Thursday, March 27, 2014

सिर्फ एक दुआ ...जब तक आप के बीच रहूँ !!!

आज मैं अपने जीवन के, ७२ बसंत पुरे कर चूका हूँ, 
और ७३ वें बसंत में कदम रख रहा हूँ ...
सफ़र कहाँ तक है ,कब तक है ,ये भविष्य के गर्भ में छिपा है ...
आप से सिर्फ एक बात का इच्छुक हूँ, 
आप के स्नेह का ,आप की दुआ का ,
सिर्फ एक दुआ ...जब तक आप के बीच रहूँ !!! 
स्वस्थ रहूँ ..दुआ कीजिये ,दिल से कीजिये |
सब कुछ पाया मैंने आपसे ..देने को सिर्फ 
शुभकामनायें और आशीर्वाद है ....
खुश रहें,स्वस्थ रहें !

क्या से क्या नज़र आता हूँ मैं 
शीशा भी आजकल पूछता है मुझसे ...
--अशोक'अकेला'
अब ....और ...

तब ....
चलो दी फिर दिल ने तसल्ली 
झूठी ही सही ,करार तो आया.... 

दी दिल ने, दिल को तसल्ली 
और दिल को, करार आ गया 

यूँ ही पहुंचे थे, दिल को थामे 
और उनका, दरो-दिवार आ गया 

निकला तो था, वीरानियों में मैं 
और खुशियों का, बाज़ार आ गया 

रह गयी पीछे, धूल भरी आंधियां 
और मौसम, ख़ुशगवार आ गया 

मायूस हो के, उड़ गये परिंदे शाख से 
और अब उनपे, शोख़ी-ख़ुमार आ गया 

छाई अब खुशियाँ ही खुशियाँ, चारो तरफ 
हर तरफ से ये अब, समाचार आ गया 

जो न देखते थे, कभी पलट के मुझको
आज उनको भी, मुझ पे प्यार आ गया ....

----अशोक'अकेला'


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