आज फिर से दाग़ा गया हूँ
शब्द-रूपी जलती मशालों से ,
उभर आये दिल के फफ़ोले
जो दबे पड़े थे सालों से ...
---अकेला
---अकेला
बार-बार भ्रम के जाल में, फंस जाता हूँ
क्यों मैं अपने दिल पे, चोट खाता हूँ
उम्र भर दुखाया दिल को, मैंने अपने
पर बाज़ मैं आज भी, नही आता हूँ
हर दर पे जा-जा खाई, ठोकर मैंने
फिर दौड़ा उसी दर पे, चला आता हूँ
शायद पलट गई हो अब, तक़दीर मेरी
यही आज़माने मैं वापस, चला आता हूँ
हर बार करते हैं वो, बेआबरू मुझको
हर बार मैं वापस, बेआबरू होने आता हूँ
कस्म उठाता हूँ ,अब वापस न आऊंगा
तोड़ देता हूँ कस्म ,वापस चला आता हूँ
जान गये हैं, वो सब भी मुझे अच्छी तरह
मैं बेसहारा ,कब तक "अकेला" रह पाता हूँ....
अशोक'अकेला' |
आदतें तजती नहीं हैं,
ReplyDeleteमार्ग में सजती नहीं हैं,
क्या करें पर हृदय-वीणा,
बेसुरी बजती नहीं हैं।
sundar rachana.
ReplyDeleteआज फिर से दाग़ा गया हूँ
ReplyDeleteशब्द-रूपी जलती मशालों से ,
उभर आये दिल के फफ़ोले
जो दबे पड़े थे सालों से ...
मन को छूती पंक्तियां
सादर
बहुत ही सुन्दर लिखा है...
ReplyDeleteआज फिर से दाग़ा गया हूँ
शब्द-रूपी जलती मशालों से ,
उभर आये दिल के फफ़ोले
जो दबे पड़े थे सालों से ...
अति सुन्दर..
:-)
बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteशायद पलट गई हो अब, तक़दीर मेरी
यही आज़माने मैं वापस, चला आता हूँ
उम्मीद का दिया बुझता नहीं....
सादर
अनु
हर बार करते हैं वो, बेआबरू मुझको
ReplyDeleteहर बार मैं वापस, बेआबरू होने आता हूँ
जान गये हैं, वो सब भी मुझे अच्छी तरह
मैं बेसहारा ,कब तक "अकेला" रह पाता हूँ....
निशब्द हूँ !!
दस्तूरे-दुनिया खूब बया किया है आपने !
ReplyDeleteदिल का हाल कहे दिल वाला --
ReplyDeleteबहुत खूब .
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteक्या कहने
आज फिर से दाग़ा गया हूँ
ReplyDeleteशब्द-रूपी जलती मशालों से ,
उभर आये दिल के फफ़ोले
जो दबे पड़े थे सालों से ...
बहुत बढ़िया प्रस्तुती |
ब्लॉग पर की गई सभी टिप्पणियाँ एक जगह कैसे दिखाएँ ?
मानवीय एहसासों कमजोरियों से संसिक्त रचना ,हकीकी ज़िन्दगी का आँखों देखा हाल .
ReplyDeleteशायद पलट गई हो अब, तक़दीर मेरी
ReplyDeleteयही आज़माने मैं वापस, चला आता हूँ,,,,वाह,,बहुत बेहतरीन अशोक जी,
RECENT POST: दीपों का यह पर्व,,,
संवेदनशील लोगों के साथ यही होता रहा है भाई जी !
ReplyDeleteमंगलकामनाएं आपके खूबसूरत दिल के लिए..
आप काफी समय के बार चले आये ,और नए अंदाज़ के साथ चले आये।
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी नज्म लिखी है। हमारी किस्मत ,वर्ना दबी ही पड़ी रह जाती।
कुछ दिन अस्वस्थ था। इसलिए देरी से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ।
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड
आभार आदरणीय अशोक जी सलूजा -
ReplyDeleteजब तक वो रब न मिले, रहे काम में व्यस्त |
माटी को रखना सही, यादें रहें दुरुस्त ||
बहुत प्रेरक और सुंदर अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteआज फिर से दाग़ा गया हूँ
ReplyDeleteशब्द-रूपी जलती मशालों से ,
उभर आये दिल के फफ़ोले
जो दबे पड़े थे सालों से ...
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आशा की किरण...
ReplyDeleteबहुत ही शानदार
ReplyDeleteGyan Darpan
एक आदत सी हो गई है तू ,
ReplyDeleteऔर आदत कभी नहीं जाती .
शुक्रिया आपकी सद्य टिप्पणियों का .
मन के भावों को बहुत खूबसूरत से लिखा है ... सादर
ReplyDeleteमेरी पहली टिप्पणी शायद स्पैम में चली गयी है .... स्पैम देखते रहा कीजिये ... और टिप्पणियों को आज़ाद किया कीजिये ....
स्पैम देखने के लिए ---
डैश बोर्ड --- कमेंट्स ---- स्पैम .... जिन टिपनियों को आज़ाद करना हो उसके लिए नॉट स्पैम ..... बस हो गया ।
अपनों के मान-सम्मान और स्नेह का कर्ज़दार रहना पसंद है मुझे !
Deleteस्पैम देखता रहता हूँ ...अपनी पूँजी को छिपाना गवारा नही मुझे ...
शुभकामनायें आप सब को !
हर दर पे जा-जा खाई, ठोकर मैंने
Deleteफिर दौड़ा उसी दर पे, चला आता हूँ
शायद पलट गई हो अब, तक़दीर मेरी
यही आज़माने मैं वापस, चला आता हूँ
umid pe duniya kayam hai !!!
सही में ये दिल ...ताउम्र बेचारा ही रहता है ...जिसका भी मन आता है इसे दुःख देकर चला जाता है
ReplyDeleteमन के दर्द को शब्दों में उड़ेल दिया है ...
ReplyDeleteहर शेर तीर की तरह चुभता है ...