ब्लॉग में लिखने वालों को भी फिर से पढ़ा जाने लगा है
या जाने लगेगा .....बहुत मंजे हुए ब्लोगरों की मेहनत फिर
से रंग लाएगी...और हम जैसो की भी सुनी जाएगी ....
इसी उम्मीद पर अपने साधारण से शब्दों में अपने साधारण
विचार ....आप के सामने ....
ये क्या है ,इसको क्या कहते है ये सब आप जाने ???
जो दिल ने कहा, वो मैंने लिख डाला ....
शुभकामनायें आप सब को |
#हिंदी_ब्लागिँग
#हिंदी_ब्लागिँग
ढूँढा बहुत मैंने किस्मत में अपनी उन तदबीरों को
मल मल के देखा मैंने अपनी हाथों की लकीरों को
जो लिखा है उसने तेरे लिए वो मिलेगा तुझको ही
न नाराज़ हो, इलज़ाम लगा बेकार तू तकदीरों को
न ले कर गया कोई साथ न ही ले कर तू जाएगा
सब कुछ धरा रह जायेगा क्या करेगा तू जागीरों को
सब की मंजिल एक चलने के रास्ते हैं जो चुने हुए
मिलेंगे सब तुझको वहीं यहाँ क्या पूछे राहगीरों को
बचपन खेला जवानी कूदी बुढ़ापा चलने से मजबूर हुआ
बैठा लेट आंसू बहाता देख अपनी ही पुरानी तस्वीरों को
करता रह कर्म, निबाह के धर्म बाकी सब छोड़ दे उसपे
ख़ुशी से हो के मस्त कहे 'अकेला' क्यों फ़िक्र हम फकीरों को...
-अकेला |
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बहुत सही कहा है .मल मल के देखा हाथ की लकीरों को गज़ब लिखा है
ReplyDeleteबहुत आभार जी.....💐
Deleteगज़ब की ग़ज़ल ......ज़िन्दगी का कच्चा चिटठा है
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया वंदना जी💐
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (06-07-2017) को "सिमटकर जी रही दुनिया" (चर्चा अंक-2657) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका आभार शास्त्री जी💐
Deleteबहुत ही शानदार रचना।
ReplyDeleteरामराम
आप का स्नेह है मेरे ताऊ जी 💐
Deleteबहतरीन ग़ज़ल !!
ReplyDeleteआभार आप का संगीत से ओत प्रोत अनुपमा जी💐
Deleteसब की मंजिल एक चलने के रास्ते हैं जो चुने हुए
ReplyDeleteमिलेंगे सब तुझको वहीं यहाँ क्या पूछे राहगीरों को
....बहुत ही नायाब गजल अशोक जी
मान सम्मान का शुक्रिया संजय जी 💐
Deleteबहुत ही कमाल की , हमेशा की तरह अशोक जी | बहुत आनंद आता है आपको पढ़ कर | अब नियमित हो लें सब तो और ज्यादा आनंद ही आनंद
ReplyDeleteये आप का स्नेह हैं मेरे प्रति झा जी 💐💐
Deleteजागीरें इकठ्ठा करता है हर कोई ...
ReplyDeleteसही कहा है कोई कुछ नहीं ले जायगा साथ ... बहुत ही लजवाब गज़ल है ...
शुक्रिया दिगम्बर भाई जी .....स्वस्थ रहें |
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