Saturday, November 23, 2013

ये यादों का सिलसिला भी, बड़ा अज़ीब होता है ...!!!

गुज़री यादों में, फिर तू याद आ गया 
भर आई आँख ,दिल सुकून पा गया...  
--अशोक'अकेला'
यादें हमेशा साथ रहती हैं ,
पर नसीब नही होतीं 
गर याद न करो इनको
तो ये भी करीब नही होती

दिन तो गुज़रा गोरख-धंधों में 
यादें न करीब होती हैं 
आती है जब रात अँधेरी 
नींद करती है आने में देरी 
दिलो-दिमाग जब उथल-पुथल जाता है 
तब यादों का सिलसिला करीब आता है

अब दिमाग थकावट से चूर है 
दिल यादों का साथ निबाहने को मजबूर है 
इन यादों में बसा दिल का नासूर है 
सुख-दुःख देती हैं यादें इनका दस्तूर है

मीठी यादें चेहरे पर मुस्कराहट लाती हैं 
गमगीन यादें  आँखों से आंसू गिराती हैं 
इसी तरह यादों की लोरी सुनते-सुनते 
सो जाता हूँ ख्वाबो को बुनते-बुनते......

ये यादों का सिलसिला भी बड़ा अज़ीब 
होता है .....
अशोक'अकेला'



Sunday, November 10, 2013

अपनों से कटा....टुकड़ों में बटा....

भ्रम का मारा....ये दिल बेचारा !!!


 सब जानते-बुझते भ्रम अपने को मैं
 पालता रहा .....

 होंटों पे नकली हंसी चेहरे पे ख़ुशी ओड़
 दिल को निहारता रहा .....

 जानता था ,भ्रम टूटने से दुखेगा दिल 
 बस टालता रहा .....

 सच! बड़ा दुखता है दिल .भ्रम टूटने से
 इसी लिए संभालता रहा .....

 बार-बार चोट खाकर भी मैं दिल अपने को 
 यूँ ही सालता रहा .....

 भ्रम तो भ्रम था ,टूटना ही था इक दिन
 फिर भी सहारता रहा .....

 भ्रम टुटा .टुकड़े हुए .बिखरे टुकडो को
 बस जोड़ने में जागता रहा .....

 ले कर टुटा दिल ,संभाल के टुकड़ों को
 'अकेला' सब से दूर भागता रहा .....
अशोक'अकेला'


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