अशोक जी अच्छी और नाज़ुक एहसासात से रची बसी रचना... मैं भी अपनी नानी से बहुत भावुक रूप से जुडा हुआ हूँ तो ऐसे में ये कविता पसंद आनी ही थी. बहुत बहुत साधुवाद
इसीलिए कहतें हैं -बस 'मर गई तेरी नानी' यानी हो गई तेरी ऐसी की तैसी ,'ऐसा गाल पे मारूंगा खींचके नानी याद आ जाएगी ' तो ज़नाब अशोक भाई साहब ऐसे बिम्ब जुड़ें हैं नानी साहिबा से .कुशल पहुँच गया हूँ ,43,309 ,Silver Wood DR,CANTON,MI,48,188 001-734-446-5451
अति संवेदन शील प्रस्तुति नानी जी को नमन, माँ इस दुनिया से तो चली जाती है मगर अपने बच्चों के मन में सदा जीवत रहा करती है। इसलिए उदास ना हों आपकी माँ और आपकी नानी चाहे आज भले ही पास न हो आपके मगर हैं आस पास ही। इसलिए तो कठिनाइयों में भी आप आज भी संभल जाते हैं।
नानी की याद .... सच है जब मन का दर्द गहन हो जाता है तो वही याद आता है जो सबसे ज्यादा प्यार करता है .... चित्र के साथ रचना भी बहुत खूबसूरत ...कोमल से एहसासों को सँजोये हुये ...
यार चाचू, अपनी नानी को तो कभी देखा नही, पर आपने नानी का इतना सुन्दर,मार्मिक और हृदयस्पर्शी चित्रण किया है कि मन के कल्पना लोक में वात्सल्यमयी नानी की भव्य छवि का दर्शन कर निहाल हो गया हूँ.
भगवान कृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में कहा है कि
'न तो ऐसा ही है कि मैं किसी काल में नही था,तू नही था अथवा ये राजा लोग नही थे और न ऐसा ही है कि इससे आगे हम सब नही रहेंगें'
अर्थात हम हमेशा ही रहने वाले हैं इस शरीर में नही तो किसी और शरीर में, बशर्ते हम अपनी चेतना और स्मरण को सदा जाग्रत रखें.
आपने अपने मन मस्तिष्क में नानी जी का स्मरण किया तो वे वहाँ मौजूद ही हैं,साक्षात! चाहें तो आप उनसे बातें कर के देख लीजियेगा.
जो लोग जीते जी अपनों का विस्मरण कर देते हैं उनके लिए तो उनके वे अपने जीते हुए भी मरों के समान ही हैं.
sach jab man behad udas hota hai to apne sabse kareebi chahne waale ki sabke pahle yaad aati hain... bahut hi sundar marmsparshi rachna ke liye aabhar!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज शनिवार के चर्चा मंच पर भी की गयी है!
सूचनार्थ...!
मर्मस्पर्शी भाव..... माँ को नमन
ReplyDeleteभावुक करती रचना, आपकी नानी को नमन..
ReplyDeleteनानी को मेरा नमन
ReplyDeletenaaniyan itti acchhi hi hoti hain. kyuki vo maa ki bhi maa hain na.....isliye aur bhi acchi hoti he nani.
ReplyDeleteनानी को सादर नमन.....भावपूर्ण रचना..अशोक जी
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteनानी जी को सादर नमन...
बहुत प्यारी रचना.....
ReplyDeleteमेरी नानी भी ऐसे ही प्यार करतीं थीं .....और बहुत प्यारी थीं...
सादर नमन.
अनु
नानी को समर्पित बहुत मार्मिक रचना,,,,सादर नमन,,,
ReplyDeleteMY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
भावमय करते शब्दों का संगम ..
ReplyDeleteनानी जी को सादर नमन
सुन्दर भावांजली सर...
ReplyDeleteसादर।
माँ को नमन, नानी को सादर नमन
ReplyDeleteBahut achey kahi
ReplyDeleteमाँ को सादर नमन
ReplyDeleteअशोक जी
ReplyDeleteअच्छी और नाज़ुक एहसासात से रची बसी रचना...
मैं भी अपनी नानी से बहुत भावुक रूप से जुडा हुआ हूँ तो ऐसे में ये कविता पसंद आनी ही थी.
बहुत बहुत साधुवाद
आभार आपका ...
Deleteखुश और स्वस्थ रहें!
इसीलिए कहतें हैं -बस 'मर गई तेरी नानी' यानी हो गई तेरी ऐसी की तैसी ,'ऐसा गाल पे मारूंगा खींचके नानी याद आ जाएगी ' तो ज़नाब अशोक भाई साहब ऐसे बिम्ब जुड़ें हैं नानी साहिबा से .कुशल पहुँच गया हूँ ,43,309 ,Silver Wood DR,CANTON,MI,48,188
ReplyDelete001-734-446-5451
अति संवेदन शील प्रस्तुति नानी जी को नमन, माँ इस दुनिया से तो चली जाती है मगर अपने बच्चों के मन में सदा जीवत रहा करती है। इसलिए उदास ना हों आपकी माँ और आपकी नानी चाहे आज भले ही पास न हो आपके मगर हैं आस पास ही। इसलिए तो कठिनाइयों में भी आप आज भी संभल जाते हैं।
ReplyDeleteखुश और स्वस्थ रहें !
Deleteआशीर्वाद!
आप सब का दिल से आभार प्रकट करता हूँ .....
ReplyDeleteशुभकामनाएँ आप सब को !
भावपूर्ण अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteनानी जी को नमन!
सादर!
बेहद खूबसूरत हैं ये यादों का सफर ......
ReplyDeleteनानी की याद .... सच है जब मन का दर्द गहन हो जाता है तो वही याद आता है जो सबसे ज्यादा प्यार करता है .... चित्र के साथ रचना भी बहुत खूबसूरत ...कोमल से एहसासों को सँजोये हुये ...
ReplyDeleteआपमें आज भी एक बच्चा जिन्दा है ...
ReplyDeletebehad khubsurat aur behad prabhavshali
ReplyDeleteयार चाचू, अपनी नानी को तो कभी देखा नही,
ReplyDeleteपर आपने नानी का इतना सुन्दर,मार्मिक
और हृदयस्पर्शी चित्रण किया है कि मन के
कल्पना लोक में वात्सल्यमयी नानी की भव्य
छवि का दर्शन कर निहाल हो गया हूँ.
भगवान कृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में कहा है कि
'न तो ऐसा ही है कि मैं किसी काल में नही था,तू नही था
अथवा ये राजा लोग नही थे और न ऐसा ही है कि इससे
आगे हम सब नही रहेंगें'
अर्थात हम हमेशा ही रहने वाले हैं इस शरीर में नही तो किसी
और शरीर में, बशर्ते हम अपनी चेतना और स्मरण को सदा
जाग्रत रखें.
आपने अपने मन मस्तिष्क में नानी जी का स्मरण किया
तो वे वहाँ मौजूद ही हैं,साक्षात! चाहें तो आप उनसे बातें कर
के देख लीजियेगा.
जो लोग जीते जी अपनों का विस्मरण कर देते हैं उनके लिए
तो उनके वे अपने जीते हुए भी मरों के समान ही हैं.
भावमयी प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार,यार चाचू.
sach jab man behad udas hota hai to apne sabse kareebi chahne waale ki sabke pahle yaad aati hain... bahut hi sundar marmsparshi rachna ke liye aabhar!
ReplyDeleteसही कहा आपने नानी तो माँ की माँ होती है
ReplyDeleteजब माँ का कर्ज नहीं उतार सकते तो नानी का कहाँ से उतार सकते हैं
सुंदर भावपूर्ण रचना .....
मन कों छूते हुवे शब्द ... निशब्द कर जाते हैं ...
ReplyDeleteबुज़ुर्ग हमेशा साथ रहते हैं यादों में ...
ये कोई मेरी रचना नही ....ये मेरे दिल के एहसास हैं ...सच्चाई है !
ReplyDeleteआप सब ने मेरे एहसास दिल से महसूस किए ......!
बहुत-बहुत आभार !
खुश और स्वस्थ रहें!
मार्मिक प्रस्तुति ,नानी की यादों में भीगी .
ReplyDeleteBahut khoob likha hai.. badhaiyaan
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