Thursday, August 13, 2015

कितना तपाया है...??? जिन्दगी ने..!!!

आज फिर बहुत दिनों के बाद ....
यह मेरे दिल से निकले मेरे अहसास हैं ..
अपने चारों तरफ़ देखे मेरे तजुर्बात है.... 
जो, जैसा मैं महसूस करता हूँ ...
वो,वैसा ही साधारण सा लिख देता हूँ.......
--अशोक'सलूजा'

कितना तपाया है...??? जिन्दगी ने..!!!
 
 क्या बताऊँ कितना तपाया है, जिन्दगी ने
 हर पग पे ठोकर ,तड़पाया है, जिन्दगी ने...

 चंद साँसे न ले सका बैठ के, फुर्सत से 
 कुछ इस तरह से, भगाया है, जिन्दगी ने...

 खुशियों से तारुफ़ नही हुआ, कभी भी मेरा 
 लबों से गीत ग़मों का ,गवाया है, जिन्दगी ने...

 मेरी बातों से न दुखे, कभी किसी का दिल
 अपने उपर ही हँसना, सिखाया है, जिन्दगी ने ...

ओड़ चेहरे पे हंसी ,दुःख दिल में दबा कर
 यहाँ जोकर मुझको, बनाया है, जिन्दगी ने...

जो बनते थे कभी मेरे ,वो सब हुए ग़ैर
 इस तरह से मज़ाक, उड़ाया है, जिन्दगी ने...

 हर वक्त ग़मों से लड़ता रहा, मैं उम्र भर
 सुख-चैन छीन बहुत ,रुलाया है, जिन्दगी ने...

 प्यार छोड़, नफ़रत की खेती लहलहाती हैं 
ये क्यों, कभी न ,समझाया है, जिन्दगी ने...

 दे के मुझको धोखा सुंदर, सुहाने सपनों का
 'अकेला' मुझको ही ,लुटवाया है, जिन्दगी ने...


अशोक'सलूजा'




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