अशोक सलूजा |
वो जो गीत तुमने सुना नही ,मेरी उम्र भर का रियाज़ था ,
मेरे दर्द की थी वो दास्ताँ ,जिसे तुम हंसी में उड़ा गये ...
जब दिल में कहने को बहुत कुछ हो ,पर कलम और दिमाग
साथ न दे तो सबसे अच्छा रास्ता किसी अच्छी अपनी मनपसंद
गज़ल को गुनगुनाना होता है ....जिसमें शब्द दूसरे के होते हैं पर
आवाज़ आप के दिल की ........???
इस लिए, आज मेरा भी दिल यही चाह रहा है कि मैं आप को अपनी मनपसंद
एक गज़ल अपने बहुत ही मनपसंद गज़ल गायक ,या यूँ कहें कि गज़ल बादशाह
की गाई हुई सुनवाऊं....तो फिर देर किस बात की ....
.उम्मीद है ,आप को भी अच्छी लगेगी और आप इसका
भरपूर लुत्फ़ उठाएंगे ...पर एक अर्ज़ है आप इसे कम से कम दो बार जरूर सुनें ....
बेशक अपने कीमती समय से समय निकाल कर ...जब भी आप चाहें .....आराम से
आँखे मूंद कर कोई जल्दी नही ..... समय मिले तो ठीक वरना जाने दें ...फिर सही ...
मैं आप को ये नही कह रहा की आप ने इनको कभी सुना नही होगा ,ऐसा कोई गज़ल पसंद
होगा ही नही जिसने इनको न सुना हो ..ये किसी परिचय के मोहताज नही ,पर इनकी गज़ल
सुनना ही अपने आप में एक ईबादत है, जिसके ये सच्चे हकदार हैं ...... ये हैं गज़ल
बादशाह ज़नाब गुलाम अली साहब ....तो आयें सुनते हैं .....
मैं नाचीज जनाब गुलाम अली साहब के साथ |
बेहद प्यारे शब्द
ReplyDeleteBahut Sunder...
ReplyDeleteबहुत खूब भाई जी ....
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज शनिवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
Bahut Umda Gajal...........share kerne ke liye shukriya
ReplyDeleteBahut Sunder...
ReplyDeleteबड़ी सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteइक दिल ही तो मेरा कमजोर था
ReplyDeleteजिससे दिल तुम अपना जुडा गए ,
वही तो मेरे दिल की भी बात थी
जिसे तुम यूँ हंसी में उड़ा गए !
वो जो गीत तुमने सुना नही ,मेरी उम्र भर का रियाज़ था ,
ReplyDeleteमेरे दर्द की थी वो दास्ताँ ,जिसे तुम हंसी में उड़ा गये ...क्या बात है अशोक भाई साहब ,नए रंग में हैं ,शुक्रिया आपका हौसला अफजाई के लिए ......
ram ram bhai
शनिवार, २० अगस्त २०११
कुर्सी के लिए किसी की भी बली ले सकती है सरकार ....
स्टेंडिंग कमेटी में चारा खोर लालू और संसद में पैसा बंटवाने के आरोपी गुब्बारे नुमा चेहरे वाले अमर सिंह को लाकर सरकार ने अपनी मनसा साफ़ कर दी है ,सरकार जन लोकपाल बिल नहीं लायेगी .छल बल से बन्दूक इन दो मूढ़ -धन्य लोगों के कंधे पर रखकर गोली चलायेगी .सेंकडों हज़ारों लोगों की बलि ले सकती है यह सरकार मन मोहनिया ,सोनियावी ,अपनी कुर्सी बचाने की खातिर ,अन्ना मारे जायेंगे सब ।
क्योंकि इन दिनों -
"राष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,महाराष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,
मनमोहन दिल हाथ पे रख्खो ,आपकी साँसे अन्नाजी .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
अब इससे आगे क्या कहूं ,तू मुझमे है मैं तुझमे हूँ .
ReplyDeleteram ram bhai
शनिवार, २० अगस्त २०११
कुर्सी के लिए किसी की भी बली ले सकती है सरकार ....
स्टेंडिंग कमेटी में चारा खोर लालू और संसद में पैसा बंटवाने के आरोपी गुब्बारे नुमा चेहरे वाले अमर सिंह को लाकर सरकार ने अपनी मनसा साफ़ कर दी है ,सरकार जन लोकपाल बिल नहीं लायेगी .छल बल से बन्दूक इन दो मूढ़ -धन्य लोगों के कंधे पर रखकर गोली चलायेगी .सेंकडों हज़ारों लोगों की बलि ले सकती है यह सरकार मन मोहनिया ,सोनियावी ,अपनी कुर्सी बचाने की खातिर ,अन्ना मारे जायेंगे सब ।
क्योंकि इन दिनों -
"राष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,महाराष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,
मनमोहन दिल हाथ पे रख्खो ,आपकी साँसे अन्नाजी .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
उफ्फ ... ये कातिलाना मखमली आवाज़ ...
ReplyDeleteमज़ा आ गया ... और अभी भी मज़ा ले रहा हूँ ... शुक्रिया इस गज़ल के लिए ... और हाँ फोटो भी कमाल की यादगार होती है ...
veera! abhi to bs sun rhi hun aankhe moond kr.kmre kee khidkiyon ,darwaajon ke prde gira diye hain.hlke andhere me maddhm aawaz me ise sun kr dekhiye.................koi jruri nhi khud likhe hmaaree feelings ko vyakt krne me ye geet ghazal bhi apna role bahut khoob play krte hain. hindi me type nhi ho paa rha hai.abhi to is ghazal ko bs sunte rhna chahti hun.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति, यार चाचू.
ReplyDeleteकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ.
शर्म उनको फिर भी नहीं आती ,संवेदन हीन प्रधान मंत्री इस मौके पर भी इफ्त्यार पार्टी का न्योंता दे रहें हैं .मुस्लिम भाइयों को इस न्योंते को राष्ट्र हित में ठुकरा देना चाहिए .दादा अशोक आपका बड़ा हौसला है हम तो अन्ना जी की सेहत को लेकर .....बेशक शरीर और मन -बुद्धि संस्कार का संयुक्त रूप चेतन ऊर्जा अलग है ...शरीर का क्या है लेकिन उपभोक्ता तो आत्मा ही है ,.........
ReplyDeleteअन्ना जी की सेहत खतरनाक रुख ले रही है .
गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
Posted by veerubhai on Sunday, August 21
अशोक भाई आप लोगों ने हौसला बंधाया हुआ है वरना एक श्रेष्ठ वरिष्ठ ,नेक नागरिक की गिरती सेहत ....हम सबको विचलित करने लगी है ..कब तक रुकेगा यह लावा अन्दर .....इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार ./ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com
ReplyDeleteTuesday, August 23, 2011
इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार .
जिस व्यक्ति ने आजीवन उतना ही अन्न -वस्त्र ग्रहण किया है जितना की शरीर को चलाये रखने के लिए ज़रूरी है उसकी चर्बी पिघलाने के हालात पैदा कर दिए हैं इस "कथित नरेगा चलाने वाली खून चुस्सू सरकार" ने जो गरीब किसानों की उपजाऊ ज़मीन छीनकर "सेज "बिछ्वाती है अमीरों की ,और ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था जिसने खड़ी कर ली है जो गरीबों का शोषण करके चर्बी चढ़ाए हुए है .वही चर्बी -नुमा सरकार अब हमारे ही मुसलमान भाइयों को इफ्तियार पार्टी देकर ,इफ्तियार का पुण्य भी लूटना चाहती है ।
अब यह सोचना हमारे मुस्लिम भाइयों को है वह इस पार्टी को क़ुबूल करें या रद्द करें .उन्हें इस विषय पर विचार ज़रूर करना चाहिए .भारत देश का वह एक महत्वपूर्ण अंग हैं ,वाइटल ओर्गेंन हैं .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com//......
गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
Posted by veerubhai on Sunday, August 21
२३ अगस्त २०११ १:३६ अपराह्न
वो जो नक्श थे तेरी याद के ,मुझे ख्वाब कैसे दिखा गये
ReplyDeleteकभी वक्त राह में रुक गया ,कभी फूल लौट के आ गये
वो जो गीत तुमने सुना नही ,मेरी उम्र भर का रियाज़ था ,
मेरे दर्द की थी वो दास्तां ,जिसे तुम हंसी में उड़ा गये
चाचू इस ग़ज़ल के लिए आपका जितना शुक्रिया अदा करूं , कम होगा …
क्या परखदृष्टि है आपकी भी … और क्या जज़बात !
सैल्यूट आपको !!
# मैं बचपन से ही ग़ुलाम अली साहब क मुरीद रहा हूं … सोचा करता था कि कभी पास से दर्शन का अवसर मिला तो उनके पांवों पर सर रख कर उनके प्रति अपनी श्रद्धा और प्यार का इज़हार करूंगा … … … ( मन की बात कही है आपसे )
कभी अवसर आया ही नहीं
आप उनसे मिले … आपका यह चित्र सेव कर रहा हूं …
…और ग़ज़ल भी डाउनलोड की है एक बार सुनी है … बीसों बार सुनूंगा अब …
आभार और शुक्रिया आपके प्रति !
मेरे दर्द की थी वो दास्तां ,जिसे तुम हंसी में उड़ा गये
ReplyDeleteओये होए ....
इतनी दिलकश ग़ज़ल से हम कैसे महरूम रह गए .......
हमने तो डायरी में उतार ली है ..
गुलाम अली साहब ने तो गई है लिखी किसने है ...?
हम तो उसके हाथ चूमना चाहेंगे ....
हुज़ूर ...
ReplyDeleteआपकी उम्दा पसंद
पर फख्र महसूस होता है मुझे
वाह - वा !!