Saturday, February 26, 2011

प्यार कर...बस प्यार कर ...












       प्यार
प्यार मिलता है प्यार से
मिलता नही ,वार के तलवार से
प्यार लेना है, तो प्यार कर
प्यार से प्यार, का इज़हार कर
प्यार कुछ मांगे, तो प्यार से
इकरार कर ,
प्यार दे के ,न लेने का इंतज़ार कर
मिलेगा तुझ को भी, इक दिन
बहुत सारा प्यार
तू थोडा सा मेरा, एतबार कर
तू प्यार कर ,बस प्यार कर || अशोक "अकेला"

Friday, February 25, 2011

अशआर ... जो मेरे दिल को छू गये!













आइना मुहं पर बुरा और भला कहता है
सच येह हे साफ जो होता हे सफा़ कहता हें॥ "दाग़"

तेरी इस बेवाफाई पर फिद़ा होती हे जाऩ मेरी
खु़दा जाने अगर तुझ में वफा़ होती तो क्या होता॥ "ज़फर"

 आप को भुलाने की कोशिश भी
 याद करने का इक बहाना है॥ "अज्ञात "

अगर मर्ज हो, दवा करें कोई
मरनें वालें का क्या करे कोई॥ "दाग़"

खुशी भी याद आती है
तो आँसू बन के आती है॥ "साहिर"


अब आप मेरी पसंद की एक गज़ल ,जो मरहूम 
परवेज मेहदी साहिब की खुबसूरत और दर्द भरी आवाज़ मैं है |
सुनिए !और खो जाइये किसी की यादों में |
गज़ल के बोल हैं ...फ़ना के बाद भी 
,मुझ को सता रहा है कोई...








Wednesday, February 23, 2011

मेरे ऐहसास ...










यू उठा तेरी यादो का धूआ
जैसे चिराग बुझा हो अभी अभी॥

कैसे भूल जाऊं तेरी यादो को
जिन्हे याद करने से तु याद आये॥

यूं ही बहला रहे हैं वौ
मैं जान जाता हूं,
न जाने क्यों, फिर भी
मैं उनका कहा मान जाता हूं॥

बहुत बोलने से, इक चुप भली
कुछ देर के लिये, कुछ सजा तो टली||

जुल्म नही तो रहम की कौन फरयाद करें,
रेहमत नही तो खुदा को कौन याद करें ॥
                                                            अशोक"अकेला

Monday, February 21, 2011

माँ ही सब कुछ है ...


तरसती हैं! आँखे देखना ,माँ को सपनों मैं 
नही मिलता जब कही भी प्यार अपनों मैं| 


 अब मैं समझा, कि बिन माँ कैसे जी लेते हैं लोग
जैसे मैं जिये जा रहा हूँ |
बिन माँ कौन पीता है उनके आँसू
जैसे मैं पीये जा रहा हूँ |
बिन माँ कौन करता है उनको प्यार
जैसे मैं, तलवार कि धार पे जीये जा रहा हूँ |
बिन माँ कौन पोछता है उनके आंसू
जैसे मैं खुद के हाथों, उनको सोखता जा रहा हूँ |
दर्द मैं नही मिलता कहीं छुपने को आँचल
जैसे माँ के सपनों में, मैं छुपा जा रहा हूँ |
माँ सब कुछ है,माँ भगवान है ,माँ की पूजा करो
जिसे मैं कर नही सका, अब करने को तडपा जा रहा हूँ |   अशोक "अकेला"

Sunday, February 20, 2011

मेरे ऐहसास ...











लाख दफे सोचा ,मैं न कभी उससे बात करूँ 
इक दफा सोचा ,बद से बदतर क्यों हालात करूँ ||
|
न हुआ कभी, वो मुझ से खुश 
न रख सका, मैं उसको राजी, 
पूरी वफा से, की थी कोशिश 
फिर भी मैं, हारा हर बाजी||      अशोक"अकेला

"

Saturday, February 19, 2011

समय बड़ा बलवान !...समय चक्र ...



जब भी हुआ उदास, तुम याद आते चले गये
दिला के याद गुजरे हसीं पल, रुलाते चले गये॥अशोक "अकेला"

समय बड़ा बलवान !
बचपन से अपने बुजुर्गो के मुहं से सुनते आए,फिर स्कूल में पढ़ा  ,आपसी बात-चीत में सुनाई पड़ता रहा ओर अब अपनी जिन्दगी में इसके उतार-चढ़ाव  को एक अरसे से महसूस करते आ रहें हैं |
आख़िर समय हे क्या ?इसकी क्या शक्ल है ?ओर यह हमें किस रूप में मिलता है ,ओर इसका हमारे जीवन से क्या सरोकार है ओर कितना है?समय बडा बलवान! क्यों कि इसके पास एक चक्र हे जिसको समय का चक्र कहते हें ओर यह हर समय घूमता रहता हे| दिन-रात कभी रुकता नही ओर न इसको कोई रोक सकता है ,न पकड़ सकता है ,बस इसका काम है चलना ओर यह चलता रहता है | यह कितना बडा चक्र है, किसी को नही पता, बस हमारे समझने के लिए इतना समझना काफी है, की यह उतना ही बडा है जितनी हमारी हर एक की अपनी जिन्दगी ||
ओर इसके अपने चक्र मैं सिर्फ़ दो पडाव हैं एक सुख का और एक दुःख का,  इन दो पडावो के बीच कई छोटे छोटे पडाव है ,जैसे दो बड़े स्टेशनों के बीच कई छोटे छोटे स्टेशन होते हैं |
या यू समझे कि जैसे एक साइकल के पहिये मैं कई स्टील कि तीलियां होती है | हमें अपना जीवन इसी समय चक्र मैं  गुजारना होता है,क्यों कि  समय चक्र हमेशा चलता रहता है| ,इस लिए जब हम अपनी जिन्दगी की गाड़ी में  सफर करते हैं तो  चलते-चलते चक्र का अच्छा पड़ाव या कोई अच्छा स्टेशन हमारे सामने आ जाता है,जहां हमें सब सुख सुविधांए ,खाना-पीना अच्छा मिलता है , तो वो हमारा अच्छा समय कहलाता है जब तक वो चलते-चलते किसी छोटे से स्टेशन पर नहीं पहुंच जाता ,जहां सुख-सुविधाओं का आभाव है तो वो हमारा बुरा  पडाव,या बुरा समय कहलाता है ,और फिर अच्छा पडाव आने तक बुरा समय कहलाता है बस इसी तरह ये जीवन का चक्र समय चक्र के साथ अच्छे बुरे समय की इंतजार में बीत जाता है,और फिर एक दिन आप अपने स्टेशन पर पहुच जाते हैं | जहां आप के जीवन का सफर खत्म हो जाता है| बस अब आप के लिए सब कुछ चिंता मुक्त और भय मुक्त और पीछे रह जाता समय का चक्र जो कभी रुकता नही पर आप से पीछे वालो के लिए जिन के स्टेशन अभी आने बाकी  है| उनके सुख-दुःख का सफर ,समय चक्र  चलता रेहता है ...
और तब तक चलता रहगा जब तक उनका स्टेशन नही आ जाता ....समय बडा बलवान ---अशोक'अकेला'


Friday, February 18, 2011

आप सब का बहुत-बहुत ...धन्यवाद


सच मानिये ,मेरी समझ मैं नही आ रहा कि आप के प्यार  के बदले मैं
किन शब्दों का इस्तेमाल करके शुक्रिया करूं | मेरे को लगता है कि आप ने
मेरी उन चंद लाइनों कि इतनी तारीफ येह समझ के कर दी कि एक बड़े
बजुर्ग के दिल का मान रख लें |
अब मैं भी , आप को अपने बच्चे समझ कर इसके बदले आप
सब को बहुत बहुत आशीर्वाद और दिल से प्यार ,के साथ -साथ हमेशा
सेहतमंद रहने की दुआ देता हूँ |और येह आशा करता हूँ की उपर वाला
मेरे दिल से निकली येह सच्ची दुआ आप सब के लिए कबूल करें |

जाने से पेहले मैं अपना
असर छोड़ जाऊंगा, 
सब कुछ होगा पास तेरे , 
बस कसर मैं अपनी,छोड जाऊंगा || अशोक "अकेला" 

आप सब का अपना अंकल  अशोक "अकेला"

खूब खुश और सेहतमंद रहिये .............मिलते है जल्दी



               


  

Monday, February 14, 2011

उस पार ...

                                                                                       
हम झूठ को बेनकाब करना चाहते हैं
हम क्या हैं येह सच्चाई छुपा जाते हैं      | अशोक "अकेला" 
" उस पार "
आप ने नजर उठा कर भी,
देखा नही मेरी तरफ
मेरी मजाल , नजर मेरी
उठ जाती आप की तरफ
इसी कश्मकश में, खड़ा रह गया,
मैं इस पार की तरफ
आप यू ही दूर होते गए,
मुझ से उस पार की तरफ
बहुत घबरा,थोड़ी हिम्मत जुटा
आँख उठाई आप की तरफ
दूर जाते दिखाई दिए मुझे,
आप उस पार की तरफ
सब कुछ लुटा जाता देखता रहा,
मैं अपना उस पार की तरफ
क्यों खड़ा था मैं यहाँ,क्या था
मेरा इस पार की तरफ
मंजिल कभी चल के आती नही ,
इस पार की तरफ
चल मंजिल को चले ,
चल के उस पार की तरफ||       अशोक "अकेला"




Wednesday, February 02, 2011

दुःख बोल के जे दास्या ते ...


नमस्कार...कैसे हैं आप लोग! सब ठीक -ठाक
खुश रहिये |

मैं कैसा हूँ? अरे भाई ! अब हम जैसे लोगो का किया ?
बस समय काटना चाहते हैं -सो कट रहा है ?

"सब पूछते हैं मुझसे ,कहो कैसे कट रही है 
कोई नही पूछता कि, कैसे काटते हो" अज्ञात


 जिन चिरागों को हवाओं का खौफ नहीं
 उन चिरागों को बुझने से बचाया जाये
 घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
 किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये      "निदा फाजली "

बिल्कुल ठीक कहते हैं निदा फाजली साहेब अब हमारे रोने से
किसी को क्या हासिल ,किया मतलब ,तो अपने रोने से तो
अच्छा है ,कि कुछ ऐसा करो, चाहे दिल मैं हजारों दर्द लिए
किसी जोकर कि तरह मसखरी हरकतों से किसी बच्चे को ही
हसाया जाये ,और उसकी हसीं मैं अपने दिल का सकूं पाया जाये |

बाकि देखने ,सुनने वाला खुद ही जान जायेगा कि हम कैसे हैं ?
और कैसे कट रही है ,कैसे काट रहे हैं |

जैसे हंस राज हंस जी अपने गीत मैं केह रहे है|

दुःख बोल के जे दस्या ते कि दस्या ........सुनिए उनसे...



खुश और सेहतमंद रहें ....मिलते हैं अगले मोड पर जिन्दगी के ... आप का ...अशोक "अकेला"

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