Thursday, August 31, 2017

जो गुज़र गया ..वो कल था ...!!!


जो बीत रहा, वो आज है....


जो गुज़र गया वो कल था 
जो बीत रहा वो आज है 
कल मालिक था
वो तख्तो-ताज का 
आज बन गया सिर्फ 
इक दबी आवाज़ है 
वो कल था ,ये आज है ......

कल बहारें थी ,
सपनों का दौर था 
आज वीराने हैं ,
खांसी का शोर है 
वो कल था, ये आज है .....

क्या पापा..आप का 
जमाना और था 
आज हम हैं ..आज का 
ज़माना और है
वो कल था, ये आज है ..... 

मेरे कानों में जब भी 
सुनाई पड़ता है 
मुझ को ये जुमला 
दोहराया लगता है 
वो कल था, ये आज है ....

आँख में थी रौशनी ,
और चेहरे पर नूर था 
घुसा मोतिया आँखों में ,
हो गया चेहरा बे-नूर है 
वो कल था, ये आज है .....

ये जिन्दगी का पहिया बस 
यूँ ही चलता रहेगा 
कल आज में और आज कल में 
बस ढलता रहेगा 
वो कल था, ये आज है .....

कल तक नज़ाकत थी 
बहारें थी, नजारे थे 
जिस तरफ़ प्यार से देखो लो ,
सब हमारे थे 
क्योंकि वो कल था, ये आज है...

खुरदरे हो गये हम ,
वीरान हो गयी बहारें
धुंधला गये नजारे..... 
डाल के माथे पे सिलवट,
जिधर देखें, वो बोलें 
हम न थे कभी तुम्हारे....
क्योंकि वो कल था, ये आज है ....

कल जो  आवाज़ थी वो 
गुज़रे कल की बात थी  
ये जीता-जागता आज है 
आज वो बे-आवाज़ है 
मुस्कराओ ,ख़ुशी मनाओ ,
गुनगुनाओ आज के गीत 
वो कल था, ये आज है ..... 

वो हमारा समाज था 
ये आज का समाज है 
वो कल था, ये आज है .....
-अकेला


19 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 01 सितम्बर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    Replies
    1. आप का बहुत आभार जी ...स्वस्थ रहें |

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-09-2017) को "सन्तों के भेष में छिपे, हैवान आज तो" (चर्चा अंक 2714) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    Replies
    1. आप के स्नेह का शुक्रिया शास्त्री जी ...खुश रहें |

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  3. समय तो बदल ही रहा अहि ... जो कल था वो आज है पर हमारा नहीं ... और कल इनका भी नहीं रहने वाला ... यही सोचा जा सके तो कल आज और कल सभी कुशल है ...

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    1. जी नासवा जी ...आप सही हैं .स्वस्थ रहें |

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  4. Replies
    1. आभार आप के स्नेह का सुशील जी ....:)

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  5. बहुत सुन्दर.....
    सार्थक ,संवेदनशील प्रस्तुति....
    वाह!!!

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    Replies
    1. बहुत आभार सुधा जी ....शुभकामनायें |

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  6. वक्त के साथ सब बदल जाता है। इस बदलाव को स्वीकार कर लेना ही अच्छा !सकारात्मक ढ़ंग से स्वीकार करना बेहतर !वैसे ये व्यथा तो सभी के मन में आनी है । मर्मस्पर्शी रचना।

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    Replies
    1. बिल्कुल सही मीना जी ..आप की टिप्पणी से पूरी तरह सहमत ..
      पर दर्द तो व्यथा देगा ही ..शुभकामनायें जी |

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  7. मर्मस्पर्शी रचना..ये वक्त तो हरेक के हिस्से में है..
    बहुत बढिया..।

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    Replies
    1. दिल से आभार आपका पम्मी जी ...खुश रहें |

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  8. सुन्दर!
    मर्मस्पर्शी यथार्थपरक रचना।
    बधाई एवं शुभकामनाऐं।

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  9. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’हिन्दी ग़ज़ल सम्राट दुष्यंत कुमार से निखरी ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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