Sunday, March 17, 2013

क्या आप अपनी औलाद से प्यार करतें हैं ???















ये कैसा बचकाना और बेहूदा  सवाल है .....?
यकीनन ,हर माँ-बाप अपनी औलाद को प्यार करते हैं .....
बस,ये ही जानने के लिए  आपको यहाँ खींच कर लाना पड़ा....ऐसा 
बचकाना और बेहूदा सवाल करके.....चलिए अब आ ही गये हैं... 
तो मेरी बात भी सुन लीजिये ..और मुझे भी कुछ ,समझाइये ,सिखाइए| 
मेरे अहसासों को मुझे  महसूस कराइए कि मैं कहाँ गलत हूँ और कहाँ ठीक .....
मैं आपसे वायदा करता हूँ कि मैं आप की हर बात मानुगा,अपने आप को 
समझाने की पूरी इमानदारी से कोशिश करूँगा ..,....!!!

हर माँ-बाप अपनी औलाद से प्यार करतें  हैं 
हर औलाद अपने माँ-बाप से प्यार क्यों नही करती .....
ये दो लाइंस मैंने फेसबुक स्टेटस पर पिछले दिनों लिखी थी .....
और फिर जल्द हटा भी लीं थी ???
अब किसी ने कहा ये आप की गलतफ़हमी है ..मैं तो अपने माँ-बाप
से बहुत प्यार करता हूँ अब ये क्या मैं छत पर चड़ कर चिल्ला के सबको बताऊँ ..?? 
किसी महिला मित्र ने कहा की अगर आप मेरे पति से आज भी मिले तो आपको
उनके श्रवण होने का आभास होगा, वो अपने माँ-बाप से इतना ज्यादा प्यार करते हैं ....
ये दो टिप्पणियाँ पढने के बाद ....मुझे पछतावा हो रहा था ...किसी के दिल को 
दुखाने का ...और अपने पे गुस्सा आ रहा था,खिझाहट हो रही थी ...
कि जो इन दो लाइंस में... मैं महसूस कर रहा था ...या  जो कहना चाह रहा था 
वो मैं दूसरों को महसूस कराने में असमर्थ  हुआ था .....और तिलमिला रहा था अपने बेबसी , 
अपनी अनपढ़ता पर ....... 
मेरा बस इतना ही मतलब था !!!
हर माँ-बाप अपनी औलाद से प्यार करतें  हैं 
यहाँ हर माँ-बाप के लिए (सब) आ गया ..
हर औलाद अपने माँ-बाप से प्यार क्यों नही करती .....
यहाँ हर औलाद के लिए (कुछ ही क्यों) ...सब क्यों नही .......
बस!मेरा सवाल भी सब से ये ही था ....ये ही है  ....... 
हर कोई क्यों नही करता ?( सिर्फ कुछ ही .... अच्छे क्यों हैं )
ये दो लाइन मेरे दिल से उठी थी ...जब-जब मैं टी. वी. पर किसी
माँ को या किसी बूढ़े बाप को रोते-बिलखते अपनी दुःख भरी कहानी 
सुनाते हुए देखता और सुनता हूँ ..जो उसे  किसी खास चैनल पर  
अपने ही बच्चो के विरोध में बयाँ कर रहे होतें हैं....  
या आजकल खबर के रूप में अखबारों में ऐसी कहानिया आये दिन
पढने को मिल जाती हैं ....,,
तो ये सवाल...मेरे मन में उभरता है . आपके मन में भी उभर जाता होगा ?
पर मुझे लगता है की शायद ये सवाल मैं ठीक से पूछ नही पाया ,न ही अपने
अहसास आप तक पंहुचा पाया |अब ये सवाल तो हर औलाद.हर माँ-बाप के सामने 
कभी न कभी तो आया ही होगा और आगे भी आता रहेगा .....
हर माँ-बाप की औलाद होती है और हर औलाद भी माँ-बाप बनती  हैं ...
हर माँ -बाप को अपनी औलाद प्यारी होती है और हर औलाद को अपनी औलाद 
क्यों की वो उनके माँ-बाप होते हैं ....तो हर माँ-बाप का ये सवाल तो अपनी जगह 
खड़ा ही रहेगा ...क्यों??
तो फिर ये बीच में थोड़े से अच्छे कहाँ से आ जाते हैं ....समझाइये न ......वो कौन सी 
मजबूरियां सामने आ जाती हैं कि कुछ को छोड़ बाकि उससे ऐसा समझोता कर लेते हैं... 
जिससे ये दो लाइने पैदा हो जाती हैं ...ये सवाल तो आजकल के माँ-बाप का है और ये 
ही सवाल आज की औलाद ..कल के माँ-बाप का भी होगा..
क्या इसका कोई हल नही ..?? कि ये सवाल पैदा ही न हो ..अगर हो भी तो कभी सिर्फ
कुछ के साथ ...न कि सब के साथ ....जैसा आज है ...कुछ अच्छे है...पर...   सब अच्छे क्यों नही ..???   
मैंने आप से कभी टिप्पणी के लिए नही कहा ....कैसे कहूँ ! न मैं कवि ,न शायर,न लेखक ,
न ही कोई ऐसा गुण जिसके लिए मैं आपसे टिपयाने को कहूँ ....न मैंने कभी ऐसा माना ,
न क्लेम किया ....मैं आज भी वही हूँ ,,जो मैंने अपने बारे में ,अपने  ब्लॉग पर दाहिनी तरफ लिखा है ...

पर आज मैं आप से अपने इस लिखे पर आपकी राय ज़रूर मागुंगा  की क्या मेरा ये सोचना गलत है
या मेरा  सवाल ठीक नही था ..या जो मैंने महसूस किया वो गलत है या मैं आप को महसूस नही करा सका
...मेरा किसी का दिल दुखाने का कोई इरादा न कभी रहा है, न  है, न कभी होगा|  
फिर भी अनजाने में  किसी औलाद का दिल दुखा दिया  हो तो मैं उनसे से हाथ जोड़
कर माफ़ी का तलबगार हूँ ....,और चाहूँगा कि हर माँ-बाप को आप जैसी अच्छी,और नेक औलाद प्राप्त हो |

हर माँ-बाप अपनी औलाद से प्यार करतें  हैं 
हर औलाद अपने माँ-बाप से प्यार "क्यों" नही करती .....
(अगर मेरे ये अहसास कुछ अच्छों तक पहुंचे ....और कुछ अच्छे आकर और मिल गये तो मैं इसे अपना अच्छा कर्म जानूंगा )
कैसी मज़बूरी आ जाती है, जिनको दूर नही किया जा सकता ......
आप अपने विचारों से जरुर अवगत कराएं ...
आपका आभार होगा !
अशोक 'अकेला'







56 comments:

  1. सवाल जितना पेचिदा लगता है उतना ही सरल और सहज भी है. जैसे कि अक्सर पूछा जाता है कि पहले मुर्गी आई या अंडा? एक बाप चार पांच औलाद आराम से हंसते खेलते पाल लेता है, लेकिन ये चार पांच मिलकर एक बाप को नही पाल पाते.

    इसे कुछ तो जेनेरेशन गैप से भी जोडना होगा, बाप को भी समझना होगा कि उनकी सोच और समय में काफ़ी अंतर आ चुका है.

    सभी औलाद भी बुरी नही होती. लेकिन आप जो कह रहे हैं वह समस्या मेरी समझ से अंडॆ और मुर्गी के जैसे शास्वत खडी थी, है और रहेगी.

    रामराम.

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    1. ताऊ(भाई) राम-राम !
      कुछ सवालों का जवाब सिर्फ वक्त के पास होता है ....
      अब मुझे भी येही लगता है ...ये वैसा ही सवाल है ???
      स्नेह का आभार !

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  2. सार्थक संदेश देती बेहतरीन प्रस्तुति.आज के दौर में अधिकांश बेटे अपने माँ बाप का कद्र नही कर रहें है,आये दिन इनसे जुडी वाक्या देखने सुनने को मिल जाता है.इससे भी इंकार नही किया जा सकता की अभी भी श्रवण हैं.

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    1. राजेन्द्र जी ,
      आपने मेरे दिल की हल-चल को पहचाना .....बस ये ही मेरा सवाल था !
      पर इसका सही जवाब सिर्फ वक्त के पास है ....
      आपका आभार!

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  3. shravan kumar is yug ki durlabh ghatna hai, aapne bilkul sahi likha hai, jitni care parents bachchon ki karte hain, uska ek chhota sa hissa bhi ham nahi karte.
    मेरी ही बात लीजिए, जब मेरी छोटी बिटिया रोती है तो मेरे पापा चिंतित होकर आ जाते हैं लेकिन मैं शांत मन से टीवी देखता रहता हूँ।

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    1. सौरभ जी ,आपको अपने से ज्यादा भरोसा अपने पापा पर है
      कि वो आप की बेटी को बहला लेंगे इससे ज्यादा माँ-बाप को
      और कुछ नही चाहिए ,,,बस प्यार और भरोसा !
      खुश रहिये !

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  4. माँ बाप बनते ही जो भाव आते हैं ... वो भाव अनोखे होते हैं ... उनके सामने सब भाव हलके हो जाते हैं ... शायद यही वजह होगी ... फिर अधिकतर गर्म खून किसी की परवा नहीं करता ... चाहे वो माँ बाप ही क्यों न हों ...
    पर कभी कभी लगता है ये प्रश्न बेमानी है .. क्योंकि हमने या हमारे माँ बाप ने भी तो यही किया ...
    कभी सोचता हूं आपका सवाल सवाल ही रह जायगा ... सही जवाब आना शायद मुश्किल ही है ...

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    1. सवाल सवाल ही रह जायगा ...सही कहा आपने ...ज़वाब सिर्फ वक्त के पास है .
      पर मैं जानता हूँ ...जिस औलाद के लिए मैं चिन्तत हूँ ..आप वो नही हैं .....
      स्वस्थ रहें !

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  5. माँ बाप अपने बच्चों से प्यार करते हैं, जो की उनकी अदाओं से झलकता है। और औलाद भी अपने माँ बाप से बहुत प्यार करती है ,बस इसका इजहार उम्र भर कर नही पाते।

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    1. आमिर भाई जी...
      बस यहीं कमी रह जाती है ...प्यार तो होता है ...इज़हार नही होता ...
      और आज के वक्त में दिखावे के बिना प्यार नही होता |
      शुभकामनायें!

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  6. सार्थक संदेश देती सुन्दर प्रस्तुति.

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    1. बहुत आभार आपका ,,मेरे अहसासों को सरहाने का !
      शुभकामनायें!

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  7. हर माँ-बाप अपनी औलाद से प्यार करतें हैं
    हर औलाद अपने माँ-बाप से प्यार "क्यों" नही करती ।

    सच कहूं तो ये बहुत जायज सवाल है। मैं ईमानदारी से स्वीकार करता हूं कि मैं क्षेत्र में हूं,वहां समय की व्यस्तता ने मुझे जिस तरह बांध रखा है, उससे मैं घर के लिए वाकई उतना समय नहीं निकाल पाता हूं, जितना आवश्यक है। जब माता पिता थे, कभी ऐसा नहीं होता था कि त्यौहार यूं ही अकेले दिल्ली में बिता दूं, पर अब पांच साल में तो मुझे याद नहीं कि मैने कोई त्यौहार घर पर मनाया हो।

    मित्रों सच कहूं तो मेरी नजर आज वो लोग सबसे ज्यादा " अमीर " हैं जिनके सिर पर मां बाप का साया मौजूद है और करोड़पति ही क्यों ना हो, अगर घर में मां बाप नहीं है, तो उससे बड़ा दरिद्र कोई नहीं है।

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    1. महेन्द्र जी ,
      आपने कैसे कह दिया ये सब ....पेट के लिए रोटी ..रोटी के लिए मजदूरी
      ,नौकरी बना देती है अपनों से दुरी ये तो हुई आपकी मजबूरी .......
      माँ-बाप का प्यार ,आशीर्वाद तो आप आज भी महसूस भी करते है और मिस भी ...
      ये सवाल किसी आप जैसों के लिए नही हैं |
      खुश और स्वस्थ रहें

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  8. नाहक चिंता कर रहे, मातु-पिता कर्तव्य |
    हक़ है हर औलाद का, मातु पिता हैं *हव्य |

    मातु पिता हैं *हव्य, सहेंगे हरदम झटका |
    वह तो सह-उत्पाद, मिलन के पांच मिनट का |

    खोदो खुद से कूप, बरसते नहीं बलाहक |
    होय छांह या धूप, करो मत चिंता नाहक ||

    हवन-सामग्री-

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    1. कविवर ,धन्यवाद आपका ..मूड-मति को कुछ समझ आये तो कहूँ....कृपया
      मेरे लिए साधारण भाषा का प्रयोग करेंगे तो मैं आपकी सलाह का पूरा प्रसाद ले पाउँगा
      आभार!

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    2. This comment has been removed by the author.

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    3. भावार्थ-
      माता पिता नाहक चिंता कर रहे हैं-पुत्र पैदा कर उन्होंने तो अपने कर्तव्य को पूरा किया है-माता -पिता पुत्र की परवरिश करें यह पुत्र का जन्म सिद्ध हक़ है-
      मात-पिता तो हवन की सामग्री हैं जिन्हें यज्ञ कुंड में डाला जाना है-
      झटके ख जायेंगे माता -पिता जब पुत्र कहेगा की वह तो पांच मिनट के सुख का बाई-प्रोडक्ट है -
      अगर बादल नहीं बरसते हैं तो कूप ही खोद लो अपने लिए -
      जीवन में धूप-छांह की चिंता मत करो-
      सादर-


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    4. वहा! कविवर ,फिर इस यज्ञ कुंड में तो सभी का नम्बर लगना है.....
      हमारा आज ...उनका कल ...फिर उनका ...फिर उनका!!! कर चिंता आजकी
      क्यों फ़िक्र करे तू उनका !
      आभार आपका !

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  9. ज्यादातर लोग अपने मा बाप से प्यार नही करते,(दिखावा करना अलग बात है)आत्मीय रूप से नही करते जो की हर माँ बाप अपने बेटे से चाहता है,,,

    Recent Post: सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार,

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  10. धीर भाई जी ..ये ही मैं भी कहना चाह रहा हूँ ....पर लगता है ..हमारे ऐज ग्रुप को इसका सामना करना ही पड़ेगा हमें आज ...हमारी औलाद को कल ...ये सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा ....क्यों .....किसी के पास कोई जवाब नही ...कारण बहुत |
    शुभकामनायें|

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  11. आज दौर का सच यही है .... आपने मर्मस्पर्शी बातें सामने रखीं हैं....

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    1. मोनिका जी ,आपने लेख के मर्म को समझा ...ये ही बहुत है |
      आभार आपका !

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  12. आज की ब्लॉग बुलेटिन ताकि आपको याद रहे - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  13. वाह!
    आपकी यह प्रविष्टि आज दिनांक 18-03-2013 को सोमवारीय चर्चा : चर्चामंच-1187 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  14. माता पिता के प्रति धीरे धीरे वह भाव जगाना पड़ता है, जिन्होंने आपका ख्याल रखा होता है उन्हें भी आपके ख्याल की आवश्यकता है, यह समझना पड़ेगा।

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    1. प्रवीण जी .समझना पड़ेगा ,जगाना पड़ता है ....बस यही चिंताजनक है ...
      जगा क्यों नही रहता ....कारण बहुत हैं |
      आभार आपका .खुश रहें |

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  15. जनरेशन गैप जिसमे एक दुसरे की भावनाओं को ठीक से समझने में फर्क आ जाता है , क्षणिक स्वार्थ, कुछ सामाजिक रीति रिवाज इत्यादि अनेक कारण जिम्मेदार है।

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    1. गोदियाल भाई जी ...बहुत-बहुत आभार आपका !
      आपके गिनाये सारे कारण सच्चाई बयाँ कर रहें हैं ,,,और ये हमेशा रहेंगा ...कुछ ऊधारण छोड़ कर ..ऐसा लगता है ...आगे इसमें वृद्धि ही होगी ..और उसके अनेक कारण भी ज़िम्मेदार होंगे |...हम बजुर्ग लोग श्रवण का उदहारण देते हैं .आज के जमाने में श्रवण ढूंढते हैं ...श्रवण की औलाद को किसने देखा है,किसने पढ़ा है???
      खुश रहे ,स्वस्थ रहें |

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  16. दिनेश जी ,
    बहुत आभार आपका .खुश रहें|

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  17. मुझे तो आपका प्रश्न एकदम सार्थक लगा....
    अब तक मैंने एक भी माँ बाप नहीं देखे जो अपनी औलादों से प्यार नहीं करते.....
    (कुछ दुष्ट किस्म के बाप ज़रूर पढ़े हैं अखबारों में..मगर उन्हें सामान्य मनुष्य की श्रेणी में नहीं डाला जा सकता...)
    मगर कई बच्चे(ज़्यादातर बेटे ) देखें हैं जो वक्त के साथ माँ बाप से प्यार करना छोड़ देते हैं....वजह कोई भी हो...अपने बेहद करीब देखा है ऐसे बेटों को...बेहद स्वार्थी हो चली है आज की पीढ़ी....
    बिना किसी उम्मीद के बच्चों को पाला जाय यही अच्छा है.

    सादर
    अनु

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  18. अनु जी ,आपके अहसास,सोचना, महसूस करना एक दम सटीक है...बेटियां तो मरते-दम तक अपने माँ-बाप की जान होती हैं ,बिना किसी स्वार्थ के |
    आभार आपका !
    शुभकामनायें!

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  19. आपने आज ऐसा पेचीदा सवाल सामने रख दिया...जो हमारे दिल में बहुत दिनों से कुलबुला रहा है....! इस सवाल को किसी ऐसे बच्चे के सामने रखना चाहिए जिसके ऊपर इस बात का शक़ हो! वो क्या सोचता है? क्यों ऐसा करता है? तब शायद सही-सही जवाब मिल सके! हो सकता है, वो कहे... 'मैं तो अपनी भरसक उनका पूरा ख़याल रखता हूँ, फिर भी उन्हें शिकायत हो तो क्या करूँ?' ये काम हर माँ-बाप भी करते हैं... खुद से ज़्यादा अपने बच्चों का ध्यान रखते हैं! फिर बच्चों को तो ये शिकायत नहीं होती..-तो माँ-बाप को बच्चों से ये शिकायत क्यों ?
    हमें जहाँ तक लगता है... कहीं ना कहीं माँ-बाप और बच्चों के बीच 'कम्यूनिकेशन गैप' हो जाता है, साथ ही 'जेनरेशन गैप' भी!
    घर में जब बच्चे का जन्म होता है ..माँ-बाप खुद बच्चा बन जाते हैं ... मगर वोही माँ -बाप जब बुढापे में बच्चे जैसा व्यवहार करने लगते हैं ...या बच्चों से समय मांगते हैं ... तो बच्चे क्यों नहीं उनके साथ सहयोग कर पाते ...?
    बच्चों को ये समझना चाहिए कि इस उम्र में माँ-बाप की सोच नहीं बदली जा सकती और माँ-बाप को ये सोचना चाहिए कि बच्चों की अपनी और भी ज़िम्मेदारियाँ हैं ...तो उन्हें उनका सहयोग चाहिए ! ताली दोनों हाथों से बजती है। अक्सर माँ -बाप की सलाह बड़े बच्चों को नहीं सुहाती , मगर उन्हें ये समझना चाहिए कि वो अपने अनुभव के हिसाब से अपनी सलाह दे रहे हैं ...नहीं मानना हो तो कम से कम सुन लें !
    दोनों को ही एक-रदूसरे का ख़याल रखना चाहिए ! समस्या वहीँ आती है .... जहाँ एक पक्ष ओवर-डिमांडिंग हो है ...!
    क्षमा चाहेंगे ...हमने कुछ ज्यादा ही लिख दिया ....बस इतना ही कहना चाहते हैं कि बड़े बच्चों को, वृद्ध होते माँ -बाप के साथ कुछ वक़्त ज़रूर बिताना चाहिए ....जिसे कहते हैं 'Quality Time' ! इससे आपस में बात-चीत होती रहती है ....माँ-बाप को भी neglected नहीं महसूस होता , जिसकी वजह से परिवार में खुशहाली बनी रहती है ! Exceptions की बात अलग है ...वो तो अलग ही मानसिकता के शिकार होते हैं ...उनको वक़्त ही समझाता है ..! मगर जहाँ तक आम परिवारों की बात है ... वहाँ आपसी समझ,प्यार, संयम और धैर्य से काफ़ी स्थिति सुधारी जा सकती है ..!
    बेटियाँ दूर हो जातीं हैं ....इसलिए वो दिल के ज्यादा क़रीब होतीं हैं ... वरना तो उनकी भी ज़िम्मेदारी बराबर की ही बनती है ....
    फिर से क्षमा चाहेंगे ...इतना कुछ लिखने के लिए ..मगर हमसे रहा नहीं गया ..इसीलिए लिख दिया। कुछ ग़लत लिख गया हो ..कृपया माफ़ कर दीजियेगा !
    ~सादर!!!

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    1. अनीता जी ,मैंने तो सिर्फ अपने एहसास आप सबसे साँझा किये थे
      और आपने मेरे लेख के जवाब में एक लेख लिख कर मेरे अहसासों
      का पूरा जवाब दे दिया ,,ये मेरे लेख का अगला हिस्सा लगता है .....
      मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ ....बाकि सब कुछ आपके और मेरे लेख में हैं |
      मेरे पास आपका इ-मेल नही हैं वरना मैं आपको सीधा ही लिखकर आपका
      आभार मानता ...
      खुश रहें स्वस्थ रहें !

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  20. अशोक सलूजा जी ! आपने जो लिखा है उसमे जो अनुभूति है वो केवल भुक्त भोगी ही अनुभव कर सकता है .आपने बिलकुल सही लिखा है
    latest post सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
    latest postऋण उतार!

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    1. प्रसाद जी ,
      आपके विचार और अनुभूति मेरे लिए अनमोल हैं .....
      आप गुरु हैं ,,हम अनपढ़ शिष्य !
      आभार!

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  21. आदरणीय अशोक जी , वाजिब है आपका प्रश्न। अच्छे माता पिता और अच्छी संतान का मिलना एक सौभाग्य है। लेकिन एक बात कहूँगी , बच्चे अपने माता-पिता को बहुत प्यार करते हैं और उन्हें ईश्वरतुल्य समझते हैं।

    एक बार मैंने अपने पिताजी के ऊपर एक पोस्ट लिखी थी। उसे पढ़कर , उसमें छुपा बेटी का प्यार देखकर वे ख़ुशी से बहुत रोये थे।

    http://zealzen.blogspot.in/2011/05/blog-post_09.html

    चन्दा ने पूछा तारों से , तारों ने पूछा हज़ारों से , सबसे अच्छा कौन है ....पापा ....मेरे पापा ....

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    1. दिव्या जी,बड़ा अच्छा लगा आपके विचार जानकार और आपका अपने बड़ो के प्रति आदरभाव महसूस करके ..
      खुश रहें,स्वस्थ रहें..

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  22. दुनिया रंग रंगीली बाबा .......किसी भी चीज़ का साधारणीकरण समाज की हरेक पर्त के लिए हरगिज़ नहीं हो सकता .मैंने ऐसे सपूत भी देखे हैं जो गाहे बगाहे माँ को ही पीटते रहतें हैं .आप प्यार की बात करते हैं ये साहबजादे लतियाते हैं .बे शक ये अपवाद हैं नियम नहीं हैं लेकिन हैं इसी समाज की उपज .आज बच्चे कई मामलों में अपनी सीमाओं में रहने को भी विवश हैं .लड़कों का संचालन शादी के बाद अक्सर पत्नियां ही करती हैं .इसीलिए कहा गया -दुनिया रंग रंगीली बाबा .जो लड़का अम्मा का कहना मानता है उसे अम्मा का बेटा (बीवी के शब्दों में चम्पू )कहा जाता है .

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    1. दुनिया रंग रंगीली बाबा .......किसी भी चीज़ का साधारणीकरण समाज की हरेक पर्त के लिए हरगिज़ नहीं हो सकता .वो भी आज के समय में ???
      आपका कहना ही सही लगता है ....वीरू भाई जी ....
      दुनिया रंग रंगीली बाबा .......

      आपके अमूल्य विचारों के लिए ..
      आभार आपका !

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  23. अशोक जी ,
    कोई मेरे ब्लौग पर पंजाबी गाना पढने आया ...और मैं गूगल पर पंजाबी के गाने लिंक से आपके ब्लौग तक पहुँच गई ...यहीं से गुलाम अली के गाने सुनते-सुनते आपकी इस वाली पोस्ट तक भी पहुँच गई ..
    हर माँ-बाप अपनी औलाद से प्यार करतें हैं
    हर औलाद अपने माँ-बाप से प्यार "क्यों" नही करती ।
    आपके इस प्रश्न के उत्तर में अपना दृष्टि-कोण रखना चाहूँगी । माँ-बाप अतीत हो जाने वाले होते हैं ...और बच्चों के साथ प्यार भविष्य के साथ जुड़ाव है सपनों के साथ जुड़ाव है ....पता तो बच्चों को बाद में ही लगता है कि माँ-बाप लौट कर नहीं आने वाले ...फिर जो कुछ वो बो रहे होते हैं वही फसल उन्हें काटनी है ..बूढ़े माँ-बाप किस मनस्थिति से गुजरते हैं इसे समझने के लिए दिल से काम लेना पड़ता है ...चलना तो संतुलन बना कर चाहिए ...मेरे ख्याल से हमें अपना फ़र्ज़ अदा करना चाहिए ...और दिल में ये विचार रखने चाहिए कि बच्चे अपने बच्चों से जुड़े रहें यानि भविष्य की उड़ान भरते रहें ....खुश रहें ...

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    1. शारदा जी , नमस्ते !
      मेरे ब्लॉग पर आप का स्वागत है ...चलो किसी बहाने सही ...अपने अहसास महसूस
      करने वाला कोई मिल जाये तो कुछ सुकून सा मिलता है ....मेरा सवाल वाजिब था
      और आप का जवाब एक दम समय के अनुकूल .....
      आभार आपका .
      खुश रहें,स्वस्थ रहें !

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  24. नदी का प्रवाह सदा ऊपर से नीचे की और होता है ...शायद यह भी एक कारण है कि माँ-बाप जो प्रेम अपनी संतान को देते हैं ..वही प्रेम अपने माँ-बाप को नहीं दे पाते .कुछ तो पीढ़ियों की सोच का अंतर ...कुछ एकाकी होती जीवन-शैली भी नई पीढ़ियों को माँ-पापा से दूर करती जा रही है ...बात ये भी है कि जैसा परिवेश समाज से मिलता है ...उसका असर भी कहीं तो दिखेगा ही .
    ये बात सच है कि बेटे कम ममता रखते हैं माँ-बाप के प्रति ...परन्तु बेटियाँ भी स्वार्थ में पगी मिल जायेगीं ऐसा मैं अपने अनुभव से कह रही हूँ ....हम कितना भी कह लें कि बच्चों को बिना किसी अपेक्षा के पालो ...पर जब शरीर अशक्त होने लगता है और मन भीरु तो बच्चों से उम्मीद न की जाए तो फिर कहाँ जाएँ माता-पिता ?
    बहुत मार्मिक पोस्ट है ...शायद कम कहना चाहिए पर आपने मुद्दा ही ऐसा उठा दिया ....आधे में चुप रहना मुश्किल था

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    1. शिक्षा जी ,नमस्कार !
      नदी का प्रवाह सदा ऊपर से नीचे की और होता है ..आप की इस . एक लाइन में ...आप ने अपने दिल का सब हाल कह दिया ....आप मेरे लेख से सहमत हैं ...बस! मेरे अहसास आप तक पहुचे ,आप ने समझे ....इतना ही बहुत है ....बाकि समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता है ...आज हम हैं तो कल कोई और ......
      आभार आपका
      खुश रहे,स्वस्थ रहें!

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  25. आजकल के बच्चे एकाकी जीवन जीना ज्यादा पसंद करते है इलिए माँ बाप उनके लिए बोझ हो गए है...इसका उदाहरण बागबान फिल्म में बखूबी देखने को मिलता है..जो की सही नहीं है माँ बाप के छाये में ही बच्चों का जीवन सुखी होता है चाहे बच्चे कितने भी बड़े क्यूँ न हो जाये....हम तो ऐसा नहीं करेंगे...
    सार्थक पोस्ट सर जी...

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  26. रीना जी ,
    आपके सुंदर और अच्छे विचारों के लिए शुभकामनायें! मेरी इस पोस्ट पर आप सब ने अपने-अपने विचार मेरी सोच के साथ साझा किये हैं .... किसी की मजबूरी ,कही वक्त की दूरी ,कहीं जेनरेशन गैप ,कहीं केम्निकेशन गैप ..पर एक बात पे सब एकमत बेटियों के पास माँ-बाप के लिए हमेशा वक्त था ,है,और रहेगा .......आभार!
    खुश रहें ,स्वस्थ रहें !

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  27. जीवन के बुनियादी सवालों के ज़वाब न ही ढूंढें जाएं तो बेहतर .फाग मुबा -रक .फाग मुबारक .शुक्रिया आपकी अमूल्य टिपण्णी का .

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  28. वीरू भाई जवाब ढूंढे जाएँ या न जाये ,जवाब मिले या मिलने मुश्किल हो जाएँ
    वो अलग बात है ....पर कुछ देख,महसूस कर ......
    कुछ सवाल दिल में तो उठ ही जाते हैं न ? बाकि आप का कहा सर-माथे पर |
    आभार आपला !

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  29. आपका प्रश्न अपनी जगह बिल्कुल सही था. लेकिन हम न क्यूँ जानबूझ कर इसे नकारना चाहते हैं. यह नहीं कह सकते कि अधिकाँश बच्चे माँ बाप से प्यार नहीं करते लेकिन ऐसे बच्चों की संख्या आज बहुत कम है. मैंने भी एक बार फेस बुक पर प्रश्न पूछा था कि क्या माँ बाप का बच्चों से सिर्फ प्यार की अपेक्षा करना भी गलत है, लेकिन जिस तरह की सलाह आयीं कि मैंने उसे वहां से डिलीट करना ही बेहतर समझा. आप का सवाल केवल एक प्रश्न नहीं बल्कि आज का यथार्थ है. लेकिन कोई चारा नहीं आपकी सभी कोशिशें करने के बाद भी अगर संतान उस प्रेम को नहीं समझती, तो केवल एक ही रास्ता है कि सब भूल कर अपनी ज़िंदगी में मस्त रहो.
    ....होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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    1. शर्मा जी , आपकी अमूल्य टिप्पणी मेरी पोस्ट के सब सवालों का ज़वाब दे रही है और मुझे अब ये तसल्ली दे रही है कि मेरा सवाल
      अपनी जगह माकूल था ...बस शायद मेरा सवाल पूछना ठीक नही था
      क्योंकि सच्चाई ज़्यादातर तकलीफदेह होती है....
      हस के कहो ...बस मस्त रहो
      बची जो जिन्दगी ..बस व्यस्त रहो .....
      आभार आपका ! स्वस्थ रहें!

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  30. होली की हार्दिक शुभकामनायें!!!

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  31. आपका प्रश्न बिल्कुल सही है...आज सभी औलादें अपने मां-पिता से प्यार नहीं करतीं. ऐसा ना होता तो वृद्धाश्रम भरे ना होते पर ये भी सच है कि अच्छाई पूरी तरह से मरी नहीं है. कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जो मा-पिता को पूजते हैं पर बहुत कमं...

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  32. अशोक जी ,

    आपकी इस पोस्ट पर कुछ देर से आना हुआ ...आपका प्रश्न बिलकुल सटीक है ... आज कल की पीढ़ी के पास अपने माता - पिता के लिए वक़्त ही नहीं है ... हर माता पिता अपने बच्चों को प्यार कराते हैं और आगे की पीढ़ी भी अपने बच्चों को प्यार करेगी ....पर माता - पिता की परवाह या उनकी देख भाल यदि करेगी भी तो शायद एक बोझ समझ कर ... सबकी टिप्पणियाँ पढ़ीं .... अनीता जी की टिप्पणी सार्थक विश्लेषण कर रही है .... सुखद स्थिति तो बनाई जा सकती है पर जब संवाद ही न हो तो कोई क्या कर पाएगा ...

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  33. सर
    हम तीन भाई है मैं सबसे छोटा हु ।
    मेरे दोनो बड़े भाइयो की शादी हो चुकी है ।
    मेरे एक भाई दूसरे शहर में रहते है । और
    दूसरा भाई और उनकी पत्नी
    मेरे मम्मी - पापा और मैं ।
    हम सब साथ एक ही घर मे रहते है ।
    लेकिन अब भी हमारे घर का काम मेरे मम्मी ही करते है ।
    भाई बोला था मेरी शादी करवा दो बहु आएगी तो आप का हाथ बाठायेगी ।
    लेकिन इसा कुछ नही हुआ ।
    मेरा भाई भी मम्मी को ही सब काम बोलता है ।
    मेरी भाभी को क्यों नही बोलता ।
    सब काम मम्मी करती है । जैसे
    कपड़े धोना,खाना बनाना,घर की साफ-सफाई
    और मेरी भाभी सिर्फ T.V देखने मे पूरा दिन निकल देती है ।
    मैं क्या करूँ । मुझे माँ को नौकरानी बनता देखा नही जाता ।
    मैं अभी B.A कर रहा हु । और थोड़ा 6000 रुपये महीना कपड़े की शॉप पर काम भी कर रहा हु
    शादी के बाद बेटा क्यों बदल जाता है


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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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