ZEAL के लेख प्रशंसा (प्रोत्साहन) के सन्दर्भ मैं |
क्या टिप्पणी करना इतना ही जरूरी है ?
हाँ ...जरूरी है |
प्रशंसा इन्सान की फितरत है,और हक भी
पर सच्ची प्रशंसा ,न कि चापलूसी ,अच्छे के लिए प्रशंसा हर हाल
मैं मिलनी चाहिए ताकि और अच्छा करने के लिए उत्साह-वर्धन हो
उस अच्छे किये से समाज का भला हो |
पर हाँ ...जरूरी है सिर्फ उनके लिए जो विषय के अनुरूप उसे समझ कर , अच्छा जानकर
उत्साहवर्धन करें ,और अच्छा करने के लिए कुछ सुधार के साथ प्रेरित करें | नकि सिर्फ टीका-टिप्पणी
ताना-कशी,या मजाक उड़ाने के लिए | जो उस विषय के बारे में कुछ नही जानते ,कुछ केह नही सकते
वो उस पोस्ट से अपना ज्ञान बड़ाने कि कोशिश करें न कि टिप्पणी संख्या बड़ाने मैं अपना योगदान करें |
जैसे:- कि मैं (माफ करना ) या मेरे जैसे अगर हों तो ....
ऐसे ही टिप्पणी पाने वाले भी ...
टिप्पणी का इंतज़ार करने की बजाय ,और संख्या गिनने के स्थान पर सिर्फ
अपने अच्छे लेखन पर ध्यान दें,अच्छे लेख पर पेहली टिप्पणी उनका अपना दिल देगा |
जो सबसे ज्यादा उत्साहवर्धक होगी |
टिप्पणी पाने के लिए टिप्पणी न करें ,अनुसरण कराने के लिए अनुसरण न करें |
मनचाह न होने पर नाराज न हों ,मनचाह हो जाने पर खुशी जरूर बांटे...अच्छा लगेगा !
करके देखिये !
मेरे पास अपने समझने के लिए मेरे एहसास बहुत हैं ,पर समझाने के लिए शब्द बहुत कम !
बोलने से संकोच और लिखने मैं असमर्थ .....
हाँ आखिर में एक और बात ,सिर्फ अपनी जानकारी के लिए :-अगर मेरे जैसे की टिप्पणी
या किसी का अनुसरण करने से भी किसी को ,किसी तरह से ,इस इन्टरनेट की दुनियां
में कुछ फायदा होता है तो कृपया मुझे ज्ञान कराए और लाभ सिर्फ आप ही उठायें |
जहां चाहें मेरा अंगूठा लगवायें ...ये बिल्कुल मजाक नही ...मेरे एहसास ही ऐसे हैं ...
ये अब ऐसे ही बहते जायेगें सो बस........!
नोट:- ये लेख किसी का भी दिल दुखाने की मंशा से नही लिखा गया |
सारे लिखे विचार मेरे अपने थे जो ZEAL के लेख से पेहले ही लिखे थे |
बस संयोग से उनका लेख पेहले आ गया | फिर भी छोटा मुहँ और.......
मैं माफ़ी का तलबगार हूँ!
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ! अशोक"अकेला"