Saturday, November 11, 2017

मेरे मन के भावों की तुकबंदी ....

मेरे मन के भावों की तुकबंदी ....

मुझे ख़ुदा की ख़ुदाई पसंद है
मुझे आसमां की ऊंचाई पसंद है
 मुझे धरती की चौड़ाई पसंद है
 मुझे समंदर की गहराई पसंद है...

 पहाड़ों की ऊंचाई पसंद है
घाटियों की गहराई पसंद है
 नदी की लम्बाई पसंद है
पहाड़ों के गीत पसंद हैं
झरनों के संगीत पसंद हैं...

 सूरज की उष्णता पसंद है
चाँद की शीतलता पसंद है
 क़ुदरत के नज़ारे पसंद है
 आसमां के तारे पसंद हैं ...

किसानों की बुआई पसंद है
 फसलों की लहराई पसंद है
सुंदर गीतों के बोल पसंद हैं
 गाने वाले लोग पसंद हैं
 धरती के बाशिंदे पसंद हैं
 उड़ने वाले परिंदे पसंद हैं ...

 अच्छों की अच्छाई पसंद है
 कमज़ोर की भलाई पसंद है
 चिड़ियों की चेह्चाहना पसंद हैं
बच्चों की खिलखिलाना पसंद हैं
 नाज़ुक फूलों का माली पसंद है
 अपनी औलाद की खुशहाली पसंद है...

 माँ बाप की दी जिन्दगी पसंद है
 उपर वाले की खामोश बंदगी पसंद है...

 ये सब नेमते बक्शी उस मालिक की
 उसका नाशुक्रा होना, सख्त नापसंद है
मुझे बस... अपनी ज़मीनी हकीक़त पसंद है... 
 -अकेला

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