Sunday, July 01, 2018

मेरी वो आरज़ू......जो हो सकी न पूरी ????

ब्लागिंग दिवस पर कुछ अपने मन की.....

मेरी वो आरज़ू......जो हो सकी न पूरी ????

काश! मैं भी माँ के आँचल की, छाया में सोता
खूब जी भर खिलखिलाता, फिर कभी खुल के रोता
पर ऐसा हो न सका ....
काश! मेरी भी कोई छोटी, बड़ी, एक बहन होती
फेर सर पे ममता का हाथ मेरे, वो खूब रोती
पर ऐसा हो न सका ....
काश! मेरा भी कोई, भाई तो होता
रख के सर जिसके कंधे पर, मैं खूब रोता
पर ऐसा हो न सका .....
काश! वो दोस्त मेरा, जो आज भी होता
लगा सीने से मुझे, मेरे जख्म धोता
पर ऐसा हो न सका .....
--अशोक'अकेला'
 

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