Saturday, January 28, 2012

यादों के झूले....

तब १९६९ में .

और अब २०१२ में 
          
आज  शादी की ४३वीं वर्षगांठ पर .... 
यादें ....

यादों... के बवंडर,
दुखों की आंधियां...
एक सदियों पीछे ले जाता है 
और एक मीलों आगे....

वैसे तो आगे बड़ने को ही जिन्दगी मानते हैं 
पर कभी-कभी पीछे मुड कर देखना भी 
बड़ा सुखद लगता है ,अपने छोड़े हुए कदमों 
के निशां,जिन रास्तों से हम चल के आये 
उन्हें अपने पीछे  छोड़ आये ,यादे हमेशा हमारे 
साथ-साथ चलती हैं |पर अक्सर हम  उन्हें नजर-अंदाज 
करके बहुत आगे निकल आते हैं ,उनकी तरफ ध्यान 
ही नही जाता |फिर भी चलते-चलते एक नजर पीछे 
पड़ ही जाती है ,और हम फिर मुस्करा कर आगे  
बड जाते हैं |जब जिन्दगी के रास्तों पर चलते-चलते 
थकने लगते हैं ,तब-तब हम पीछे छूटे रास्तों को 
पहचानने की कोशिश करने लगते हैं |

पर नजरें अब कमजोर हो चुकी हैं ,शरीर बुढ़ापे  की 
और बढ़ चला है ,यादाशत धोखा देने लगी है |
अब सब कुछ धुधला चुका है |पर यादें हैं की आती 
ही जाती हैं ....यादें...यादें और अब बस यादें ...
"अपने बोलने से मुकरना तो  सभी को आता है
अपने लिखे को झुठलाना समझाओ तो जाने" 

यादों  के  बवंडर  जब चलते हैं
 तो सदियों पीछे ले जाते हैं|

 दुखो की आँधी जब चलती है
 तो मीलों आगे पटकती है|

 यही तो वक्त है...

 भूली यादों को बुलाने का
 अपने बचे हुए वक्त से
 कुछ ओर वक्त घटाने का|

कुछ याद करके
 रो दिए...
 और कुछ याद करके
 मुस्कराने का|

 जीने के लिए....

 कुछ तो बहाना चाहिए
 जी लू में भी यादों में 
 उठाऊ फायदा इस बहाने का|


न वो हम को भूले 
न हम उन को भूले


लौट के पिछली यादों में 
हम झूल रहे यादों के झूले ... 

अशोक"अकेला"




Thursday, January 19, 2012

पापा की नज़र से .....पापा के बच्चे ....


"वर्षों बाद आज फिर एक शुभ समाचार मिला .
आज फिर मेरी बगिया में  एक सुंदर फूल खिला"
मेरे बेटे का बेटा यानि मेरे पोते का जन्म  हुआ है '
पहले एक पोती है(मौली )  और अब एक पोता....

ये फूल १४ जनवरी,२०१२ (मकर संक्राति ) को हमारी 
बगिया में खिला || ये अपनी खुशी... मैं अपने आभासी 
रिश्तों के साथ साझा करना चाह रहा था ,और कर 
रहा हूँ ....अपने बच्चों के प्रति .... अपनी निजि सोच
के साथ.... 
 मेरी...  डायरी का ...नीजि पन्ना ...
मेरी सोच,मेरे भाव,मेरा प्यार और 
हमारा आशीर्वाद !

समर्पित है ...मेरे बच्चों को..!!!

हर माँ-बाप की तरह हम भी इनकी 
आने वाली जिंदगी की खुशियों के 
लिए भगवान से दुआ करते हैं और 
आप सबसे भी इनके लिए आशीर्वाद 
मांगते हैं ....
धन्यवाद ! 

मेरी बड़ी बेटी : इसके पास मेरी एक नातिन ओर एक 
नाती है.
दीपा (दीपिका)


ये धीर है ,गंभीर है ,पर रहती अधीर है
ये आढ़ी-तिरछी नही ,इक सीधी लकीर है  
हर-एक के दुःख सुख में, शरीक होती है 
लगे चोट दिल को, तो अकेले में रोती है ||

मेरी छोटी बेटी : इसके पास मेरी दो नातिन है ..
सोनू (रूपिका)
ये अपने से दूर, भगाती है हर फड्‍डे 
हँसती है तो पड़ जाते हैं,गालों में गड्डे 
बहुत चंचल, शोख और बातों में मस्ती है 
बहुत जोर से, ठहाका लगा के हँसती है ||

मेरा बेटा : इसके पास मेरी एक 
पोती और अब एक पोता है ...

मणि (कर्ण)
ये शरारत और मस्ती से भरपूर है 
अपनी दोनो बहनो की ,आँखों का नूर है 
जब असर इसपे ,गुस्से का हो जाता है 
तब इसको कोई भी, नही सुहाता है ||

इन तीनो में भी, हो जाती तकरार है 
पर फिर भी ,आपस में बड़ा प्यार है 
कहते है मिल के, तीनों यही ज़ोर-शोर से 
ये ही दिए हमारे ,इन तीनो को संस्कार है||
एक बात में, तीनो बरकरार है 
सुख:दुःख में तीनो शुमार है 
आपस में मिलने,को रहते बेकरार हैं 
इक-दूजे की ,तकलीफों के पहरेदार हैं ||

कहानी हो अब, ये कैसे पूरी 
इक बात रह गयी,सुनानी जरूरी 
सभी मानते माँ-बाप का उपकार हैं 
देते मान ,और लुटाते हम पे प्यार हैं||

खुश हैं हम भी ले कर इनसे मीठा 
लौली-पोप और प्यार की गोली 
हँसते-गाते गले मिल के ,खेलो सब तुम
सदा प्यार की रंग-बिरंगी, यूँ ही होली ||
पापा



Saturday, January 14, 2012

हसीन ख्वाब में, एक हसीं मुलाक़ात....


"टूटा हुआ फूल खुश्बू दे जाता है 
बीता हुआ पल यादें दे जाता है 
हर किसी का अंदाज़ होता है अपना 
कोई ज़ख्मो पे प्यार तो कोई प्यार 
में जख्म दे जाता है "|


यादों के पिटारे से ....लाया हूँ .मैं आप के लिए
एक हल्की-फुलकी ,दिल को सहलाती ,सुकून
देती,अपने प्यार को पुकारती....
एक दिलकश रोमांटिक ,छोटी सी गजल ,
प्यार में डूबी ,मदहोश करती दिल को
लुभाती ,रफी साहब की गुनगुनाई मीठी
आवाज़ में ...
वर्ष : १९५६
फिल्म : राज हठ
गायक: रफ़ी साहब
संगीत : शंकर-जयकिशन
गीतकार : हसरत जयपुरी
कलाकार : प्रदीप कुमार .मधुबाला

आए बहार बन के लुभा कर चले गए
क्या राज़ था जो दिल में छुपा कर चले गए


कहने को वो हसीन थे आँखें थीं बेवफा
दामन मेरी नज़र से बचा कर चले गए


इतना मुझे बता दो मेर दिल की धड़कनों
वो कौन थे जो ख़्वाब दिखा कर चले गए


आए बहार बन के लुभा कर चले गए
क्या राज़ था जो दिल में छुपा कर चले गए ||









Sunday, January 08, 2012

तुम्हे याद आयेंगें हम,ये याद रखना....


यादें ....याद आने की.....
आज मैं आप को अपनी यादों के झरोखे से एक बेहतरीन नगमा
सुनवा रहा हूँ ,जिसको अपनी मीठी आवाज़ में ,राजस्थान के दो
भाइयों ने अपनी जादू भरी मोहक आवाज में अपनी जुगल-बंदी से
सजाया और सवांरा है ....
मेरे तो, ये दिल को छूता है ....उम्मीद है आप का भी दिल इसे
सुन कर सुकून और खुशी हासिल करेगा...

".भुलाई न जा सकेंगी ये बातें, 
तुम्हे याद आयेंगें हम,ये याद रखना"॥
--अज्ञात 


ए सनम तुझे से मैं, जब दूर चला जाऊंगा 
याद रखना के तुझे ,याद बहुत आऊंगा 

ये मिलन और ये हसीन ,रात न जाने कब हों 
आज के बाद मुलाकात, न जाने  कब हो 
अब तेरे शहर, मुसाफिर की तरह आऊंगा 
ए सनम ..........

चाँद के अक्स में ,सूरज की हसीन किरणों में 
झील के आइने में, बहते हुए झरनों में 
इन नजारों में तुझे, मैं ही नजर आऊंगा
ए सनम ......

याद जब आएगी वो ,पहली मुलाकात तुझे 
और महोब्बत के फसाने की, हर इक बात तुझे 
तेरे ख्वाबों में ख्यालों में ,चला आऊंगा 

ए सनम.......

तुझ को इस गीत का, हर शे'र करेगा बेकल 
मेरी याद आएगी जब भी, तुझे ए जाने गजल 
नगमा बन बन के ,ख्यालात पे छा जाऊँगा
ए सनम तुझ से मैं, जब दूर चला जाऊंगा 
याद रखना के तुझे, याद बहुत आऊंगा ||

गुलूकार: उस्ताद अहमद हुसैन
उस्ताद महोम्मद हुसैन ....










Wednesday, January 04, 2012

इन्तहा....हो गई अब इंतज़ार की ....:-)))


यादें ...यादें ...फिर वो ही , यादें ....

वो चिट्ठी, प्रेम पत्र, अब इतिहास हो गई,वो सारी बातें 
चिट्ठी चट कर गया ई -मेल,हों मोबाइल पर मुलाकातें...

न रहा अब सब्र वो ,न रहा अब वो इंतज़ार 
हो रही आज इंटरनेट पे अब वो सारी  बातें... 

कहाँ गए वो दिन सुहाने, वो उमस भरी दोपहरी
न कहीं तारों की गिनती ,न रहीं वो चांदनी रातें... 

बीता बचपन् ,गयी जवानी ,आ गया बुढापा 
जग तो क्या ,अब अपनों को हम नही सुहाते... 

किसको याद तलत,मुकेश और रफ़ी के नगमें
जो  याद होते ,आज ब्लॉग पर हम नही सुनाते...  

लौटा सकता गर, कभी वो बीता हुआ जमाना 
सब लुटा के, "अकेला" लौटा हम उसी को लाते...

अशोक"अकेला"
   

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