सोने से पहले, पुकारता हूँ मैं "माँ"
कितने पवित्र ये, दो शब्द के बोल हैं
सब दुःख दर्द, ये मेरे हर ले जाएँ
बोल के परखो, ये इतने अनमोल हैं....
अशोक "अकेला"
कितने पवित्र ये, दो शब्द के बोल हैं
सब दुःख दर्द, ये मेरे हर ले जाएँ
बोल के परखो, ये इतने अनमोल हैं....
अशोक "अकेला"
माँ से मुलाकात ......ख़्वाबों में !!!
जब कभी मैं, परेशानी में होता हूँ
मैं माँ की, निगेहबानी में होता हूँ
सोने से पहले, आँखों को धोता हूँ
तू आ ख्वाबों में, अब मैं सोता हूँ
वो सिरहाने मेरे, जागती है रात-भर
मैं चैन से उसके, आँचल में सोता हूँ
वो बेचैन हो जाती है, देख के मुझको
मैं जब कभी डर के, सपनों में रोता हूँ
ममता से भरा हाथ, फेरती है माथे पर
हंसी उसके लब, मैं मुस्कुरा रहा होता हूँ
छुपा के सर गोदी में, गुदगुदा के उसको
झूठी-मुठी रूठी माँ को, मना रहा होता हूँ ....
काश! मेरी नींद न टूटती उम्र भर ......
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अशोक'अकेला' |
सच है, निश्चिन्तता का वह भाव अवर्णनीय है।
ReplyDeleteसच कहा आपने ... अवर्णनीय!
Deleteखुश रहें!
माँ से मुलाकात के पल कभी कम न हों, ये ख्वाब हमेशा साथ रहे... नींद में भी और नींद से परे भी!
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
सादर चरणस्पर्श!
खुशियों भरा स्वस्थ जीवन हो ...आपका !
Deleteअनुपम भावपूर्ण सुंदर गजल ;?उम्दा प्रस्तुति,,,,,
ReplyDeleteशुक्रिया भाई जी .....
Deleteवाह ,बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुंदर गजल
शुक्रिया अशोक जी ...
Deleteमां की कमी आजीवन सालती रहती है, बहुत भावुक रचना.
ReplyDeleteरामराम.
ताऊ भाई राम-राम ...जय हो मलंग बाबा की ...
Deleteक्या कहूँ ...? खुश रहो !
काश के नींद कभी न टूटती...सच!!!
ReplyDeleteबहुत प्यारी,भावपूर्ण ग़ज़ल.
सादर
अनु
अनु ...आप के लेखन में गहराई है !
Deleteशुभकामनायें!
क्या बात बधाई!
ReplyDeleteशुक्रिया "गाफ़िल' जी ...
Deleteअशोक जी ! लाजवाब ग़ज़ल ..काश! के नींद कभी न टूटती........
ReplyDeletelatest post आभार !
latest post देश किधर जा रहा है ?
आभार भाई जी ......
Deleteबहुत प्यारी,भावपूर्ण सुन्दर ग़ज़ल....
ReplyDeleteबहुत आभार जी ....
Deleteमाँ का साथ हमेशा शुकूनकारी होता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
सादर आभार !
खुश रहें !
Deletebahut achchi kavita, duniya ki sabse pyare ehasas ko jagane wali kavita
ReplyDeleteशर्मा जी ..आपकी तरफ़ से कुछ पढने को नही मिला ....
Deleteशुभकामनायें !
भावपूर्ण सुंदर,बहुत भावुक रचना सादर
ReplyDeleteआपका स्वागत है ..आभार!
Deleteवाह बहुत खूब
ReplyDeleteजन्म दिन की मुबारक और शुभकामनयें !
Deleteमाँ के साये में .... हमेशा सुकून
ReplyDeleteभावमय करते शब्द एवं प्रस्तुति
शुक्रिया सदा जी ...
Deleteशुभकामनायें!
माँ की तरह कोमल भावनाओं में लिपटी रचना....बहुत प्यारी!
ReplyDelete~लाल के सिरहाने जागे माँ...
जागती माँ के सिरहाने बैठे कौन... ~
~सादर!!!
Delete--माँ का वो लाल .महसूस करे जो
करके बन्ध होठों से रहकर मौन .....
खुश और स्वस्थ रहो ...बहुत-बहुत शुभकामनायें !
बहुत सुंदर और भावुक प्रस्तुति अशोकजी।।।
ReplyDeleteसदा खुश रहें अंकुर जी .....
Deleteमाँ का ख्याल ही सुकून दे जाता है .... बहुत भाव प्रबल गज़ल
ReplyDeleteठीक कहा है ..संगीता जी आपने !
Deleteमेरा तो सुकून ही ख्यालों में रहा है .....
स्नेह के लिए आभार !
दिल को छू लेनेवाली
ReplyDeleteप्यारी सी अति उत्तम रचना...
:-)
शुक्रिया रीना बेटा...कैसी चल रही है नई दुनिया ....
Deleteशुभकामनायें!
हर उम्र में माँ के लिए मन बच्चा ही रहता है.
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण रचना।
ठीक कहा डॉ.साहब आपने .....दिल तो बच्चा है जी !
Deleteशुक्रिया जी ...
माँ की याद फिर बचपन में ले जाती है...बहुत भावमयी रचना...
ReplyDeleteठीक कहते हैं शर्मा जी आप ....!
Deleteआभार आपका !
वो सिरहाने मेरे, जागती है रात-भर
ReplyDeleteमैं चैन से उसके, आँचल में सोता हूँ ..
कभी कभी सोचता हूं ऐसे ही नहीं लिखा जा सकता ग्रन्थ माँ के ऊपर ... दरअसल माँ होती ही ऐसी है की कई कई ग्रन्थ लिख कर भी उसकी महिमा कहना आसान नहीं ...
नासवा जी .. पुरानी चोट को कुरेदने से दर्द होता है ..और नई चोट तो बस दुखती ही रहती है ..न जाने कब तक .....!
Deleteआपके लिए शुभकामनायें !
स्नेह के लिए आभार !