Monday, June 23, 2014

क़ुदरत की बक्शी...मुस्कुराती यादें !!!

आज लगभग तीन महीने होने को हैं ...जब से एक भी 
पोस्ट नही लिख पाया ...कारण,पिछले काफ़ी दिनों से 
मेरा डेरा धनोल्टी (मसूरी) में था और वहाँ बी.एस.एन एल
इन्टरनेट की अच्छी सुविधा न होने के कारण न चाहते हुए 
भी ऐसा हो गया .. न कुछ लिख सका .न किसी ब्लॉग पर 
आप से रु-ब-रु हो सका ...इसके लिए आप सबसे माफ़ी का 
तलबगार हूँ ..आप सब खुश रहें .स्वस्थ रहें |
वहाँ रहकर जो एहसास मुझे हुआ,जो मेरे दिल ने महसूस 
किया उसे अपने सीधे-सादे लफ़्ज़ों में आप के सामने रख 
रहा हूँ ....
आभार | 
आज भी वो इक सपने सी बात लगती है 
हुई मुद्दतों पहले, कल की बात लगती है....
--अशोक"अकेला" 
करी थी जब हमने बहुत खुल के बातें ,
आज वो भी इक छोटी मुलाकात लगती है 

देखने की चाहत है उस सपने को अब भी  
आज बरसों की लम्बी सी इंतज़ार लगती है 

बंद आँखों से महसूस होता है आज मुझको 
वो मुझे देख मंद-मंद मुस्कुराती सी लगती है 

बदली से निकले बेकरार चाँद जिस तरह 
वो काले गेसुओं से झांकती सी लगती है 

फिर चली दिल में ठंडी झूमती सी हवाएं 
खुशबु झोंकों से उठती बयार सी लगती है

चलो कुछ देर को, दिल को करार तो आया  
जानता हूँ, झूठी नकली सी बहार लगती है 

आज इन फ़िज़ाओं के साथ मिल के लगे है ऐसा 
मैं कभी 'अकेला' न था, कुदरत मेरे साथ चलती है.... 
अशोक'अकेला'


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