मेहरबाँ हो कर बुला लो मुझे ,चाहे जिस वक्त
मैं गया वक्त तो नही ,कि फिर आ न सकूं|| "ग़ालिब
वक्त को संभालो.... !!!
इस जिन्दगी की दी हुई मुफ्त सौगात का
कोई मूल्य नही पहचानता इस की औकात का
इसे बेदर्दी से लुटाया जाता है
इसे बस यू ही गंवाया जाता है
जिन्दगी के किसी मोड़ पर
जब इसकी जरूरत पडेगी
न पा सकोगे इसको
न पाने की कोई तरकीब लडेगी
जो थोडा सा वक्त होगा अब रहने को
चंद सांसों के लिए या पछताने को
वक्त रहते इसकी औकात को समझो
मुफ्त मिली इस सौगात को समझो
जो क्षण ,महीना साल गुजर जायेगा
लौट के दौबारा ,जिन्दगी में न आयेगा |
जब ये चाल अच्छी चलता है
तो सब को अच्छा लगता है
जब चाल ये अपनी बदलता है
अच्छे ,बुरे पासे पलटता है
बुरी से सब को दहलाता है
अच्छी से सब को बहलाता है
तब चलती इसी की मर्जी है
कोई बांध इसे नही पाता है |
आज वक्त तुम्हारे साथ है
बस छोटी सी मुलाकात है
फायदा उठालो
इसको संभालो....
ये चला जायेगा
फिर हाथ नही आयेगा
ये वक्त भी क्या...
अजीब चीज है
किसी के काम आ के भी
किसी काम नही आता
सब को छोड पीछे अकेला
खुद आगे निकल जाता...
गर ये वक्त संभल जायेगा
ये जीवन सफल हो जायेगा
अब तो होश में आ लो
अपने वक्त को संभालो....
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अशोक"अकेला" |