"टूटा हुआ फूल खुश्बू दे जाता है
बीता हुआ पल यादें दे जाता है
हर किसी का अंदाज़ होता है अपना
कोई ज़ख्मो पे प्यार तो कोई प्यार
में जख्म दे जाता है "|
यादों के पिटारे से ....लाया हूँ .मैं आप के लिए
एक हल्की-फुलकी ,दिल को सहलाती ,सुकून
देती,अपने प्यार को पुकारती....
एक दिलकश रोमांटिक ,छोटी सी गजल ,
प्यार में डूबी ,मदहोश करती दिल को
लुभाती ,रफी साहब की गुनगुनाई मीठी
आवाज़ में ...
वर्ष : १९५६
फिल्म : राज हठ
गायक: रफ़ी साहब
संगीत : शंकर-जयकिशन
गीतकार : हसरत जयपुरी
कलाकार : प्रदीप कुमार .मधुबाला
आए बहार बन के लुभा कर चले गए
क्या राज़ था जो दिल में छुपा कर चले गए
कहने को वो हसीन थे आँखें थीं बेवफा
दामन मेरी नज़र से बचा कर चले गए
इतना मुझे बता दो मेर दिल की धड़कनों
वो कौन थे जो ख़्वाब दिखा कर चले गए
आए बहार बन के लुभा कर चले गए
क्या राज़ था जो दिल में छुपा कर चले गए ||
वाह, सुनकर रस आ गया।
ReplyDeleteरफी साहब की मधुर आवाज में इस हसीन-तरीन गीत को देख/सुनकर रविवार की सुबह खुशगवार हो गई,वाह मजा आ गया.
ReplyDeleteकुछ यादे हमेशा याद रहती है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल गाई है रफ़ी साहब ने ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल
ReplyDeleteबहूत अच्छी गजल है , रफी साहब जी कि आवाज ने तो मन मोह लिया
ReplyDeleteधन्यवाद आपका ...
हर किसी का अंदाज़ होता है अपना
ReplyDeleteकोई ज़ख्मो पे प्यार तो कोई प्यार
में जख्म दे जाता है "|सौ प्रतिशत सही ...
बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति
ReplyDeleteइतना मुझे बता दो 'मेरे ' दिल की धडकनों में ,
ReplyDeleteवो कौन थे जो ख़्वाब दिखाकर चले गए .सुन्दर प्रस्तुति .
बढिया ...आभार रफ़ी साब का ये गाना शेयर करने के लिए
ReplyDeleteकोई ज़ख्मो पे प्यार तो कोई प्यार
ReplyDeleteमें जख्म दे जाता है "|
Wah !
यादों के कुंवे में कंकड डाल दिया आपने अशोक जी ....
ReplyDeleteबहुत ही कमाल की पंक्तियाँ और लाजवाब गाल है रफ़ी साहब की आवाज़ में ...