शिकायतों के सिवा जब
कुछ भी न हो पास तेरे,
रख बन्द जुबान अपनी
लगा ले बस चुप्पी के डेरे ||
---अशोक 'अकेला'
आजकल रोज़ दिल, दुखा जाता है वो
याद रहता है मुझे, भूल जाता है वो
हे भगवन ,ये कैसा मुकद्दर पाया है मैंने
हँसाने की कोशिश में, रुला जाता है वो
बहुत मनाया, समझाया भी उसको मैंने
हर बात को मेरी,हवा में उड़ा जाता है वो
मजबूर हूँ क्या करूँ, कमज़ोरी है वो मेरी
दिल को फिर, किसी बात पर भा जाता है वो
करता हूँ जब भी मैं, दूर रहने की कोशिश
ज़हन पर आ कर, फिर छा जाता है वो
मायूस हो कर बैठ जाता हूँ, मैं जब भी कभी
अच्छे मूड में हो, तो रहम खा जाता है वो
'अकेला' रोज़ सोचता हूँ, न अब उससे आँख मिलाऊंगा
ढ़ुंढ़ती हैं आँखें उसको, जब भी याद आ जाता है वो
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---|
अशोक'अकेला' |
बाऊ जी नमस्ते!
ReplyDelete'अकेले' दिल पर ज़ोर नहीं!
आशीष
--
थर्टीन एक्सप्रेशंस ऑफ़ लव!!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज सोमवार (13-05-2013) माँ के लिए गुज़ारिश :चर्चामंच 1243 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सभी को मातृदिवस की बधाई हो...!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
कह दो मन की डोर न थामे,
ReplyDeleteपंछी को उड़ने दो अब तो।
मर्मस्पर्शी रचना
ReplyDeletebahut sunder, hamesha ki tarah
ReplyDeleteबहुत ही उत्कृष्ट प्रस्तुति आदरणीय,आपका आभार.
ReplyDeleteकोमल भावयुक्त अति उत्तम रचना..
ReplyDelete:-)
Very Nice Sir ,very interesting.
ReplyDeleteयादें ही तो हैं जो पीछा नहीं छोड़तीं .... बहुत सुंदर भावपूर्ण नज़्म
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक रचना है, जब हम किसी को अपने अंतर्तम से चाहते हैं तब ऐसी ही रचनाएं जन्म लेती हैं, बहुत ही उम्दा भाव, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत बढ़िया दिल को छूती रचना .... बधाई ! सादर !
ReplyDeleteमन को छूती पोस्ट ....
ReplyDeleteसादर
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
मजबूर हूँ क्या करूँ, कमज़ोरी है वो मेरी
दिल को फिर, किसी बात पर भा जाता है वो
क्या कहूं...
कोमल भाव लिए मर्मस्पर्शी रचना...
ReplyDeleteबहुत मनाया, समझाया भी उसको मैंने
ReplyDeleteहर बात को मेरी,हवा में उड़ा जाता है वो ..
दिल को छू जाती है गज़ल ... जिससे प्रेम हो उसे मनाने का मन करता है ...
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल १४ /५/१३ मंगलवारीय चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।
ReplyDeletekya bat hai waaaah !!!
ReplyDeletelast ke do sher to bhetrin huae hai....bhot khub sr
रुलाने वाली यादें।
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको।
दिल को छू गयी रचना ....
ReplyDeleteग़म को कितनी खूबसूरती से बयाँ किया जा सकता है... ये आपकी रचना से साफ़ झलकता है...
~सादर!!!
याद रहता है मुझे भूल जाता है वो ......बहुत ही मार्मिक ...वेदना का पूरा सागर लिए .............दिल को छू गयी आपकी रचना
ReplyDeleteबहुत कोमल भाव ,सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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दिल से निकली, दिल तक पहुँची. हृदय स्पर्शी............
ReplyDeleteहे भगवन ,ये कैसा मुकद्दर पाया है मैंने
ReplyDeleteहँसाने की कोशिश में, रुला जाता है वो
....दिल को छूती बहुत उम्दा ग़ज़ल....
कौन है वो ....?
ReplyDeleteशिकायतों के सिवा जब
कुछ भी न हो पास तेरे,
रख बन्द जुबान अपनी
लगा ले बस चुप्पी के डेरे ||
लाजवाब ....!!