इसी को, प्यार कहते हैं ...इसी को प्यार कहते हैं !
"मेरी यादों ने, आज फिर मुझ पे, अपना रंग जमाया है ,
मेरे अतीत ने, मुझको वापस, अपनी गोद में बुलाया है" | अशोक 'अकेला'
... चलें! आज में फिर आप को "सावन के महीने" में, प्यार से
भरपूर एक अपनी मनपसंद 'ग़ज़ल' आप की नज़र करता हूँ |
पूरी उम्मीद रखता हूँ ,कि आप भी इसका भरपूर लुत्फ़ उठायेंगें |
प्यार की कोई परिभाषा नही होती ,प्यार किसी भी रूप में मिले ,वो
आनंद देता है ,बस उसी आनंद को प्यार कहते हैं ...
फिर वो चाहे माँ,बहन ,बेटी, बीवी प्रियसी या दोस्त का हो ....
बस लेने-देने की भावना सच्ची ,पवित्र और विश्वास पे आधारित
होनी चाहिए ...
यहाँ सुनिए राजस्थान के हुसैन बंधू अपनी मीठी और जादू भरी
आवाज़ में प्यार का कैसा समां बांध रहे हैं ....