कैसे भूल जाऊं तेरी यादो को, जिन्हे याद करने से तू याद आए॥
एकल मन की सुन्दर कथा ...सुन्दर भावों के मोतियों से पिरोई काव्य माला ....शुभकामनायें ...
बहुत सुन्दर भावों से सजी कविता..
जब भी पुकारो-- हम आ जायेंगे , बहुत अच्छे भाव
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति
सुन्दर भाव हैं मगर जाने जाने की बात अच्छी सी नहीं लगती......regardsanu
'हो मौसम सुहाना तो मुस्करा लेना चाहिए||'मुस्कुराते हुए ही अनगिन मौसम बीतें...ढ़ेर सारी शुभकामनाएं!सादर!
sunder kavita ......
बहुत भावमयी अभिव्यक्ति.....
बहुत सुंदर रचना सर... सादर।
भावपूर्ण रचना !
बहुत खूब.... आपके इस पोस्ट की चर्चा आज 07-6-2012 ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकाशित है ... विवाह की सही उम्र क्या और क्यूँ ?? फैसला आपका है.....धन्यवाद.... अपनी राय अवश्य दें...
बहुत भावपूर्ण
भावानुभूति से सहज उद्भूत रचना .अनुभव से पैदा विराग .राग की गुंजाइश भी बाकी है .
सहज सरल शब्दों में भावमय करती प्रस्तुति ... आभार
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
खूबसूरत...............बस और क्या...!!
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bhaut khubsurat gazal...
घने पेड की छाया में बैठ कर समय बिताये पता नही कितना समय हो गया । बहुत सुंदर रचना ।
बहूत हि बेहतरीन लिखा है आपने....सबसे खास बात आप अपनी रचना को बहूत हि सुंदरता से प्रस्तुत करते है..बहूत मनमोहक लगता है....
मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........
एकल मन की सुन्दर कथा ...
ReplyDeleteसुन्दर भावों के मोतियों से पिरोई काव्य माला ....
शुभकामनायें ...
बहुत सुन्दर भावों से सजी कविता..
ReplyDeleteजब भी पुकारो-- हम आ जायेंगे , बहुत अच्छे भाव
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुन्दर भाव हैं मगर जाने जाने की बात अच्छी सी नहीं लगती......
ReplyDeleteregards
anu
'हो मौसम सुहाना तो मुस्करा लेना चाहिए||'
ReplyDeleteमुस्कुराते हुए ही अनगिन मौसम बीतें...
ढ़ेर सारी शुभकामनाएं!
सादर!
sunder kavita ......
ReplyDeleteबहुत भावमयी अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना सर...
ReplyDeleteसादर।
भावपूर्ण रचना !
ReplyDeleteबहुत खूब.... आपके इस पोस्ट की चर्चा आज 07-6-2012 ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकाशित है ... विवाह की सही उम्र क्या और क्यूँ ?? फैसला आपका है.....धन्यवाद.... अपनी राय अवश्य दें...
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण
ReplyDeleteभावानुभूति से सहज उद्भूत रचना .अनुभव से पैदा विराग .राग की गुंजाइश भी बाकी है .
ReplyDeleteसहज सरल शब्दों में भावमय करती प्रस्तुति ... आभार
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteखूबसूरत...............
ReplyDeleteबस और क्या...!!
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ReplyDeletebhaut khubsurat gazal...
ReplyDeleteघने पेड की छाया में बैठ कर समय बिताये पता नही कितना समय हो गया ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ।
बहूत हि बेहतरीन लिखा है आपने....
ReplyDeleteसबसे खास बात आप अपनी रचना को बहूत हि सुंदरता
से प्रस्तुत करते है..बहूत मनमोहक लगता है....