Friday, December 24, 2010

स्वागत है आप सब का .......खुशाम्दीद.

आखिर भटकते भटकते पहुँच ही गया आप के पास ये बड़ी खुशनसीबी है मेरी की मेने आप को पा लिया |मेरे पास आप को देने को कुछ भी नहीं कियोंकि में तो अनपड़ और इस खेल में बिलकुल अनाड़ी हूँ |सो मेरे पास खोने को भी कुछ नहीं |बस आप अपने सामान का ध्यान रखें | में आप से कुछ लूँगा ,कुछ प्यार से ,कुछ तकरार से .और कुछ दरकार से .....आज के लिए बस इतनी ही मुलाकात ......आप सब खुश रहें


अशोक सलूजा 
प्यार के दो मीठे बोल सुनने का
मुझे सरूर है ,
नही कुछ और जरूरत मेरी इसका
मुझे गरूर है
शर्त इतनी ,बस प्यार से लो जान मेरी
मुझे मंजूर है |
                                   ये मैं हूँ |

4 comments:

  1. कल 02/05/2012 को आपके ब्‍लॉग की प्रथम पोस्ट का नयी पुरानी हलचल पर स्‍वागत करते हैं .

    आपके बहुमूल्‍य सुझावों की प्रतीक्षा है .धन्यवाद!


    ... '' स्‍मृति की एक बूंद मेरे काँधे पे '' ...

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  2. बहुत ही बढ़िया....
    प्यार में तो सब जायज है....

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  3. प्यार से क्या नही जीता जाता ।

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (16-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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