Friday, June 15, 2012

जिन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं ...!!!

वो एक अज़ीम और अदीब शख्सियत थे ,
अपनी मौसिकी की दुनिया के ....
ज़नाब मेहदी हसन साहब !  गज़लों के "शहंशाह-ए-गज़ल"
१३ जून ,बुधवार २०१२ को इंतकाल फरमा गए ...
अपने ८५ सालो की जिंदगानी के सफ़र में ......
उनका जन्म १८ जुलाई ,१९२७ को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के लूणा गांव
में हुआ था...!!!  


मौसिकी का कोई मजहब या देश नही होता ,
ये कुदरत की फिज़ाओं में गूंजती है|
ज़नाब मेहदी हसन साहब के इंतकाल से हर उस...
संगीत चाहने ,सुनने या गाने वाले का अपना-अपना ,
कहीं न कहीं निजी नुक्सान हुआ है |
उनकी रूह को खुदा सुकून और जन्नत बक्शे ,
ये ही हम सब चाहने वालों की तरफ़ से उनके लिए दुआ है !
यू तो उन्होंने अपनी जिन्दगी में जो भी गाया ,सब बेहतरीन गाया ...
ये तो सब संगीत के कद्रदान समझते हैं |
मैं क्या हूँ ,कौन हूँ  ,जो कुछ भी  संगीत की बारीकियों को जानता  नही ,
समझता नही.......
पर ज़नाब मेहदी हसन साहब की छोड़ी हुई संगीत की सौगात में
सब के लिए बहुत कुछ है ...जिसे जो समझ आए ,जो दिल को भाए ,
जिस लायक वो उनको समझता हो ...वो सब कुछ है सब के लिए !
ऐसे फ़नकार मुद्दतों में एक बार ही पैदा होते हैं !!!
मैं भी अपनी पसंद ,आप को सुनवा कर उनको अपनी और उनके चाहने वालों की तरफ़ से 
विन्रम श्रद्धांजलि.........देता हूँ !

जिन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं ,
मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा


तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझको
ये मेरी उम्र ,महोब्बत के लिए थोड़ी है .......

इससे आगे आप पढ़ना छोड़....कतील शाफई का लिखा कलाम ...
उनकी मखमली आवाज़ में नवाजी पूरी ग़ज़ल सुनें...!!!













16 comments:

  1. विनम्र श्रद्धांजलि ...
    सादर

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  2. उत्कृष्ट प्रस्तुति |
    आभार ||
    विनम्र श्रद्धांजलि |||

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  3. मेहदी हसन जी को विनम्र श्रद्धांजलि..

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  4. विनम्र श्रद्धांजलि .....

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  5. मेंहदी हसन साहब को विनम्र श्रद्धांजलि

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  6. विनम्र श्रद्धांजलि|||

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  7. अपनी ग़ज़लों में अमर रहेंगे हसन साहब .
    विनम्र श्रधांजलि .

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  8. ज़नाब मेहदी हसन साहब को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !!!!!!,,,,,,,

    MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,

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  9. महान गायक मेहदी हसन साहब को विनम्र श्रद्धांजलि।

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  10. सच्ची श्रद्धांजलि मेहदी हसन साहब को.

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  11. मेहदी साहब को याद करना अपने अतीत में लौटना है हम उनकी ग़ज़लों से १९७० के दशक में वाकिफ हुए उसके बाद कोई ग़ज़ल सरा अच्छा न लगा .नेशनल सेंटर फॉर परफोर्मिंग आर्ट्स, मुंबई में उनको समर्पित एक कार्यक्रम उनके शागिर्द आखिरी ग़ज़ल लेजेंड तलत अज़ीज़ साहब ने प्रस्तुत किया था गए साल .मेहदी साहब को जब गाते तलत तो लगता मेहदी हसन ही गा रहें हैं यकीन मानिए बहुत खूबसूरत थी वह शाम जब तलत गाते थे मेहदी हसन साहब को जब तलत अज़ीज़ गाते थे तलत अज़ीज़ को .

    तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे ,
    मोहब्बत करने वाले कम न होंगे .
    अगर तू इत्तेफाकन मिल भी जाए तेरी फुरकत के सदमे कम न होंगें .

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  12. खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि
    खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं,
    पंचम इसमें वर्जित है,
    पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग
    भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
    ..

    हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर
    ने दिया है... वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि
    चहचाहट से मिलती है.
    ..
    Feel free to visit my site :: खरगोश

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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