Thursday, February 04, 2016

कितना अब और इंतज़ार करूँ मैं...???


हद हो गई इंतज़ार की ....इधर तो कोई 
झाँक के भी राज़ी नही लगता ...किसी को 
क्या कहें ..यहाँ अपना भी ये ही हाल है ..इधर आते
आते आज छे महीने होने को आ रहे हैं ???पता नही 
क्यों ...पर यहाँ जैसा अपनापन कहीं नही ..यहाँ आ कर 
ऐसा लगता है जैसे भूला भटका शाम को अपने घर आ 
जाये ....और भूला न कहलाये ....
फेस बुक तो है...जब तक आबाद 
ब्लॉग तो रहेगा ..हमेशा ज़िन्दाबाद||
कितना अब और इंतज़ार करूँ मैं...???
 पूछता तो हूँ हमेशा ...फिर बार बार करूँ ....
 आरज़ू है मेरी तेरा ,  मैं 
दीदार करूँ

 तू न मिले मुझसे, मैं 
 इसरार करूँ 

 तू निबाहे न वादा , मैं 
 ऐतबार करूँ 

 तू आये गी अभी, मैं
 इंतज़ार करूँ 

 तू चाहे न करे प्यार, मैं 
 बार-बार करूँ 

 तू उठवाये मुझसे कसमें , मैं
 इकरार करूँ

 अब तो आजा तुझसे, मैं 
 प्यार करूँ

 माने न तू मुझको अपना , मैं
 जाँ निसार करूँ

 आखिर इक अदना सा इंसान , मैं 
 कितनी मनुहार करूँ ..???

अशोक 'अकेला '



16 comments:

  1. इन्तजार की घडी अनंत है ....बहुत सुन्दर रचना

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    1. बगुत-बहुत आभार आप के स्नेह का प्रसाद जी....

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  2. दिल की आवाज शब्दों में साफ़ सुनाई पड़ रही है , सर !
    आपके स्वस्थ जीवन और सुखमय पलों की कामना करता हूँ !

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    1. गोदियाल जी ..आप का स्नेह दिल को बाग़ - बाग़ कर गया |
      आप के स्वास्थ्य के लिए दिल से मंगल कामना करता हूँ ...

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  3. आप के स्नेह का आभारी हूँ जी .....

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  4. बहुत ही सुन्दर नज्म अशोक जी , पढ़कर ये अहसास होता है की जज्बात की कोई उम्र नही होती.

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  5. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " भारत और महाभारत - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  6. आप के स्नेह का आभार शिवम् जी ....

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  7. Replies
    1. प्रवीण जी ..आप के स्नेह का बहुत बहुत आभार जी .स्वस्थ रहें .

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  8. इंतज़ार हनेशा मीठा होता है ... फिर मिलन हो जाता है तो इंतज़ार का मजा तो ख़त्म ही हो जाता है ... पर फिर भी कामना तो मिलन की ही होती है ...

    कैसे हैं आप ... में बिलकुल ठीक हूँ ... करीब ३ महीने से फरीदाबाद ही हूँ ... कई बार आपका ख्याल आया हालांकि ब्लॉग जगत में भी तीन चार महीने बाद ही आया ... शायद दिल दे दिल की राह थी तभी तो ब्लॉग पर आते ही आपका समाचार आया ...

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    1. खुश रहिये नासवा जी ...शुक्रिया आप का ..

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  9. सच्चे प्यार में ही मनुहार की सबसे बड़ी गुंजाइश रहती हैं ...तंगदिल प्यार में नहीं ...
    बहुत सुन्दर रचना ...

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    1. बहुत-बहुत आभार कविता रावत जी आप का ..,

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  10. खूबसूरत अभिव्यक्ति सलूजा जी

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    1. बहुत-बहुत आभार कुशवंश जी आप के स्नेह का ...

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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