वो एक अज़ीम और अदीब शख्सियत थे ,
अपनी मौसिकी की दुनिया के ....
ज़नाब मेहदी हसन साहब ! गज़लों के "शहंशाह-ए-गज़ल"
१३ जून ,बुधवार २०१२ को इंतकाल फरमा गए ...
अपने ८५ सालो की जिंदगानी के सफ़र में ......
उनका जन्म १८ जुलाई ,१९२७ को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के लूणा गांव
में हुआ था...!!!
मौसिकी का कोई मजहब या देश नही होता ,
ये कुदरत की फिज़ाओं में गूंजती है|
ज़नाब मेहदी हसन साहब के इंतकाल से हर उस...
संगीत चाहने ,सुनने या गाने वाले का अपना-अपना ,
कहीं न कहीं निजी नुक्सान हुआ है |
उनकी रूह को खुदा सुकून और जन्नत बक्शे ,
ये ही हम सब चाहने वालों की तरफ़ से उनके लिए दुआ है !
यू तो उन्होंने अपनी जिन्दगी में जो भी गाया ,सब बेहतरीन गाया ...
ये तो सब संगीत के कद्रदान समझते हैं |
मैं क्या हूँ ,कौन हूँ ,जो कुछ भी संगीत की बारीकियों को जानता नही ,
समझता नही.......
पर ज़नाब मेहदी हसन साहब की छोड़ी हुई संगीत की सौगात में
सब के लिए बहुत कुछ है ...जिसे जो समझ आए ,जो दिल को भाए ,
जिस लायक वो उनको समझता हो ...वो सब कुछ है सब के लिए !
ऐसे फ़नकार मुद्दतों में एक बार ही पैदा होते हैं !!!
मैं भी अपनी पसंद ,आप को सुनवा कर उनको अपनी और उनके चाहने वालों की तरफ़ से
विन्रम श्रद्धांजलि.........देता हूँ !
जिन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं ,
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा
तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझको
ये मेरी उम्र ,महोब्बत के लिए थोड़ी है .......
इससे आगे आप पढ़ना छोड़....कतील शाफई का लिखा कलाम ...
उनकी मखमली आवाज़ में नवाजी पूरी ग़ज़ल सुनें...!!!
अपनी मौसिकी की दुनिया के ....
ज़नाब मेहदी हसन साहब ! गज़लों के "शहंशाह-ए-गज़ल"
१३ जून ,बुधवार २०१२ को इंतकाल फरमा गए ...
अपने ८५ सालो की जिंदगानी के सफ़र में ......
उनका जन्म १८ जुलाई ,१९२७ को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के लूणा गांव
में हुआ था...!!!
मौसिकी का कोई मजहब या देश नही होता ,
ये कुदरत की फिज़ाओं में गूंजती है|
ज़नाब मेहदी हसन साहब के इंतकाल से हर उस...
संगीत चाहने ,सुनने या गाने वाले का अपना-अपना ,
कहीं न कहीं निजी नुक्सान हुआ है |
उनकी रूह को खुदा सुकून और जन्नत बक्शे ,
ये ही हम सब चाहने वालों की तरफ़ से उनके लिए दुआ है !
यू तो उन्होंने अपनी जिन्दगी में जो भी गाया ,सब बेहतरीन गाया ...
ये तो सब संगीत के कद्रदान समझते हैं |
मैं क्या हूँ ,कौन हूँ ,जो कुछ भी संगीत की बारीकियों को जानता नही ,
समझता नही.......
पर ज़नाब मेहदी हसन साहब की छोड़ी हुई संगीत की सौगात में
सब के लिए बहुत कुछ है ...जिसे जो समझ आए ,जो दिल को भाए ,
जिस लायक वो उनको समझता हो ...वो सब कुछ है सब के लिए !
ऐसे फ़नकार मुद्दतों में एक बार ही पैदा होते हैं !!!
मैं भी अपनी पसंद ,आप को सुनवा कर उनको अपनी और उनके चाहने वालों की तरफ़ से
विन्रम श्रद्धांजलि.........देता हूँ !
जिन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं ,
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा
तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझको
ये मेरी उम्र ,महोब्बत के लिए थोड़ी है .......
इससे आगे आप पढ़ना छोड़....कतील शाफई का लिखा कलाम ...
उनकी मखमली आवाज़ में नवाजी पूरी ग़ज़ल सुनें...!!!
विनम्र श्रद्धांजलि..
ReplyDeletenaman
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि ...
ReplyDeleteसादर
उत्कृष्ट प्रस्तुति |
ReplyDeleteआभार ||
विनम्र श्रद्धांजलि |||
मेहदी हसन जी को विनम्र श्रद्धांजलि..
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि .....
ReplyDeleteमेंहदी हसन साहब को विनम्र श्रद्धांजलि
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजलि|||
ReplyDeleteअपनी ग़ज़लों में अमर रहेंगे हसन साहब .
ReplyDeleteविनम्र श्रधांजलि .
ज़नाब मेहदी हसन साहब को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !!!!!!,,,,,,,
ReplyDeleteMY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,
महान गायक मेहदी हसन साहब को विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteसच्ची श्रद्धांजलि मेहदी हसन साहब को.
ReplyDeleteमेहदी साहब को याद करना अपने अतीत में लौटना है हम उनकी ग़ज़लों से १९७० के दशक में वाकिफ हुए उसके बाद कोई ग़ज़ल सरा अच्छा न लगा .नेशनल सेंटर फॉर परफोर्मिंग आर्ट्स, मुंबई में उनको समर्पित एक कार्यक्रम उनके शागिर्द आखिरी ग़ज़ल लेजेंड तलत अज़ीज़ साहब ने प्रस्तुत किया था गए साल .मेहदी साहब को जब गाते तलत तो लगता मेहदी हसन ही गा रहें हैं यकीन मानिए बहुत खूबसूरत थी वह शाम जब तलत गाते थे मेहदी हसन साहब को जब तलत अज़ीज़ गाते थे तलत अज़ीज़ को .
ReplyDeleteतेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे ,
मोहब्बत करने वाले कम न होंगे .
अगर तू इत्तेफाकन मिल भी जाए तेरी फुरकत के सदमे कम न होंगें .
खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि
ReplyDeleteखमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं,
पंचम इसमें वर्जित है,
पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग
भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
..
हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर
ने दिया है... वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि
चहचाहट से मिलती है.
..
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