Sunday, February 23, 2014

अब मर्ज़ी नही हमारी ... है अब.. वक्त की बारी !!!

अब मर्ज़ी नही हमारी ...
      है अब.. वक्त की बारी !!!
सुना करते थे, जीवन में
 इक दौर ऐसा, भी आता है
 अकेले, पड़े रहोगे कोने में
 झाँकने न कोई आता है...

अब इंतज़ार रहता है हरदम
 घर में किसी के आने का ,
 भूले-भटके ही सही...
 किसी के द्वारा हाल पूछे जाने का..

 जब दिल में दर्द होता है
 तो इक टीस सी उठती है
 चीख तो निकलती नही
 बस सांस सी घुटती है...

 आज सोच मेरी आँखों में
 आ जाती है नमी,
 किसी को अब महसूस
 होती नही मेरी कमी...

 माँ कहतें हैं जिसे काश!
 कि वो मेरी भी होती, 
 मैं भी गिरता आज बन
 किसी आँख का मोती...

 न रहे अब वो यार
 न किसी से यारी है
 कुछ को खा गया वक्त
 कुछ को खाने की तैयारी है...

 दिल के दर्द को.... जाने कौन 
 जिसने सहा.... बाकि सब मौन!!!

अशोक'अकेला'





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