों को सहेजती हुई सुंदर प्रस्तुति!<br />सादर!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-21419797743179023302011-10-17T13:41:40.148+05:302011-10-17T13:41:40.148+05:30♥
गुज़रा हुआ ज़माना आता नहीं दुबारा …
आपने ...<b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">♥</a></b> <br /><br /><br /><b> गुज़रा हुआ ज़माना आता नहीं दुबारा … </b> <br />आपने तो वो ज़माना देखा है … <br />मैं भी अपनी मां के मुंह से सुनता रहता हूं … <br />पहले मेरे बाबूजी भी कहते थे …<br />एक रुपये का दस सेर दूध … और भी जाने क्या क्या ! <br />कच्ची पाई तथा गत्ते के सिक्के और वाकायदा कौड़ियों में घर-गृहस्थी का सामान मिल जाना … <br />सपनों -सी लगती हैं बुजुर्गों से सुनी सब बातें !<br /><br />…और , अब तो हम ख़ुद भी अपने हाथ से निकल चुके वक़्त की याद में उदास हो जाते हैं … <br />आगे पता नहीं कैसा ज़माना बच्चों को मिलने वाला है … … …<br /><br />मैं आपकी रचना की रूह तक पहुंचा हूं , और आपकी रचना मेरी आत्मा तक … ! <br /><br /> आभार <b>आदरणीय चाचू अशोक सलूजा जी ! </b> <br />आपका स्वास्थ्य अच्छा होगा … घर में कुशल-मंगल होगा !<br /><br /> <br />त्यौंहारों के इस सीजन सहित <br />आपको सपरिवार <br /><b>दीपावली की अग्रिम बधाइयां ! <br />शुभकामनाएं ! <br />मंगलकामनाएं !</b> <br />-राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-66667205171001063362011-10-16T23:05:17.540+05:302011-10-16T23:05:17.540+05:30Sir,aapki kavita padh kar to bus itna hi lag raha ...Sir,aapki kavita padh kar to bus itna hi lag raha hai-"kaash laut aaye vo zamana purana jo tha itna suhana":)नश्तरे एहसास .........https://www.blogger.com/profile/12413478447349797313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-81625262164330493582011-10-16T18:49:53.236+05:302011-10-16T18:49:53.236+05:30दास्ताने इकन्नी ,दुहान्नी ,चवन्नी अब इतिहास है याद...दास्ताने इकन्नी ,दुहान्नी ,चवन्नी अब इतिहास है यादें बाबा के दौर की दिलवा दीं"यादें "ने .बाबा शाम को सब बच्चों को दो दो पैसे देते थे .बच्चे भी ढेर सारे होते थे .हम लोग कभी इमारती तो कभी ज़लेबी कभी गुड के सेव खाते थे ढेर सारे आते थे .अब फल तरकारी खाओ रहो बने .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-47342943530661053022011-10-16T12:16:28.535+05:302011-10-16T12:16:28.535+05:30हा हा हा कितना कुछ याद दिला देते हो आप.मुझे तो तान...हा हा हा कितना कुछ याद दिला देते हो आप.मुझे तो तान्मे की एक पाई भी याद है और एक ताम्बे का पैसा भी. आपने तो पेयों पर क्या खूब कविता ही लिख दी. सीधी सरल बह्षा दिल के ज्यादा करीब होती है.आप जो लिखते हो वो उसी भाषा में लिखते हो.इसलिए पढ़ना समझना सब आसान हो जाता है वीर जी ! जगजीत जी गलज भी सुन आई हूँ आपके ब्लॉग पर.इन्दु पुरीhttps://www.blogger.com/profile/10029621653320138925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-48034534600239811822011-10-14T16:27:18.148+05:302011-10-14T16:27:18.148+05:30अब पसंद अपनी का सुन रहे थे गाना
रफ़ी साहेब गा रहे थ...अब पसंद अपनी का सुन रहे थे गाना<br />रफ़ी साहेब गा रहे थे अपना अफसाना <br />परदेसियों से न अखियाँ लगाना <br />परदेसियो को हैं इक दिन जाना<br />चल ढूंढे अब अपना ठिकाना <br />मानो न मानो, क्या था जमाना||-गुजरा ज़माना बचपन का हाय रे अकेले छोड़ के जाना और न आना बचपन का आया है मुझे फिर याद वो ज़ालिम ,वो खेल वो साथ ,वो झूले फिर दौड़ के कहना आ छूले हम आज तलक भी न भूले<br />वो ख़्वाब सुहाना बचपन का आया है मुझे फिर याद वो ज़ालिम .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-77249242934867590422011-10-14T13:00:18.296+05:302011-10-14T13:00:18.296+05:30http://urvija.parikalpnaa.com/2011/10/blog-post_14...http://urvija.parikalpnaa.com/2011/10/blog-post_14.htmlरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-24959137171633815962011-10-14T08:18:40.652+05:302011-10-14T08:18:40.652+05:30आपने यादों को बहुत अच्छी तरह सहेजा है।आपने यादों को बहुत अच्छी तरह सहेजा है।डॉ. दलसिंगार यादवhttps://www.blogger.com/profile/07635372333889875566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-34279539442022119962011-10-14T07:44:26.671+05:302011-10-14T07:44:26.671+05:30सचमुच गुजरा जमाना कभी लौट कर नहीं आता ! आज कल या आ...सचमुच गुजरा जमाना कभी लौट कर नहीं आता ! आज कल या आने वाले वक़्त में लोग सिर्फ महगाई कि ही कविता लिख सकेंगे !बहुत पसंद आई आपकी रचना !Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-16780066861862684212011-10-13T22:43:06.926+05:302011-10-13T22:43:06.926+05:30सच है समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता है..... सुंदर प...सच है समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता है..... सुंदर प्रस्तुति डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-16477180564183276542011-10-13T22:24:22.190+05:302011-10-13T22:24:22.190+05:30क्या बात है. भुलाये नहीं भूल सकता है कोई वो छोटी र...क्या बात है. भुलाये नहीं भूल सकता है कोई वो छोटी रातें वो लम्बी कहानी.<br />अतीत का सुंदर चित्रण.संतोष पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/06184746764857353641noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-43200040801081956722011-10-13T18:30:35.946+05:302011-10-13T18:30:35.946+05:30जिंदगी का पूरा सफ़र तय कर डाला ।
एक आने की महिमा ...जिंदगी का पूरा सफ़र तय कर डाला ।<br />एक आने की महिमा ग़ज़ब थी ।<br />सच है , अब यादों के सिवाय क्या रखा है ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-12517150875289496492011-10-13T16:33:54.426+05:302011-10-13T16:33:54.426+05:30समय चाहिए आज आप से,
पाई फुर्सत बाढ़ - ताप से |
पर...समय चाहिए आज आप से, <br />पाई फुर्सत बाढ़ - ताप से |<br />परिचय पढ़िए, प्रस्तुति प्रतिपल, <br />शुक्रवार के इस प्रभात से ||<br />टिप्पणियों से धन्य कीजिए, <br />अपने दिल की प्रेम-माप से |<br /><a href="http://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a><br /><br />की बाढ़े शोभा , <br />भाई-भगिनी, चरण-चाप से ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-17984734300314151832011-10-13T13:55:29.585+05:302011-10-13T13:55:29.585+05:30उस समय जेब में चार आना होता था पर मन में अमीरी छाय...उस समय जेब में चार आना होता था पर मन में अमीरी छायी रहती थी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-78423133317933921492011-10-13T13:10:59.343+05:302011-10-13T13:10:59.343+05:30Bahut sundar, really goodone, Saluja sahaab !Bahut sundar, really goodone, Saluja sahaab !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-89591752364754304912011-10-13T12:22:06.629+05:302011-10-13T12:22:06.629+05:30लौटा दिया आपने पुराना ,ज़माना हमें थमाके एक आना .
क...लौटा दिया आपने पुराना ,ज़माना हमें थमाके एक आना .<br />किसकिस को सुनाये ये फ़साना ,किस्सा है बहुत पुराना .<br />हम न सुनें कोई बहाना .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-43238254464381069662011-10-13T11:42:03.638+05:302011-10-13T11:42:03.638+05:30अशोक जी आपकी कविता पढ़ते पढ़ते अपना बचपन याद आ गया...अशोक जी आपकी कविता पढ़ते पढ़ते अपना बचपन याद आ गया...कैसे बढ़िया दिन थे वो...जाने कहाँ गए वो दिन...चीजें सस्ती थीं लोग भले थे खुले दिल से मिला करते थे कोई दुराव छुपाव नहीं था...कोई प्रदुषण नहीं था...पैदल या साइकिल पर चला करते थे...छोटे छोटे शहर थे जिन्हें एक सिरे से दूसरे सिरे तक नापना कितना सहज हुआ करता था...अब तो सब बदल गया है...पहले जेब में रुपया ले कर जाते और थैले में सामान भर लाते थे अब रुपया थैले में भर कर ले जाते हैं और जेब में सामान रख लाते हैं...दुनिया बदल गयी प्यारे...आगे निकल गयी प्यारे...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-43658807524900275322011-10-13T11:35:30.435+05:302011-10-13T11:35:30.435+05:30wah, bahut shaandar hai.
दुनाली पर आएं, आपका स्...wah, bahut shaandar hai. <br /><br />दुनाली पर आएं, आपका स्वागत है-<br /><a href="http://mydunali.blogspot.com/2011/10/blog-post_12.html" rel="nofollow">पिगविजय की चिट्ठी पहुंची भालेगण सिद्धी</a>Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13342084356954166189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-34165026248259172642011-10-13T11:30:07.546+05:302011-10-13T11:30:07.546+05:30अब चारो तरफ है मौल ही मौल
कुछ लेने से पहले जेब क...अब चारो तरफ है मौल ही मौल <br /> कुछ लेने से पहले जेब को तौल <br /> अब न आएगा वो वक्त पुराना <br /> क्या था वो भी वक्त सुहाना <br /> चलता था जब इक आना पुराना <br /> मानो न मानो, क्या था जमाना ||<br />wakai.... bahut achha lagaरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com