यादें...!!!
जुलाई महीने की २९ से १ अगस्त २०११ तक
सिर्फ ४ दिन ....
हम पांच बचपन के दोस्तों में से तीन दोस्त
बहुत बरसों बाद इकट्ठा हो कर ऋषिकेश की
यात्रा पर निकले ..??? पांच में से तीन क्यों ?
क्यों कि हम में से दो हम तीन को छोड़ कर
सांसारिक यात्रा से विदा लेकर अनंत यात्रा को
चले गये.......
बस रह गयीं उनकी यादें ....
यादें....उन्ही यादों के सहारे अपनी बचपन की यादों...
जवानी के वादों, को जिया| उन्हें जिन्दा किया और
फिर अपने को देखा अपने वर्तमान को देखा और
अपनी-अपनी हकीकत की दुनियां में आ गये ......
इसी बीच जो याद किया ,जिन यादों में जिये,जो एहसास
हुये,जिनको हम सबने मिलकर महसूस किया ,बस वो ही
आप से बाटनें को दिल चाह रहा है....
बावजूद इसके इन चार दिनों की कीमत ,वहाँ की गर्मी ,तीखी
धुप और भरी उमस की वजह से मुझे २० दिन बिस्तर पर रहना
पड़ा ....इस कीमत पर भी वो चार दिन मेरे जिंदगी के यादगार दिन बन गए ...
हमने अपने भूतकाल को जिन्दा किया ,भूतकाल में जिये ,हँसे ,गुदगुदाए
आपस में मजाक किये ,कभी हंसी,ठहाके और कभी शर्म| पर अपने किये
पे शर्मिंदगी कभी नही....? सब कुछ मासूम था .....!
हो सकता है ये लेख ... आप के लिए कुछ मायने न रखता हो ...
आप इसे पढे या बिना पढे आगे बड जाये ...मुझे कोई हैरानी ,परेशानी ,
गिला-शिकवा कुछ भी आप से नही होगा ...क्यों कि ये सिर्फ मेरी यादें हैं ,
मेरे लियें हैं और मेरे लिए अनमोल हैं ..और यहाँ इन्हें हमेशा याद रखने ,
यादों को जिन्दा रखने और इन्हें बार-बार पढ़ कर अपना समय बिताने के
लिए है ......!!!
पर आप से वादा ! अगली पोस्ट में आप के लिए अपनी पसंद की गज़ल
जो आप को भी जरूर पसंद आएगी ...सिर्फ और सिर्फ आप सब के लिए
पेश करूँगा ...तब तक के लिए विदा ......
खुश और स्वस्थ रहें !
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तब ...(बायें से 1&4 no, वाले हम में नही ,5 वें पर में हूँ |