गुज़री यादों में, फिर तू याद आ गया
भर आई आँख ,दिल सुकून पा गया...
--अशोक'अकेला'
यादें हमेशा साथ रहती हैं ,
पर नसीब नही होतीं
गर याद न करो इनको
तो ये भी करीब नही होती
दिन तो गुज़रा गोरख-धंधों में
यादें न करीब होती हैं
आती है जब रात अँधेरी
नींद करती है आने में देरी
दिलो-दिमाग जब उथल-पुथल जाता है
तब यादों का सिलसिला करीब आता है
अब दिमाग थकावट से चूर है
दिल यादों का साथ निबाहने को मजबूर है
इन यादों में बसा दिल का नासूर है
सुख-दुःख देती हैं यादें इनका दस्तूर है
मीठी यादें चेहरे पर मुस्कराहट लाती हैं
गमगीन यादें आँखों से आंसू गिराती हैं
इसी तरह यादों की लोरी सुनते-सुनते
सो जाता हूँ ख्वाबो को बुनते-बुनते......
ये यादों का सिलसिला भी बड़ा अज़ीब
होता है .....
अशोक'अकेला' |
बहुत लाजवाब.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत बढ़िया ......
ReplyDeleteसुख-दुःख देती हैं यादें इनका दस्तूर है
ReplyDeleteसच...!
यादों का सफ़र ऐसा ही तो है...
दिल से आभार शास्त्री जी ......
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
यादें हमेशा साथ रहती हैं ,
ReplyDeleteपर नसीब नही होतीं
गर याद न करो इनको
तो ये भी करीब नही होती
वाह .... बेहतरीन अभिव्यक्ति
बहुत ही बेहतरीन रचना..
ReplyDelete:-)
लाज़वाब मर्मस्पर्शी प्रस्तुति....
ReplyDeleteयादें ! सुख-दुःख का सफ़र
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ReplyDeleteयादों को दुलराता रहता हूँ। यादों से नेह लगाता हूँ ,कुछ खोता हूँ कुछ पाता हूँ।
सच कहा यादों का सिलसिला अजीब होता है ... पर ये हैं तो सांस चलने का सबब भी है ... फिर चाहे कड़वी हों .. यादें मिठास ही देती हैं ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर भैया!
ReplyDeleteयादें न हों .. तो जीना मुश्किल ..
यादें सताएँ .. तो जीना मुश्किल ...
कहीं ज़ख़्मों का मरहम हैं यादें ...
तो कहीं आँसुओं का सबब हैं यादें ...
सादर!!!
बहुत सुंदर ...यादें मिठास ही देती हैं ...आभार
ReplyDeleteकोई वीरानी सी वीरानी है अब कुछ याद नहीं आता दस्त देख कर भी। शुक्रिया अशोक भाई। आपकी टिपण्णी हमारे लिखे की आंच है।
ReplyDeleteखूबसूरत नज़्म। पहली बार आना हुआ. अच्छा लगा.
ReplyDeleteसादर
मधुरेश
लाज़वाब अभिव्यक्ति . . .
ReplyDeleteमंगलकामनाएं भाई जी !
खूबसूरत नज़्म।
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