Thursday, May 23, 2013

मुझे तो बीती यादों से दिल बहलाना है .... !!!


आजकल अपने वतन से दूर ....और अपनी छोटी बेटी के 
बहुत पास टोरंटो (केनाडा) में श्रीमती जी के साथ ,और अपनी 
दोनों नातिन के संग समय बहुत अच्छा कट रहा है ........!!!
पर फिर भी बाकी समय तो ........|


मुझे तो बीती यादों से दिल बहलाना है .... !!! 

खुशीयों से नही अदावत मेरी
 बस ग़मों से रिश्ता पुराना है

 आज मुस्कराहट है मेरे चेहरे  पर
 कि आज फिर मौसम सुहाना है

 उदास हो जाता हूँ ,जब कभी
 याद आता वो वक्त पुराना है

 जब भी याद आ जाते हैं वो
 याद आता वो गुज़रा जमाना है

 अब कुछ भी रहा मेरे पास नही
 बस बीती यादों का वो खज़ाना है

 हिम्मत नही किसी से कुछ कहने की
 देख-सुन कर अब सिर्फ मुस्कराना है

 भले नश्तर चुबोयें वो मेरे दिल को आज
 मुझे तो बीती यादों से दिल बहलाना है ....
आप सब बहुत खुश और स्वस्थ रहें |
शुभकामनायें!
अशोक सलूजा 


Monday, May 13, 2013

आ...एक बार तो... मनाने के लिए आ!!!

शिकायतों के सिवा जब 
कुछ भी न हो पास तेरे, 
रख बन्द जुबान अपनी
लगा ले बस चुप्पी के डेरे ||
---अशोक 'अकेला'

आ...एक बार तो... मनाने  के लिए आ!!!

आजकल रोज़ दिल, दुखा जाता है वो
 याद रहता है मुझे, भूल जाता है वो

 हे भगवन ,ये कैसा मुकद्दर पाया है मैंने
 हँसाने की कोशिश में, रुला जाता है वो

 बहुत मनाया, समझाया भी उसको मैंने
 हर बात को मेरी,हवा में उड़ा जाता है वो

 मजबूर हूँ क्या करूँ, कमज़ोरी है वो मेरी
 दिल को फिर, किसी बात पर भा जाता है वो

 करता हूँ जब भी मैं, दूर रहने की कोशिश
 ज़हन पर आ कर, फिर छा जाता है वो

 मायूस हो कर बैठ जाता हूँ, मैं जब भी कभी
 अच्छे मूड में हो, तो रहम खा जाता है वो

 'अकेला' रोज़ सोचता हूँ, न अब उससे आँख मिलाऊंगा
 ढ़ुंढ़ती हैं आँखें उसको, जब भी याद आ जाता है वो
चित्र ..गूगल साभार !
अशोक'अकेला'







Friday, May 03, 2013

जब भी रोना हो !!! चिरागों को बुझा कर रोना...


मुहँ की बात सुने हर कोई
दिल के दर्द को जाने कौन
आवाजों के शहरों में
ख़ामोशी पहचाने कौन....
---निदा फ़ाज़ली

यादें ......
अपनी यादों की पोटली से निकाल कर लाया हूँ ....
आप के लिए एक गज़ल...
जो अपने खुबसूरत अल्फाज़ों से सजाई है,
ज़नाब मीर ताक़ी मीर ने और गाया है अपनी दर्द भरी
मीठी आवाज़ में ज़नाब मरहूम परवेज़ मेहदी साहब ने ......
इस गज़ल में ख़ामोशी के आवाज़े हैं ....
दिल के दर्द का सुकून है ...
आँखों में अश्को की छुपी बरसात है ...
दिल के किसी कोने में छुपी यादों की बारात है ...
ग़म का बिछौना है ...
ग़र फिर भी सुकून से सोना है ....
तो ज़रूरी...चैन से रोना है ...
तो बस!!! उस रोने की ही बात है !!!

अपने साये से भी ,अश्को को छुपा कर रोना
जब भी रोना हो ,चिरागों को बुझा कर रोना

हाथ भी जाते  हुए , वो तो मिला कर न गया
मैंने चाह जिसे ,सीने से लगा कर रोना
जब भी रोना हो ,चिरागों को बुझा कर रोना...

तेरे दीवाने का ,क्या हाल किया है ग़म ने
मुस्कराते हुए लोगो में भी जा कर रोना
जब भी रोना हो ,चिरागों को बुझा कर रोना...

लोग पढ़ लेते हैं ,चेहरे पे लिखी तहरीरे
कितना दुश्वार है लोगो से छुपा कर रोना
जब भी रोना हो ,चिरागों को बुझा कर रोना ...

अपने साये से भी ,अश्को को छुपा कर रोना
जब भी रोना हो ,चिरागों को बुझा कर रोना |
|



उम्मीद करता हूँ कि मेरी पसंद .... 
आप को भी पसंद आई होगी !!!
 खुश रहें,स्वस्थ रहें !
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...