ताऊ रामपुरिया जी ....
ताऊ की पहल ...उजड़े चमन को बसाने में ...
मेरी शुभकामनाये ताऊ को इस चमन में नये,पुराने
फूल खिलाने में ....
बड़े दिनों के बाद ब्लॉग पर यादें आईं है, गर्मी में
बीते हुए बचपन की दोपहरी की गर्मियों की....
आप सब से साझा कर बड़ी ख़ुशी महसूस कर रहा हूँ ....
बस,आप की नज़र चाहिए इस मेरी पोस्ट पर |
फिर कुछ अच्छा,नया सीखने को मिलेगा आप सब से ..
खुश रहें स्वस्थ रहें .....
अशोक सलूजा
यादें ,वो गर्मी की दोपहरी की ....
आज याद आता है फिर यादों में वो गुज़रा प्यारा सा बचपन
वो झुलसती गर्मी, दोपहरी में खिलखिलाता न्यारा सा बचपन
नीम की ठंडी छांव में, पड़ी चारपाई पर, वो बेसुध सा पड़ना
रुके ग़र हवा, निर्जीव हाथों से, वो हाथ की पंखी का झलना
दिन भर धूल भरी आँधियों का, वो जोर से शांय शायं चलना
मारना मुहं पे, गर्म हवाओं का थप्पड़, और अदा से मचलना
निकर बनियान में, सुने पड़े बाज़ार में, वो मेरा भागते जाना
ठन्डे पानी की चाह में, आने दो आने की, बर्फ का वो लाना
वो तपती तारकोल की सड़को पे, मेरा भागना और चलना
बर्फ़ से नंगे हाथ का ठिठुरना, नंगे पाँव से पैरों का जलना
वो दौड़ लगाना तेजी से और उधर तेजी से बर्फ का गलना
था कितना सुहाना वो दोपहरी का, उमस भरी शाम में ढलना
ताऊ की पहल ...उजड़े चमन को बसाने में ...
मेरी शुभकामनाये ताऊ को इस चमन में नये,पुराने
फूल खिलाने में ....
बड़े दिनों के बाद ब्लॉग पर यादें आईं है, गर्मी में
बीते हुए बचपन की दोपहरी की गर्मियों की....
आप सब से साझा कर बड़ी ख़ुशी महसूस कर रहा हूँ ....
बस,आप की नज़र चाहिए इस मेरी पोस्ट पर |
फिर कुछ अच्छा,नया सीखने को मिलेगा आप सब से ..
खुश रहें स्वस्थ रहें .....
अशोक सलूजा
यादें ,वो गर्मी की दोपहरी की ....
आज याद आता है फिर यादों में वो गुज़रा प्यारा सा बचपन
वो झुलसती गर्मी, दोपहरी में खिलखिलाता न्यारा सा बचपन
नीम की ठंडी छांव में, पड़ी चारपाई पर, वो बेसुध सा पड़ना
रुके ग़र हवा, निर्जीव हाथों से, वो हाथ की पंखी का झलना
दिन भर धूल भरी आँधियों का, वो जोर से शांय शायं चलना
मारना मुहं पे, गर्म हवाओं का थप्पड़, और अदा से मचलना
निकर बनियान में, सुने पड़े बाज़ार में, वो मेरा भागते जाना
ठन्डे पानी की चाह में, आने दो आने की, बर्फ का वो लाना
वो तपती तारकोल की सड़को पे, मेरा भागना और चलना
बर्फ़ से नंगे हाथ का ठिठुरना, नंगे पाँव से पैरों का जलना
वो दौड़ लगाना तेजी से और उधर तेजी से बर्फ का गलना
था कितना सुहाना वो दोपहरी का, उमस भरी शाम में ढलना
--अशोक'अकेला'
#हिंदी_ब्लागिँग
#हिंदी_ब्लागिँग
बचपन और बुढ़ापा |
अब जो लौटे हैं सब, मिलजुलकर साथ रहना ...
ReplyDeleteजी..अब जायेंगे कहाँ ...इसके सिवा ..शुभकमनाएं जी
Deleteनिकर बनियान में, सुने पड़े बाज़ार में, वो मेरा भागते जाना
ReplyDeleteठन्डे पानी की चाह में, आने दो आने की, बर्फ का वो लाना
बहुत ही लाजवाब रचना.
#हिंदी_ब्लागिँग में नया जोश भरने के लिये आपका सादर आभार
रामराम
०२५
ये सब ताऊ जी की मेहनत का प्रताप है जी ....स्वस्थ रहें जी
Deleteबचपन की नटखट यादे ..
ReplyDeleteजी ...बचपन की हैं न इसीलिए.शुभकामनायें आप को भी जी ...
Deleteअन्तर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स डे की शुभकामनायें ..... हिन्दी ब्लॉग दिवस का हैशटैग है #हिन्दी_ब्लॉगिंग .... पोस्ट लिखें या टिपण्णी , टैग अवश्य करें ......
ReplyDeleteआप को भी शुभकामनायें जी ....
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (02-07-2016) को "ब्लॉगिंग से नाता जोड़ो" (चर्चा अंक-2653) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आप के स्नेह का आभार शास्त्री जी .
Deleteसच में सही कहा लेकिन हम तो कहेंगे
ReplyDeleteताऊ के डंडे ने कमाल कर दिया
ब्लोगर्स को बुला कमाल कर दिया
#हिंदी_ब्लोगिंग जिंदाबाद
यात्रा कहीं से शुरू हो वापसी घर पर ही होती है :)
जी...वंदना जी ....सुबह का भूला ...शाम को घर ,,शुभकामनाये हम सब को ....
Deleteवे भी क्या दिन थे
ReplyDeleteपलट आये वो दिन जी ....शुभकामनायें .
Deleteबहुत खूब ,
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉगिंग में आपका लेखन अपने चिन्ह छोड़ने में कामयाब है , आप लिख रहे हैं क्योंकि आपके पास भावनाएं और मजबूत अभिव्यक्ति है , इस आत्म अभिव्यक्ति से जो संतुष्टि मिलेगी वह सैकड़ों तालियों से अधिक होगी !
मानते हैं न ?
मंगलकामनाएं आपको !
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
सतीश भाई जी ....ये सब आप का प्यार और स्नेह है .खुश रहें और स्वस्थ रहें .
Deleteहर किसी के हिस्से कुछ मीठी सी यादें आती है
ReplyDeleteये यादें ही होती है जो बिन हवा बहा ले जाती है
जी अर्चना जी ..ठीक कह रहीं हैं आप ....शुभकामनायें |
Deleteसुंदर स्मृतियाँ
ReplyDeleteबिसरी स्मृतियाँ याद करने से सुकून मिलता है ....आभार मोनिका जी .
Deleteस्वस्थ रहें .
जय जय...आनन्द की यादें में मैंने ये बर्फ वाली बात खूब लिखी है। :)
ReplyDeleteशुक्रिया जी ...स्नेह के लिए
Deleteजय हिंद...जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग...
ReplyDeleteजय हिन्द खुशदीप जी ....
Deleteवाह आज तो बचपन की गलियों में घुमा दिया भाई जी । बहुत सुंदर
ReplyDeleteकोई मेरे दिल से पूछे ...बिछुड़ कर ..अपनों से मिलना कैसा लगता है
Deleteखुश और स्वस्थ रहो संगीता बहना जी :) (y)
....लाज़वाब पंक्तियाँ और भावों की बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteब्लोगर्स डे की शुभकामनायें
बचपन की अनमोल यादें कभी दिल से नहीं जाती ... आपका अनुभव एक दर्शन है जीवन का ...
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