वाह ..जी ली ज़िंदगी भरपूर ...अब मौत की चिंता नहीं ... एक दिन तो आनी ही है ...ज़िंदगी की शाम कभि ना कभी तो होनी ही है .... सत्य कहती सुंदर रचना ....शुभकामनायें
न!न!न!भाई जी ये नकारात्मक विचार बिल्कुल नहीं ये तो जिन्दगी का सकारात्मक पहलू है ...:-)) आप के स्नेह का आभार | बाकि आनंद तो ६५ के इस पार और ६५ के उस पार तो हेपी एण्ड येही है ...... शुभकामनाएँ!
ज़िंदगी को जी भर जी लेने के बाद मौत की चिंता कभी नहीं सताती यही ज़िंदगी का कड़वा सच है। बस मन मे कुछ अटका न रहे यही बहुत है बाकी आयें हैं तो एक न एक दिन जान भी पड़ेगा ही। वो कहते है न "सब ठाठ पड़ा रह जाएगा जब लाद चलेगा बंजारा"....
आप सब का बहुत-बहुत आभार !आप ने सच को माना ,,,, मैंने तो सुना था ....जिन्दगी चार दिन की है .. मैं तो जी लिया बरसों .....फिर नकारात्मक क्या ? ये तो लाभ का सौदा हुआ न ????हा हा हा :-)))) शुभकामनाये आप सब को ... सदा खुश और स्वस्थ रहें !
आपने तो ने भावुक कर दिया पर यर्थाथ तो यही है. सादर
ReplyDeleteबहुत लंबा सा कमेन्ट लिखा था.
ReplyDeleteन जाने कैसे गायब हो गया.
यार चाचू,मरना तो स्थाई शयन मात्र है.
हर शयन के बाद एक नया शरीर नए रिश्तों नातों के साथ.
उन्ही में हम भी कहीं आपके साथ आ ही जायेंगें.
आपकी 'यादें...' कहीं न कहीं याद दिला देगी हमारी भी
आप तो शुद्ध आत्मा है ....सब को सत्कर्म का ज्ञान कराते हैं .....
Deleteआप तो बहुतों को याद आओगे ....हा हा हा :-))
खुश रहो !
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ReplyDelete♥बहुत सुन्दर प्रस्तुति♥
(¯`'•.¸*♥♥*¸.•'´¯)♥
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-=-सुप्रभात-=-
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कोई ऐसी चीज न छोड़ें जिसके लिये सुबह उठकर चिन्ता रहे...
ReplyDeleteजब उठेगें ही नही तो चिन्ता किस बात की ..???
Deleteशुभकामनाएँ!
जीवन की सच्चाई को स्वीकारती सुंदर प्रस्तुति. जियो तो ऐसे जियो कि कल का इन्तेज़ार न हो.
ReplyDeleteजी लिया - यही संतोष बहुत है , जाना तो है ही
ReplyDeleteबहूत हि सुंदर और गहन रचना...
ReplyDeleteअति सुंदर...
जब तक जीते हैं तभी तक चिंता है .....जाने के बाद क्या पता क्या होता है .... गहन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसच कहा जितनी जिन्दगी जी लिया बहुत है ..कैसे गुजरी क्यों सोचना...गहन अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteजिंदगी यूँ ही मिल कर बीत जाएगी ...संग तेरे
ReplyDeleteचार कदम साथ तो चलो ...थकने से पहले |
आखरी सफ़र तो अकेले का ही है .....येही सच है ?
Deleteशुभकामनाएँ!
जावन की वास्तविकताओं कों बाखूबी शब्द देते हैं आप ...
ReplyDeleteआपकी यादों के झरोखे लाजवाब हैं ...
वाह ..जी ली ज़िंदगी भरपूर ...अब मौत की चिंता नहीं ...
ReplyDeleteएक दिन तो आनी ही है ...ज़िंदगी की शाम कभि ना कभी तो होनी ही है ....
सत्य कहती सुंदर रचना ....शुभकामनायें
गहन अभिव्यक्ति, सुंदर रचना,,,,, ,
ReplyDeleteMY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: ब्याह रचाने के लिये,,,,,
सच्ची बात कही.....
ReplyDeleteक्या बात है!!
ReplyDeleteआपके इस सुन्दर प्रविष्टि का लिंक दिनांक 11-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगा। सादर सूचनार्थ
ज़िन्दगी की हकीकत बयान कर दी।
ReplyDeleteअगर हाथो को कुछ देने के लिए झुका नही सकते
ReplyDeleteतो कुछ लेने को लिए हाथो को फैलाओ तो मत ||
सुंदर उक्ति के साथ सुंदर रचना सर....
सादर।
नकारात्मक विचार और आप ...
ReplyDeleteआनंद नहीं आया भाई जी !
न!न!न!भाई जी ये नकारात्मक विचार बिल्कुल नहीं ये तो जिन्दगी का सकारात्मक पहलू है ...:-)) आप के स्नेह का आभार |
Deleteबाकि आनंद तो ६५ के इस पार और ६५ के उस पार तो हेपी एण्ड येही है ......
शुभकामनाएँ!
मुझे भी नकारात्मक ही लगी सर...
Deleteमगर आपके नज़रिए से देखने पर अच्छा लगा.....
सादर.
ज़िंदगी को जी भर जी लेने के बाद मौत की चिंता कभी नहीं सताती यही ज़िंदगी का कड़वा सच है। बस मन मे कुछ अटका न रहे यही बहुत है बाकी आयें हैं तो एक न एक दिन जान भी पड़ेगा ही। वो कहते है न "सब ठाठ पड़ा रह जाएगा जब लाद चलेगा बंजारा"....
ReplyDeleteभावकता भरी पर एक सच्ची दास्तान ...
ReplyDeleteभावमय करते शब्दों का संगम है यह प्रस्तुति ... आभार
ReplyDeleteअशोक साहब की एक बढ़िया रचना जीवन से संतुष्टि की प्रतीक .मैं कबका जा चुका हूँ अब स -शरीर जाना महज़ एक रिहर्सल होगा मेरे भाई .
ReplyDeleteaadarniy sir
ReplyDeleteek haqkat se paripurn prastuti
bahut sach likha hai aapne
sadarnaman
poonam
आपकी कविताएँ दिल को छु जाती है सर . बहोत अच्छा लगा पढ़ के
ReplyDeleteहिन्दी दुनिया ब्लॉग (नया ब्लॉग)
bahut sundar kavita.
ReplyDeleteआप सब का बहुत-बहुत आभार !आप ने सच को माना ,,,,
ReplyDeleteमैंने तो सुना था ....जिन्दगी चार दिन की है ..
मैं तो जी लिया बरसों .....फिर नकारात्मक क्या ? ये तो लाभ का सौदा हुआ न ????हा हा हा :-))))
शुभकामनाये आप सब को ...
सदा खुश और स्वस्थ रहें !