Wednesday, August 24, 2011

भ्रष्टाचारियों को हटाओ, भ्रष्टाचार को मिटाओ ....

"वक्‍त की आवाज़"

भ्रष्टाचारियों को हटाओ 
भ्रष्टाचार को मिटाओ |

अन्ना ,अन्ना ,अन्ना 
मैं भी अन्ना ,
तू भी अन्ना ,
वो भी अन्ना ,
हम सब अन्ना !
अन्ना,अन्ना,अन्ना ...

भारत की आवाज़
सुन ले प्यारे ,
अब होश में आओ 
मन मोहन हमारे 
नही तो इतिहास 
अपने को दोहराएगा 
फिर कोई वभीषण 
लंका को जलाएगा
 
वक्‍त की आवाज़ 
सुनो,उठो जागो 
मन मोहन प्यारे 
मौका है कुछ 
नाम कमाओ 
अपनी ओर देश 
की लाज बचाओ 
अब तो कुछ 
कर के दिखाओ 
अपने पद की 
गरिमा को बड़ाओ 

सलमान,सिब्बल ,प्रणव 
चिदंबरम को भी अब 
बाहर का रास्ता दिखाओ 
यही इंसान है कमज़र्फ
किया हमारा बेडा गर्क 
कहाँ है वो  लालू 
और मनीष तिवारी
जिन की मति
गई है मारी 
ज़रा उनको बुलाओ 
जनता के सामने लाओ 
कहाँ छुप गयें हैं 
हम को बताओ 

सोनियां जी को बीमारी है 
राहुल के कंधो पर 
उनकी तीमारदारी है 
बस मन मोहन जी 
अब आप की बारी है
 
अन्ना की बात सुनो 
जनता की आवाज़  सुनों 
अब भी कुछ नाम कमा लो 
इतिहास में नाम लिखा लो 
ऐसा मौका फिर 
हाथ  न आयेगा
वक्‍त रेत की तरह 
हाथ से फ़िसल जायेगा
 
अन्ना चाहे बलि चढ़ जायेगा 
अन्ना का बलिदान 
व्यर्थ न जायेगा 
पर कल का इतिहास 
तुम्हें कभी माफ़ 
न कर पायेगा ...??? 


अशोक'अकेला'

16 comments:

  1. सलमान,सिब्बल ,प्रणव
    चिदंबरम को भी अब
    बाहर का रास्ता दिखाओ
    यही इंसान है कमज़र्फ
    किया हमारा बेडा गर्क
    कहाँ है वो लालू
    और मनीष तिवारी
    जिन की मति
    गई है मारी
    ज़रा उनको बुलाओ
    जनता के सामने लाओ
    कहाँ छुप गयें हैं
    हम को बताओ


    बहुत खूब , सलूजा साहब !
    मैं तो बस खुदा से यही दुआ माँगता हूँ कि मनमोहन सिंह दे दिया, सो दे दिया , मगर आगे से उनके जैसा ईमानदार, विद्धवान अर्थशास्त्री , साफ़ छवि वाला, भोला-भाला , बेदाग़ चरित्र वाला प्रधानमंत्री अब और इस देश को कतई मत देना, हे खुदा !
    वरना हम लोग वर्दाश्त नहीं कर पायेंगे !

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  2. शुक्रिया अशोक भाई !.

    अन्ना चाहे बलि चढ़ जायेगा
    अन्ना का बलिदान
    व्यर्थ न जायेगा
    पर कल का इतिहास
    तुम्हें कभी माफ़
    न कर पायेगा ...??? जय अन्ना !जय भारत !
    Wednesday, August 24, 2011
    योग्य उत्तराधिकारी की तलाश ./
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html

    बुधवार, २४ अगस्त २०११
    मुस्लिम समाज में भी है पाप और पुण्य की अवधारणा .
    http://veerubhai1947.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.htm

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  3. अन्ना ,अन्ना ,अन्ना
    मैं भी अन्ना ,
    तू भी अन्ना ,
    वो भी अन्ना ,
    हम सब अन्ना !
    अन्ना,अन्ना,अन्ना ...
    ..बहुत खूब अंदाज़ आपके ,खूबसूरत अशआर आपके अच्छा लगता है आपके ब्लॉग पे आके अशोक भाई . ...जय अन्ना !जय भारत .! हमारे वक्त की आवाज़ अन्ना ,सरकार का ताबूत बनके रहेगा अन्ना . .
    बुधवार, २४ अगस्त २०११
    मुस्लिम समाज में भी है पाप और पुण्य की अवधारणा ./

    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    Wednesday, August 24, 2011
    योग्य उत्तराधिकारी की तलाश .
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

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  4. अन्ना ,अन्ना ,अन्ना
    मैं भी अन्ना ,
    तू भी अन्ना ,
    वो भी अन्ना ,
    हम सब अन्ना !
    अन्ना,अन्ना,अन्ना ...
    . ...जय अन्ना !जय भारत .! हमारे वक्त की आवाज़ अन्ना ,सरकार का ताबूत बनके रहेगा अन्ना . .
    बुधवार, २४ अगस्त २०११
    मुस्लिम समाज में भी है पाप और पुण्य की अवधारणा ./

    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    Wednesday, August 24, 2011
    योग्य उत्तराधिकारी की तलाश .
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
    Wednesday, August 24, 2011
    योग्य उत्तराधिकारी की तलाश .
    "एकदा "(नभाटा ,२४ अगस्त )में एक बोध कथा प्रकाशित हुई है "योग्य उत्तराधिकारी "ज़िक्र है राजा प्रसेनजित ने एक मर्तबा अपने पुत्रों की आज़माइश करने के लिए उन्हें खजाने से अपनी कोई भी एक मनपसंद चीज़ चुनने के लिए कहा .सभी पुत्रों ने अपनी पसंद की एक एक चीज़ चुन ली .लेकिन इनमे से एक राजकुमार ने महल के चबूतरे पर रखी "तुरही "अपने तैं चुनी .राजा प्रसेनजित ने आश्चर्य मिश्रित भाव से पूछा इस "रणभेरी "को तुमने वरीयता क्यों दी जबकी राजमहल में एक से बढ़के एक साज़ थे ."महाराज यह तुरही मुझे प्रजा से जोड़े रहेगी .हमारे बीच एक संवाद ,एक कनेक्टिविटी का सशक्त ज़रिया बनेगी .मेरे लिए सभी प्रजाजन यकसां प्रिय हैं .मैं चाहता हूँ मैं भी उनका चहेता बन रहूँ .परस्पर हम सुख दुःख बाँटें .मैं प्रजा के और प्रजा मेरे सुख दुःख में शरीक हो .राजा ने इसी राजकुमार को अपना उत्तराधिकारी बना दिया ।
    स्वतंत्र भारत ऐसे ही सुयोग्य उत्तराधिकारी की तलाश में भटक रहा है ।
    यहाँ कथित उत्तराधिकारी के ऊपर एक अमूर्त सत्ता है ,सुपर -पावर है जिसे "हाईकमान "कहतें हैं ।
    तुरही जिसके पास है वह राम लीला मैदान में आमरण अनशन पर बैठा हुआ है ।
    प्रधानमन्त्री नाम का निरीह प्राणि सात सालों से बराबर छला जा रहा है .बात भी करता है तो ऐसा लगता है माफ़ी मांग रहा है .सारी सत्ता लोक तंत्र की इस अलोकतांत्रिक हाई कमान के पास है .प्रधान मंत्री दिखावे की तीहल से ज्यादा नहीं हैं .न बेचारे के कोई अनुगामी हैं न महत्वकांक्षा ,न राजनीतिक वजन .
    यहाँ बारहा ऐसा ही हुआ है ,जिसने भी सुयोग्य राजकुमार बनने की कोशिश की उसके पैर के नीचे की लाल जाज़म खींच ली गई .बेचारे लाल बहादुर शाश्त्री तो इसी गम में चल भी बसे. ये ही वो शक्श थे जिन्होनें पाकिस्तान के दांत १९६५ में तोड़ दिए थे ।
    ब्लडी हाई -कमान ने शाश्त्री जी को ही उस मुल्क का मेक्सिलोफेशियल सर्जन बनने के लिए विवश किया .कभी सिंडिकेट कभी इन्दिकेट .इंदिरा जी ने खुला खेल फरुख्खाबादी खेला . जाज़म विश्वनाथ प्रताप सिंह जी के नीछे से भी खींचा गया .महज़ हाईकमान रूपा पात्र -पात्राएं,पार्टियां बदलतीं रहीं .अटल जी अपने हुनर से सबको साथ लेने की प्रवृत्ति से पक्ष -विपक्ष को यकसां ,बचे रहे .चन्द्र शेखर जी का भी यही हश्र हुआ .आज खेला इटली से चल रहा है .बड़ा भारी रिमोट है .सात समुन्दर पार से भी असर बनाए हुए है .सुयोग्य उत्तराधिकार को नचाये हुए है .

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  5. बृहस्पतिवार, २५ अगस्त २०११
    संसद की प्रासंगिकता क्या है ?
    अन्ना जी का जीवन देश की नैतिक शक्ति का जीवन है जिसे हर हाल बचाना ज़रूरी है .सरकार का क्या है एक जायेगी दूसरी आ जायेगी लेकिन दूसरे "अन्ना जी कहाँ से लाइयेगा "?
    और फिर ऐसी संसद की प्रासंगिकता ही क्या है जिसने गत ६४ सालों में एक "प्रति -समाज" की स्थापना की है समाज को खंड खंड विखंडित करके ,टुकडा टुकडा तोड़कर ।जिसमें औरत की अस्मत के लूटेरे हैं ,समाज को बाँट कर लड़ाने वाले धूर्त हैं .
    मनमोहन जी गोल मोल भाषा न बोलें?कौन सी "स्टेंडिंग कमेटी "की बात कर रहें हैं ,जहां महोदय कथित सशक्त जन लोक पाल बिल के साथ ,एक प्रति -जन -पाल बिल भी भिजवाना चाहतें है ?संसद क्या" सिटिंग कमेटी" है जिसके ऊपर एक स्टेंडिंग कमेटी बैठी है .अ-संवैधानिक "नेशनल एडवाइज़री कमेटी"विराजमान है जहां जाकर जी हुजूरी करतें हैं .नहीं चाहिए हमें ऐसी संसद जहां पहले भी डाकू चुनके आते थे ,आज भी पैसा बंटवा कर सांसद खरीदार आतें हैं .डाकू विराजमान हैं .चारा -किंग हैं .अखाड़े बाज़ और अपहरण माफिया किंग्स हैं ।
    आप लोग चुनकर आयें हैं ?वोटोक्रेसी को आप लोग प्रजा तंत्र कहतें हैं ?
    क्या करेंगें हम ऐसे "मौसेरे भाइयों की नैतिक शक्ति विहीन संसद का"?

    समय सीमा तय करें मनमोहन ,सीधी बात करें ,गोल -गोल वृत्त में देश की मेधा और आम जन को न घुमाएं नचायें ।
    "अब मैं नाच्यो बहुत गोपाल ".बारी अब तेरी है .

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  6. सार्थक काव्यात्मक रचना के लिए आपको बधाई! मैं भी कुछ ऐसा ही सोचता हूँ!

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  7. सार्थक काव्यात्मक रचना के लिए आपको बधाई! मैं भी कुछ ऐसा ही सोचता हूँ!

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  8. कर्तव्यों के प्रति सचेत करती सार्थक पंक्तियाँ......

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  9. चाचू प्यारे
    आदरणीय अशोक'अकेला' जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !
    प्रणाम !!

    सब ख़ैरियत तो है … स्वास्थ्य अच्छा होगा ।
    कुछ विलंब से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूं ।

    और क्या रचना लिखी है ! सबको धो दिया … :)
    वक्‍त की आवाज़
    सुनो,उठो जागो
    मनमोहन प्यारे
    मौका है कुछ
    नाम कमाओ
    अपनी ओर देश
    की लाज बचाओ
    अब तो कुछ
    कर के दिखाओ
    अपने पद की
    गरिमा को बढ़ाओ


    …लेकिन मनमोहन जी तो मौन हैं
    इनसे ज़्यादा विवश कोई प्रधानमंत्री नहीं हुआ होगा भारत का …
    समझदारी रखते तो स्वयं त्यागपत्र दे'कर मुक्ति पा लेते …

    मेरी ताज़ा पोस्ट पर आपका भी इंतज़ार है ,

    काग़जी था शेर कल , अब भेड़िया ख़ूंख़्वार है
    मेरी ग़लती का नतीज़ा ; ये मेरी सरकार है

    वोट से मेरे ही पुश्तें इसकी पलती हैं मगर
    मुझपे ही गुर्राए … हद दर्ज़े का ये गद्दार है

    मेरी ख़िदमत के लिए मैंने बनाया ख़ुद इसे
    घर का जबरन् बन गया मालिक ; ये चौकीदार है

    पूरी रचना के लिए मेरे ब्लॉग पर पधारें … आपकी प्रतीक्षा रहेगी :)

    विलंब से ही सही…
    ♥ स्वतंत्रतादिवस सहित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  10. इतिहास रच सकती है कोंग्रेस,लोगों के दिलों में हमेशा के लिए अपनी जगह बनाने का वक्त है यह उसके पास किन्तु..........??????
    सही समय पर समय की आवाज उठाई है आपने.

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  11. अन्ना का बलिदान
    व्यर्थ न जायेगा ...no doubt about it.

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  12. जागरण की रणभेरियाँ बज चुकीं हैं, निष्कर्ष सुखद होंगे।

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  13. शनिवार, २७ अगस्त २०११
    वोट का सिर होतें हैं सांसद .....
    वोट का सिर होतें हैं सांसद जिन्होनें संसद को चार दीवारी बनाके छोड़ दिया है .जैसे चरवाहा भेड़ों की गिनती ,नर मादा का हिसाब उनके सिर गिनके ही कर लेता है ,वैसी ही वोटों के सिरों की गिनती से संसद बनी है .समय की चेतना से शून्य इस दौर के सांसद अगले चुनाव में संसद में नजर नहीं आयेगें ,खासकर इनमें से वो सांसद जो समय को घडी की टिक टिक से आगे कुछ नहीं समझते .समय को शीर्षआसान कराते ये लोग असमय ही मारे जायेंगे .इनका राजनीतिक करिअर रेडिओएक्टिव सिद्ध होने जा रहा है .समाज की समरसता को नष्ट करने वाले ये लोग समय जाया कर रहें हैं .आज से छ :माह पूर्व इनमें से कई चरवाहेलालू की शैली में पूछते थे मुंह में बीड़ा दबाये ये "अन्ना कौन है "आज इनमें से ही कई कह रहें हैं अब लोग पूछ रहें हैं कौन नहीं है अन्ना ?सारा देश है अन्ना . लेकिन आज भी कई बे -सिर पैर के लोग अनर्गल प्रलाप कर रहें हैं .भाषा को बिगाड़ के कह रहें हैं "अन्ना टीम में कोई केजरी वेजरी वाल हैं जो लगातार अन्ना के कान में खुसर पुसर कर रहें हैं .देखिएगा समय इनके साथ कैसा सुलूक करता है .?"सरकार ने अन्ना को गलत ढंग से अरेस्ट किया ,अन्ना ने इसका फायदा उठाया .बड़े से बड़े आन्दोलन वापस लिए गये हैं ,रामदेव जी ने लिया ,गांधी ने लिया .घबराए हुए बौखलाए हैं ये लोग .इन्हें इन्हीं के हाल पे छोडिये .वक्त को इनकी सवारी करने दीजिये .आदाब !
    http://veerubhai1947.blogspot.com/2011/08/blog-post_27.html

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  14. क्या क्रन्तिकारी तेवर है.
    यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो कृपया मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
    अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html

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  15. कहाँ हैं वह केंडल पत्रकार "कुलदीप नैयर "इस विधाई पल में जबकि कोलकता के युवक युवतियां जश्न पर्व पर अन्ना जी के ,जन मन के जश्न पर ,केंडल मार्च निकाल रहें हैं .,वही कुलदीप जी ,जो रस्मी तौर पर १४ अगस्त की रात को ही "वाघा चौकी "पर केंडल मार्च में शरीक होतें हैं .आई एस आई का पैसा डकारतें हैं और इस देश की समरसता को भंग करते हैं ,मुख्या धारा से मुसलामानों को अलगाने में ये हजरात तमाम सेक्युलर पुत्र गत ६० सालों से मुब्तिला है .भारत माता की जय बोलने पर ये कहतें हैं यह एक वर्ग की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है .इस्लाम की मूल अवधारणाओं के खिलाफ है ,ये केंडल मार्च जन मार्च है ,जन बल है .यही वह विधाई पल है जब मेडिकल कंडीशन को चुनौती देते हुए अन्ना जी ने जन लोक पाल प्रस्ताव की संसद द्वारा स्वीकृति पर सिंह नाद करते हुए ,हुंकारते हुए कहा-ये जनता की जीत है .निरवीर्य ,निर -तेज़ पड़ी संसद में थोड़ी आंच लौटी है अन्ना जी की मार्फ़त वगरना संसद तो एक चहार -दीवारी बनके रह गईं थी .और सांसद वोट का सिर
    ये भाई साहब जन मन की जीत है ,देश की मेधा की जीत है ,सभी अन्नाओं की जीत है ,उस देश दुलारे अन्ना की जीत है जो मेडिकल कंडीशन को चुनौती देता हुआ इस पल में राष्ट्रीय जोश और अतिरिक्त उल्लास से भरा है .यही बल है धनात्मक सोच का ,जो मेडिकल कंडीशन का अतिक्रमण करता है .

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  16. अन्ना चाहे बलि चढ़ जायेगा
    अन्ना का बलिदान
    व्यर्थ न जायेगा
    पर कल का इतिहास
    तुम्हें कभी माफ़
    न कर पायेगा ...???

    shayad yahi sonch kar sarkar ki aankhein khul gayi......par ye log itni aasaani se nahi manege????bahut sahi kaha tha ANNA JI ne ki abhi to ye aadhi jeet hai!!!!
    aapki rachna bahut pasand aayi:)

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मैं आपके दिए स्नेह का शुक्रगुज़ार हूँ !
आप सब खुश और स्वस्थ रहें ........

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