कैसा है मन, कभी-कभी
ये यूँ भी उदास होता है...
सब कुछ है,पास फिर भी
खालीपन का अहसास होता है....
---अशोक'अकेला'
यहाँ हर शख्स ......उदास सा क्यों है ???
बलाएँ अपनों की लिए जा रहा है
भ्रम के दायरे में जिए जा रहा है
खा रहा है अपने ही खून से दगा
और खून के घूंट पिए जा रहा है
रह-रह के करता है यकीं उसी पर
जो ठोकर पे ठोकर दिए जा रहा है
बहुत समझाया दिल को मैंने अपने
दिल झूठी तसल्ली दिए जा रहा है
ग़र गुनाह करे,आज की औलाद
कसूर संस्कारों को दिए जा रहा है
जननी भी साथ देती है औलाद का
जन्मदाता ग़म को पिए जा रहा है
है भारतवासियों का ही दस्तूर यह
फिर भी उम्मीद पे जिए जा रहा है... |
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अशोक'अकेला' |