जो बीत रहा, वो आज है....
जो गुज़र गया वो कल था
जो बीत रहा वो आज है
कल मालिक था
वो तख्तो-ताज का
आज बन गया सिर्फ
इक दबी आवाज़ है
वो कल था ,ये आज है ......
कल बहारें थी ,
सपनों का दौर था
आज वीराने हैं ,
खांसी का शोर है
वो कल था, ये आज है .....
क्या पापा..आप का
जमाना और था
आज हम हैं ..आज का
ज़माना और है
वो कल था, ये आज है .....
मेरे कानों में जब भी
सुनाई पड़ता है
मुझ को ये जुमला
दोहराया लगता है
वो कल था, ये आज है ....
आँख में थी रौशनी ,
और चेहरे पर नूर था
घुसा मोतिया आँखों में ,
हो गया चेहरा बे-नूर है
वो कल था, ये आज है .....
ये जिन्दगी का पहिया बस
यूँ ही चलता रहेगा
कल आज में और आज कल में
बस ढलता रहेगा
वो कल था, ये आज है .....
कल तक नज़ाकत थी
बहारें थी, नजारे थे
जिस तरफ़ प्यार से देखो लो ,
सब हमारे थे
क्योंकि वो कल था, ये आज है...
खुरदरे हो गये हम ,
वीरान हो गयी बहारें
धुंधला गये नजारे.....
डाल के माथे पे सिलवट,
जिधर देखें, वो बोलें
हम न थे कभी तुम्हारे....
क्योंकि वो कल था, ये आज है ....
कल जो आवाज़ थी वो
गुज़रे कल की बात थी
ये जीता-जागता आज है
आज वो बे-आवाज़ है
मुस्कराओ ,ख़ुशी मनाओ ,
गुनगुनाओ आज के गीत
वो कल था, ये आज है .....
वो हमारा समाज था
ये आज का समाज है
वो कल था, ये आज है .....
-अकेला