tag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post7455123947853568273..comments2024-03-12T09:30:33.951+05:30Comments on यादें...: एक अपील ....अपने चाहने वालों से ...अशोक सलूजाhttp://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-14586629495593921722011-04-24T21:59:58.267+05:302011-04-24T21:59:58.267+05:30आदरणीय सलूजा साहब, आज मेरे पोस्ट पर आपके कमेन्ट ने...आदरणीय सलूजा साहब, आज मेरे पोस्ट पर आपके कमेन्ट ने और आपकी इस पोस्ट ने मुझे भावुक कर दिया.<br />मैं कुछ अपने में सिमटा हुआ और कुछ तमाम मसरूफियत से घिरा रहा और आपके ब्लौग पर मेरी नज़र पहले नहीं पडी. जबसे ब्लौग जगत के बड़े एग्रीगेटर बंद हुए हैं तबसे नए ब्लौगों की जानकारियां मिलना कम हो गया है.<br />बहरहाल... मुझे आपका लिखा पढ़कर बेहद ख़ुशी हुई. अब आपकी पुरानी पोस्टों की ओर रुख करने से पहले यह कहता चलूँ कि टिप्पणियों की परवाह किये बिना अपने दिल की बात लिखना ही सर्वश्रेष्ठ लेखन नीति है. मेरे ब्लौग पर रोजाना सैंकड़ों लोग आते हैं पर टिप्पणियां आमतौर पर दस-बीस से ज्यादा नहीं होतीं. मेरे लिए सैंकड़ों लोग अधिक महत्वपूर्ण हैं बनिस्पत चंद टिप्पणियों के.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-23412467032185541122011-04-22T10:26:28.264+05:302011-04-22T10:26:28.264+05:30एक ही बात कहूँगा यहाँ कोई डाक्टर नहीं है और सब डाक...एक ही बात कहूँगा यहाँ कोई डाक्टर नहीं है और सब डाक्टर हैं । इसलिये हम स्वांत सुखाय के मुताबिक अपना लेखन-पठन कर्म करते चलें । टिप्पणी दें या न दें हमारा अपना फैसला हो सकता है लेकिन मुझे लगता है कि नहीं देना भी सही नहीं है क्योंकि घुलने-मिलने व जिस अपनत्व की चाह में हम यहाँ आए हैं उससे शायद वो मकसद अधूरा रह सकता है । आगे आप उम्र के मुताबिक भी अधिक अनुभव रखते हैं । शुभकामनाएँ...Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-2099727378419948942011-04-21T13:32:17.852+05:302011-04-21T13:32:17.852+05:30सलूजा जी मुझे भी आए कोई ज्यादा समय नहीं हुआ है और ...सलूजा जी मुझे भी आए कोई ज्यादा समय नहीं हुआ है और जब आई थी तो कोई रस्म-रिवाज नहीं पता था न अब पता है और किसी राजनीति से दूर अपने ब्लॉग पर लिख रहीं हूं...खट्टी-मीठी टिप्पणियों से सीखने को मिलता है, उत्साह बढ़ता है, अपनी रचनाओं पर दूसरों के विचार मिलने से एक संतोष मिलता है और कहीं न कहीं हम एक-दूसरे से भावनात्मक स्तर पर जुड़ते हैं...यह सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि इस दुनिया में जहां कभी न कभी आप खुद को अकेला पाते है वहां भावनात्मक स्तर पर आपको सबका प्यार और बड़ों का आशीर्वाद मिले मेरे लिए तो यह अनमोल है। आप से यह उम्मीद नहीं कर रही कि आप टिप्पणि करें, न किसी से करती अगर मन को अच्छी लगती है और मित्रों या अपने से छोटों को कुछ अच्छा लिखते देखती हूं तो उनका उत्साह बढ़ाने को जी चाहता है ...तभी तो वो लोग और अच्छा लिखेंगे...एक अच्छा और रचनात्मक कार्य कर रहे हैं...कोई बुरा काम तो नहीं, इसमें तो सहयोग ही होना चाहिए...और बड़ों की राय हमेशा कुछ सिखाती है.... आप अपनी राय से क्यों महरूम रखना चाहते हैं... वैसे फैसला निश्चित रूप से आपका होगा। आप बड़े हैं, सोच सकते हैं...पर उस खुशी को महसूस करिएगा जो आप की प्रशंसा से किसी को मिलेगी या उसे अपनी गलती पता चलेगी...वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-23132047396856624032011-04-21T10:43:32.485+05:302011-04-21T10:43:32.485+05:30आदरणीय गुरु भाई ,
हिंदी ब्लॉग जगत में मेरा अनुभव भ...आदरणीय गुरु भाई ,<br />हिंदी ब्लॉग जगत में मेरा अनुभव भी लगभग ऐसा ही है ! यहाँ तरह तरह की समझ वाले लोग सक्रिय हैं जिनसे आनंद कम, कष्ट अधिक मिलता है अतः बहुत भावुक और अच्छे दिल वाले लोगों को चोटें अधिक लगती हैं ! अक्सर लोग आपका लेख पढने से पहले ही आपके बारे में आपने विचार बनाये होते हैं...समय के अभाव में सरसरी नज़र में पढ़कर, बिना सोंचे समझे प्रतिक्रिया देने का रिवाज है यहाँ जो अक्सर संवेदनशील लोगों के लिए अधिक कष्टदायी रहता है !<br />टिप्पणियां न देने का अथवा कम देने का फैसला बिलकुल ठीक है ...यकीनन लोग चलते रिवाज के कारण, आपके ब्लॉग पर टिप्पणिया नहीं करेंगे ! मगर जो भले हैं जिन्हें अच्छा चाहिए वे बिना आपकी टिप्पणियों के भी आपको पढना जारी रखेंगे ! <br />मुझे लगता है भीड़ द्वारा पढ़े जाने से बेहतर है कि चंद लोग पढ़ें .... <br /><b>अगर हम लोग किसी अच्छे आदमी को इज्ज़त न दे सकें तो कम से कम उसे कष्ट न पंहुचाएं ....उम्मीद करता हूँ कि धीरे धीरे लोग यह समझेंगे ! :-) <br /></b>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-1108539116556057022011-04-21T09:12:17.393+05:302011-04-21T09:12:17.393+05:30अशोक जी आप लिखें हम पढ रहे हैं लेकिन आपकी इस बात स...अशोक जी आप लिखें हम पढ रहे हैं लेकिन आपकी इस बात से सहमत नही कि आप कहीं टिप्पणी नहीं करेंगे क्यों कि अगर आप खुद को बडे{उम्र से} कहते हैं तो ये भी जरूरी है कि आप अपने से छोटेओं का उत्साहवर्द्धन करें, सब से अपने अनुभव बाँटें। आखिर जब एक लेखक मेहनत करता है तो उसे आशा तो होती है कि उसकी रचना को हर कोई पढे लेकिन वो किसी को न पढे अगर पढे भी तो किसी को पता न चले। विचार बांतने से और दूसरों के साथ वार्तालाप से ही लेखन मे आगे बढा जा सकता है। आप बेशक हमारे ब्लाग पर न आयें मगर जब भी आपकी पोस्ट पर अपनी नज़र पडेगी तो जरूर पढेंगे। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8188293859921532269.post-62355919966979997792011-04-21T09:08:33.413+05:302011-04-21T09:08:33.413+05:30सलूजा साहब , सही है ! मैंने तो यह टिपण्णी का मर्ज ...सलूजा साहब , सही है ! मैंने तो यह टिपण्णी का मर्ज कभी पाला ही नहीं! बस, एक ही नारा है अपना तो कि जो दे उसका भी भला , जो न दे उसका भी भला ! अगर आपके पास कोई कौशल है तो उसे तो कोई आपसे छीन नहीं सकता ! टिपण्णी वही प्रिय लगती है जो दिल से निकली हो , इसलिए मैं बहुत सीमित मात्रा में जो कुछ प्रिय ब्लॉग है वहीं तक जाता हूँ और टिपण्णी करता हूँ ! आप भी अपने आपमें और अपने लेखन में मस्त रहे यही कामना है ! भाड़ में गई टिप्पणिया !!पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.com