Thursday, June 27, 2013

सुकून मिलता है ....अतीत में !!!

मैं देखता हूँ ,अपने अतीत में
तूने डेरा अपना जमा रखा है   
दिल के हर टूटे हुए टुकड़े में 
तूने चेहरा अपना छुपा रखा है
---अशोक "अकेला "

सुकून मिलता है ....अतीत में !!!

ज्यों काफ़िर मुहँ से लगी छूटती नही
 ये यादों की लड़ी कभी भी टूटती नही

 कुछ अरसे के लिए हो जाता हूँ ,बेखबर
 फिर भी ये कभी मुझसे यूँ रूठती नही

 करने लगता हूँ याद बीती हुई यादें तभी
जब कभी मुझे कोई ख़ुशी सूझती नही

इन में समाई हैं मेरे सुख-दुःख की हवाएं
 जिन्हें आज की ज़हरीली हवा लूटती नही

 बिखर जाती है मेरी सोच अनेक यादों में
 वहाँ कोई भी आँख, शक से घूरती नही

 पलट के देखने दो मुझे यादों की तरफ
 चारों तरफ अब मेरी निगाह घूमती नही

 लौट के सुकून मिल जाता है 'अकेला' अतीत में
 वर्तमान में तो अब सुकून की हवा झूमती नही....


खुश रहें,स्वस्थ रहें !
कैनेडा ,टोरंटो से ....









Thursday, June 13, 2013

मौसम आयेंगें.... मौसम जायेंगें......!!!


आज का मौसम देख कर परदेस में अपने देस की बहुत
याद आ रही है,देस में गर्मी से आप झुलस रहें है .और यहाँ
जनवरी का मौसम बना हुआ है ,और मैं अपने कानो पर
हेडफोन लगाये हुसैन बन्धुओं से ..मौसम आयेंगे ,मौसम
जायेंगें ...हम तुम को न भूल पायेंगें.....सुन रहा हूँ और
अपने देश के मौसम को याद करके उसका मज़ा ले रहा हूँ ....
वहां के मौसम की यादों के साथ अपने आप को बहने से
रोक नही पा रहा हूँ ,,,,,
वो सर्दी के मौसम में सुबह की धूप का मज़ा,
वो सर्दी की लम्बी रातों में लिहाफ़ में सोने का मज़ा और फिर चुस्कियां
ले ले कर गर्म -गर्म चाय पीने का मज़ा .....
और अब गर्मी की झुलसती धूप की दोपहरी का सूनापन ,
धूल भरी आँधियों के शोर में शाम की ठंडी-ठंडी हवाओं का इंतज़ार ...
साथ में ठन्डे-ठन्डे तरह-तरह के पेय को पीने की ललक ..वाह!
उसका मज़ा भी अपना ही है ......गर्मी को दूर करने के तरह-तरह
 के उपाय वाह!.....
और फिर सावन की ठंडी-ठंडी फुहारों का इंतज़ार ....सावन के गीत ,
सावन के झूले ,सावन की बारिश... आँख बंद करके छीटों से चेहरे
को भिगोना और अपने चाहने वालों की यादों में खो जाने ...का मज़ा
ही अपने देस में है ....
शायद इसी लिए परदेस में देस की बहुत याद आती है .....
वैसे भी तो हम हिन्दुस्तानी है ...भावुक होना हमारी फितरत
और दूर जा कर अपनों को याद करना ,कद्र करना ही हमारी
रगों में समाया है ....
पास रहकर हम हो जाते है लापरवाह
दूर होते ही ,पुकारते है आ तू पास आ .....
चलिए ..छोडिये ..लिखना मुझे आता नही और मैं भावुकता
में बहता जा रहा हूँ ....
बाकि की कसर मैं अपने हुसैन बन्धुओं की ये खुबसूरत
मौसमों के ऊपर गाई ग़ज़ल आप सब को सुनवा कर अपने
ज़ज्बातों को महसूस कराने की कोशिश करता हूँ....
उम्मीद करता हूँ ,,
आप का प्यार मिला तो कामयाब हो जाऊंगा |
तो सुनिए .........













 
 खुश और स्वस्थ रहें.....
 टोरंटो (कनाडा)

Monday, June 03, 2013

मैंने उसको....सताया नही !!!

करता था मैं उनसे प्यार 
और आज भी करता हूँ, 
पहले वो मुझ पे मरते थे 
आज मैं उनपे मरता हूँ ||
----अशोक"अकेला"
मैंने उसको....सताया नही !!! 

कलम हाथ में लिए बैठा हूँ
 उसने कुछ सुझाया ही नही

 बोला दिल कुछ,मुझसे ऐसे
 किसी ने मुझे,दुखाया ही नही

 क्या लिखाऊं,क्या सुझाऊ तुझे
 आज किसी ने तड़फ़ाया नही

 चारों तरफ है सुहाना लगे
 आज मैं भी घबराया नही

 उसने भी कह दी अपनी बात
 और मैं भी आज शरमाया नही

 कुछ ऐसा भी कहा कान में
 मेरी कुछ समझ आया नही

 मैंने भी छोड़ दिया उसको'अकेला'
 आज मैंने भी उसको सताया नही ....
 ---अशोक 'अकेला'

आप के लिए ..Toronto Canada से ...
स्वस्थ रहें!
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...