कैसा है मन, कभी-कभी
ये यूँ भी उदास होता है...
सब कुछ है,पास फिर भी
खालीपन का अहसास होता है....
---अशोक'अकेला'
यहाँ हर शख्स ......उदास सा क्यों है ???
बलाएँ अपनों की लिए जा रहा है
भ्रम के दायरे में जिए जा रहा है
खा रहा है अपने ही खून से दगा
और खून के घूंट पिए जा रहा है
रह-रह के करता है यकीं उसी पर
जो ठोकर पे ठोकर दिए जा रहा है
बहुत समझाया दिल को मैंने अपने
दिल झूठी तसल्ली दिए जा रहा है
ग़र गुनाह करे,आज की औलाद
कसूर संस्कारों को दिए जा रहा है
जननी भी साथ देती है औलाद का
जन्मदाता ग़म को पिए जा रहा है
है भारतवासियों का ही दस्तूर यह
फिर भी उम्मीद पे जिए जा रहा है... |
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अशोक'अकेला' |
कड़वा सच बयान किया है....
ReplyDeleteमन उदास कर देती है आपकी कई रचनाएं....:-(
सादर
अनु
http://bulletinofblog.blogspot.in/2014/01/blog-post_21.html
ReplyDeleteआभार रश्मि जी ...
Deletekatu saty ..
ReplyDeletebahut hi bhavpurn rachana...
http://mauryareena.blogspot.in/
बहुत ही बेहतरीन नज्म .
ReplyDeleteकटु सत्य...बहुत सटीक और मर्मस्पर्शी रचना...
ReplyDeleteक्या भैया ...
ReplyDeleteकुछ कहने को बचा ही कहाँ :(
बहुत दुःख देती हैं ये बातें ...
~सादर
उदासी मे भी सुंदरता छुपी है !
ReplyDeletedaral sahab ki baat 100 feesdi sahi hai.
ReplyDeleteजीवन का ये रंग यथार्थ है ....जीना है और मुस्कुराकर जीना है ....शुभकामनायें ...!!
ReplyDeleteस्नेह के लिए आभार रविकर जी .....
ReplyDeleteदिल का दर्द शब्द रूप में प्रगट हुआ है !
ReplyDeleteनई पोस्ट मौसम (शीत काल )
नई पोस्ट बोलती तस्वीरें !
बेहद सुंदर !! दिल को छूती हुई ........
ReplyDeleteउम्मीद का सहारा भी न हो तो जीना मुश्किल हो जायेगा ...
ReplyDeleteसच कहा है ओउलाद साथ न दे तो संस्कार भी बात होती है ... पर क्या कृष्ण संस्कारी न थे .. उनके बच्चे भी कौन उनके साथ देते थे ...
आज हर इंसान यही घूट पीए जारहा है..बहुत बढ़िया !
ReplyDeleteयहाँ सब ख़त्म हो जाता है, उम्मीद के सिवा।
ReplyDeleteसुंदर पंक्तियाँ
ReplyDeleteबसंत पंचमी की शुभकामनाएं...
ग़र गुनाह करे,आज की औलाद
ReplyDeleteकसूर संस्कारों को दिए जा रहा है
mera khyal hai ki ab aapko apni ek pustak nikal leni chahiye .....