Monday, January 12, 2015

जिन्दगी क्या है .....???

माना ,ज़वानी के अपने ज़ज्बें हैं
पर बुढ़ापे के भी ,अपने तजुर्बें हैं ...... 
 --अशोक'अकेला'
जिन्दगी क्या है .....?

 जिन्दगी क्या है , ग़मों-सुकून का समुंदर
 कामयाबी तैर गयी , नाकामी डूब गयी अंदर

 दूसरों के गिरेबान में झांकता रहा उम्र-भर
 न कभी झाँका ,न देखा अपने दिल के अंदर

 बैठ किनारे पर रहा साहिल से दूर
 किनारा पाया उसी ने जो हुआ न मजबुर

 उम्र सारी काट दी बैठ के इस पार
 काट सका न लहरों की वो धार

 उतरा जो डूब के वो पा गया मोती
 बैठा जो किनारे पे किस्मत रही सोती

 मायूस चेहरे पे छाई रही उदासी
 बैठ किनारे पे जिन्दगी काट दी प्यासी

 न रही उम्र वो न अब बाज़ुओं में ज़ोर है
 कान भी अब पक गए सुन के लहरों का शोर है

 जिन्दगी क्या है , ग़मों-सुकून का समुंदर
 कामयाबी तैर गयी , नाकामी डूब गयी अंदर

 जीवन की रेस में दौडना पड़ता है सभी को
 जो जीतेगा बनेगा वो,ही मुकद्दर का सिकंदर ||

 जिन्दगी क्या है ......?
अशोक'अकेला'

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