Tuesday, January 21, 2014

यहाँ हर शख्स ......उदास सा क्यों है ???

कैसा है मन, कभी-कभी  
ये यूँ भी उदास होता है...
सब कुछ है,पास फिर भी 
खालीपन का अहसास होता है.... 
---अशोक'अकेला'

यहाँ हर शख्स ......उदास सा क्यों है ???
बलाएँ अपनों की लिए जा रहा है 
 भ्रम के दायरे में जिए जा रहा है

 खा रहा है अपने ही खून से दगा
 और खून के घूंट पिए जा रहा है

 रह-रह के करता है यकीं उसी पर
 जो ठोकर पे ठोकर दिए जा रहा है

 बहुत समझाया दिल को मैंने अपने
 दिल झूठी तसल्ली दिए जा रहा है

 ग़र गुनाह करे,आज की औलाद
 कसूर संस्कारों को दिए जा रहा है

जननी भी साथ देती है औलाद का 
जन्मदाता ग़म को पिए जा रहा है 

 है भारतवासियों का ही दस्तूर यह
फिर भी उम्मीद पे जिए जा रहा है...


अशोक'अकेला'



18 comments:

  1. कड़वा सच बयान किया है....
    मन उदास कर देती है आपकी कई रचनाएं....:-(

    सादर
    अनु

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  2. http://bulletinofblog.blogspot.in/2014/01/blog-post_21.html

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  3. katu saty ..
    bahut hi bhavpurn rachana...
    http://mauryareena.blogspot.in/

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  4. बहुत ही बेहतरीन नज्म .

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  5. कटु सत्य...बहुत सटीक और मर्मस्पर्शी रचना...

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  6. क्या भैया ...
    कुछ कहने को बचा ही कहाँ :(
    बहुत दुःख देती हैं ये बातें ...

    ~सादर

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  7. उदासी मे भी सुंदरता छुपी है !

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  8. जीवन का ये रंग यथार्थ है ....जीना है और मुस्कुराकर जीना है ....शुभकामनायें ...!!

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  9. स्नेह के लिए आभार रविकर जी .....

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  10. दिल का दर्द शब्द रूप में प्रगट हुआ है !
    नई पोस्ट मौसम (शीत काल )
    नई पोस्ट बोलती तस्वीरें !

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  11. बेहद सुंदर !! दिल को छूती हुई ........

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  12. उम्मीद का सहारा भी न हो तो जीना मुश्किल हो जायेगा ...
    सच कहा है ओउलाद साथ न दे तो संस्कार भी बात होती है ... पर क्या कृष्ण संस्कारी न थे .. उनके बच्चे भी कौन उनके साथ देते थे ...

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  13. आज हर इंसान यही घूट पीए जारहा है..बहुत बढ़िया !

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  14. यहाँ सब ख़त्म हो जाता है, उम्मीद के सिवा।

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  15. सुंदर पंक्तियाँ
    बसंत पंचमी की शुभकामनाएं...

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  16. ग़र गुनाह करे,आज की औलाद
    कसूर संस्कारों को दिए जा रहा है

    mera khyal hai ki ab aapko apni ek pustak nikal leni chahiye .....

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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