Tuesday, April 23, 2013

टूटे रिश्तों को...जोड़ लेता हूँ !!!


जिन्दगी के टूटे सिरों को 
मैं फिर से जोड़ लेता हूँ, 
ग़मों के बिछोने पर 
ख़ुशी की चादर ओड़ लेता हूँ... 
---अशोक 'अकेला'
टूटे रिश्तों को...जोड़ लेता हूँ !!!

 अपने हौंसलो से, होड़ लेता हू
 मिले महोब्बत, निचोड़ लेता हूँ

 दुनियां के झूठे, रीति-रिवाजो से
 मुस्करा , मुहँ को मोड़ लेता हूँ

 अपने ग़मों के, बिछोने पर
 ख़ुशी की चादर, ओड़ लेता हूँ

 उलझी जिन्दगी, की डोर को
 हाथ से ख़ुद, तोड़ लेता हूँ

 अब तो आदत, सी हो गई है
 टूटे रिश्तों को, जोड़ लेता हूँ

 ज़माने संग, चल सकता नही अब
 बस 'अकेला' सपनों में, दोड़ लेता हूँ...


अशोक'अकेला'


Tuesday, April 09, 2013

सब कुछ सिखाती है .....ये जिन्दगी !!!

सब कुछ सिखाती है !!!  ये जिन्दगी .....


पग-पग सिखाती है कुछ नये ढंग, ये जिन्दगी
 पल-पल दिखाती हैं कुछ नये रंग, ये जिन्दगी

 किसको कहूँ पराया, किसे कहूँ मैं अपना
 हर घड़ी मुझको बताती है, ये जिन्दगी

 टेड़े-मेढे, ऊँचे-नीचे रास्तों पर है मंजिल
 रास्तों पर चलना सिखाती है, ये जिन्दगी

 जो कल गले मिले आज पहचानते नही
 ऐसे-ऐसे लोगों से मिलाती है, ये जिन्दगी

 सीना फुला के चलें ,सर तान के उम्र भर
 ऐसे-वैसे लोगों का सर झुकाती है, ये जिन्दगी

 मैं....मैं हूँ, पड़ जाती है गलतफ़हमी जिसे
 फिर उसको बड़ा सताती है, ये जिन्दगी

 जो प्यार से सब को लगाये गले अपना बनाये
 "अकेला"उसी को प्यार से सजाती  है, ये जिन्दगी....

अशोक'अकेला'




Monday, April 01, 2013

ख्वाबो ...हकीक़त की दुनियां ...!!!


तुम ख्वाबों में बहते हो
मैं हकीक़त में रहता हूँ ,
तुम आसमां पे उड़ते हो 
मैं जमीं पे रहता हूँ ||
---अकेला
ख्वाबो ...हकीक़त की दुनियां ...!!!


इक ख्वाबो की दुनियां
 इक हकीक़त की दुनियां
 इक आसमां पे उड़ाती है
 इक जमीं से उठाती है

 इक खुशियाँ बरसाती है
 इक आग सी लगाती है
 इक सपने दिखाती है
इक  सपने दफनाती है

 इक महल बनाती है
 इक झोंपड़ा गिराती है
 इक उम्मीद जगाती है
 इक ना-उम्मीद कराती है

 इक चाँद-तारे सजाती है
 इक रातों को रुलाती है
 इक बस्ती बसाती है
 इक हस्ती मिटाती है

 लो सपने ने मारा झटका
 मुझे जमीं पे ला के पटका
 वो इक सपना था
            यह इक हकीक़त है ...... 


अशोक'अकेला'

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