Monday, August 20, 2012

लो फिर याद आ गई ....वो भूली दास्ताँ !!!


यादें ...
भुलाने को तो, भुला सकता था, तुझे मैं मगर,
वो बीते पल सुहाने साथ तेरे, याद न रखता अगर....
---अकेला

जब यादों का ...सैलाब उठता है, तो दिल में बहुत
हलचल मचाता है... उस सैलाब को थामना मुश्किल
हो जाता है ..और बयाँ करना उससे भी ज्यादा
मुश्किल .....

कभी-कभी बयाँ करने के काबिल लफ्ज़ नही मिलते
और यादों का दौड़ता कारवाँ भी रुकने से रुकता नही...
तब याद आती है  ...कोई प्यारी सी गज़ल के वो अल्फाज़ !!!
और वो हस्ती जो उन अल्फाजों को अपनी प्यारी ,दिलकश,
मदमस्त और दर्द के एहसास से बक्षी भरपूर आवाज़ से
बयाँ कर दे .....आपके मनमाफिक !!!

आपकी यादों का सैलाब रुक जाये और
सुनने वालों को सुकून मिल जाये !!!
तो फिर ज़नाब गुलाम अली साहब से बड़कर
कौन हो सकता  है .....

तो आएं...मिल के सुनते हैं हम सब ,,,और अपने लिए
ढूंढते है दिल का सुकून और में शांत करता हूँ
अपने यादों के सैलाब को.......

जब तेरी राह... से होकर गुज़रे
आँख से कितने... ही मंज़र गुज़रे
जब तेरी राह... से होकर गुज़रे ......

तेरी तपती हुई... साँसों की तरह
कितने झोंके मुझे... छू कर गुज़रे
जब तेरी राह, से होकर गुज़रे .....

उम्र यूँ गुजरी है... जैसे सर से
सनसनाता हुआ... पत्थर गुज़रे
जब तेरी राह, से होकर गुज़रे ....

जानते हैं कि... वहाँ कोई नही
फिर भी उस राह... से अक्सर गुज़रे
जब तेरी राह, से होकर गुज़रे ....

अब कोई गम... न कोई याद बशर
वक्त गुज़रे भी... तो क्यों कर गुज़रे
जब तेरी राह, से होकर गुज़रे ......














Friday, August 03, 2012

बचपन अधूरा सही...बेचारा नही....


अपने अतीत को सम्भाल कर रखो 
आप के भविष्य में काम आऐगा....
....अकेला

अशोक'अकेला'


Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...