Saturday, February 28, 2015

पुराना,मैं समाचार हूँ !!!!

बहुत वक्त लगा दिया मैंने, ये महसूस करने में,
अब मेरे ज़ज्बातों की कीमत, कुछ भी नही.....
--अशोक'अकेला'
पुराना,मैं समाचार हूँ !!!!
 मैं बीच मझधार हूँ ,
बड़ा ही लाचार हूँ

 कोई न पढ़ें मुझको 
 मैं वो बासी अखबार हूँ 

 कोई न डाले गले मुझको
 मुरझाया फूलों का हार हूँ

 न कोई अब सुनें मुझको 
 पुराना वो मैं समाचार हूँ 

तालाबंधी हो गई जिसकी 
 मैं वो लुटा कारोबार हूँ 

 याद करता हूँ , समय सुहाना 
 भटकता उसमें, मैं बार-बार हूँ

 दोनों हाथों से थामें सर को सोचता,
 मैं क्यों हुआ बेकार हूँ

 जो प्यार लुटाते हैं,अपना मुझ पर
 मैं उनका भी दिल से शुक्रगुजार हूँ

 अब प्यार से पाल रहें ,वो मुझको 
 रहा जिनका मैं कभी पालनहार हूँ

 हंस के कहते है सब ग़म न कर 
 जो है उनमे, वो दिया मैं संस्कार हूँ 

 वो तो हैं, अब भी मेरे सब अपने
 बस मैं ही 'अकेला' अब बेज़ार हूँ |

अशोक'अकेला''



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